आज यह सवाल वे लोग भी पूछ रहे हैं जो कि ख़ुद भारतीय मुसलमानों के स्वाभिमान पर और उनकी धार्मिक परंपराओं पर चोट करते रहते हैं।
इसे कहते हैं घड़ियाली आंसू बहाना।
जिनके पास खुद स्वाभिमान नहीं है,
वे भी स्वाभिमान की चिंता करते दिखते हैं और वह भी उन लोगों के स्वाभिमान की जिन्हें वे मांसाहार के कारण विदेश चले जाने का सुझाव देते हैं।
पता नहीं ये किसे धोखा देते हैं ?
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