सुज्ञ जी ने भी कुर्बानी के विरोध में पोस्ट लगाई है मगर एक फ़र्क़ है.
शिल्पा जी अपने लिए जो अधिकार चाहती हैं , ठीक वही अधिकार दूसरे के लिए वह नहीं मानतीं मगर सुज्ञ जी के ब्लॉग पर ऐसा नहीं है,
मुलाहिज़ा कीजिये -
पशु-बलि : प्रतीकात्मक कुरीति पर आधारित हिंसक प्रवृति
http://niraamish.blogspot.com/2011/11/mass-animal-sacrifice-on-eid.html
1 comments:
अनवर जमाल भाई साहब
मैंने आपका कमेन्ट तो पब्लिश किया ना ?
जो आपका कमेन्ट आया ( जिसे मैंने पब्लिश भी किया - अनाधिकार चेष्टा वाला ) उसमे जो नाराज़गी का पुट था - उसी के कारण चर्चा बंद कर दी मैंने वहां | मैं चर्चा तो करती हूँ , बहस नहीं करती | न मेरा उद्देश्य कभी किसी की धार्मिक आस्थाओं को ठेस पहुंचाना रहा है - न कभी होगा | जब - जहाँ - जो - मुझे सही लगता है / गलत लगता है - वह यदि मेरी अंतरात्मा की आवाज़ हो, तो मैं उस पर चर्चा करती हूँ , और आगे भी करूंगी | यह बात मैं इस ब्लॉग जगत में कई लोगों से कह चुकी हूँ, आज आपसे भी कह रही हूँ |
परंतु , मैं जितना अधिकार अपना मानती हूँ अपनी आपत्ति कहने का, उतना ही दूसरे का भी मानती हूँ मुझसे असहमत रहने का | i believe in individual freedom of thought and decision . जो आपने कहा ".....शिल्पा जी अपने लिए जो अधिकार चाहती हैं , वह अधिकार वह दूसरे के लिए नहीं मानतीं . " इससे मैं असहमत हूँ, फिर भी - आपको अधिकार है कि आप ऐसा सोचना चाहें, तो ज़रूर सोचें, बल्कि सिर्फ सोचें ही क्यों , कहें भी , mujhe koi aapatti nahi |
:)
vaise yah comment dr sahab ke blog par 4 baar post kar chuki hoon - ab vahaan nahi hi aa rahaa - to socha ki yahaan bhi kar ke dekh loon :)
पहले भी कहा था - अब फिर कहूँगी - जितने आप अल्लाह के बन्दे हैं, उतनी ही मैं भी हूँ | जैसे आपके लिए पवित्र कुरान का स्थान है - मेरे लिए भी है | किन्तु वेदों का मुझे कोई ज्ञान नहीं है | तो उस विषय पर मैं क्या बात कर पाऊँगी ? मेरी काबिलियत नहीं है कि वेदों पर बात कर पाऊँ , क्योंकि उस बारे में मुझे जानकारी ही नहीं है | तो उस पर चर्चा के लिए तो आपको किसी जानकार से बात करनी होगी | मुझ जैसी अज्ञानी से नहीं |
:)
यह कमेन्ट ( जो आपने यहाँ लिखा ) तो आपने निरामिष पर किया है | आप कन्फ्यूज़ हो रहे हैं शायद | यह कमेन्ट निरामिष पर पब्लिश हुआ भी है - मैंने खुद देखा है वहां |
फिर भी - आपको लगता है कि मैंने आपका कमेन्ट पब्लिश नहीं किया - तो माफ़ी चाहती हूँ | मुझे खेद है | वैसे आप काफी ज्ञानवान व्यक्ति हैं, और काफी समय से मुझसे चर्चाएं करते आये हैं - आपने मेरे बारे में ऐसा सोचा - इस पर मुझे आश्चर्य है (dukh nahi - sirf aashchary hai )
और एक बात - मैंने बार बार कहा कि मेरी पोस्ट मांसाहार के विरोध या पक्ष में नहीं है , न ही मैंने कहीं भी किसी मांसाहारी को असुर कहा है कभी भी | मेरे बहुत से नजदीकी मित्र मांसाहार लेते हैं, परिवार जन भी | और वे सब बहुत अच्छे लोग हैं | मैंने इस असुर वाली बात से स्वयं ही सहमत नहीं हूँ | विवेकनद जी के बारे में कुछ भी कहने में असमर्थ हूँ, क्योंकि मुझे जानकारी नहीं उनके बारे में भी |
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