आपकी स्किन और आपकी जवानी को बरक़रार रखते हैं अंडे Egg eating


त्वचा पर माहौल के अलावा खान पान का असर भी पड़ता है।
हमारी ही तरह हमारी त्वचा भी पोषण मांगती है।
यह सीधे ही ग्रहण करती है।
अंडा इसके लिए एक उपयुक्त आहार है।
इसे आप दो लिंक्स पर देखें-

1- स्किन को भी चाहिए स्पेशल फूड Special Food
http://aryabhojan.blogspot.com/2011/06/special-food.html

2- क्या दफ्तर में आप उनींदे रहतें हैं ? यदि हाँ तो चौकन्ना रहने के लिए खाइए अंडे.
http://sb.samwaad.com/2012/01/blog-post.html 


 




अब साइंसदान एग यलो के गुण गायन में कह रहें हैं- यदि कामकाजी स्थल पर आप उनींदे रहते हैं जब तब नैप के लपेटे में आते है तब चुस्त दुरुस्त चौकन्ने बने रहने के लिए बस एक अंडा रोज़ खाइए इसके सफ़ेद भाग में मौजूद प्रोटीन आप को सचेत बनाए रहेगी.

http://aryabhojan.blogspot.com/2012/01/impotency.html
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फेसबुक के दोस्तों को अलविदा !

लो दोस्तों, आपने पुराने साल को विदा कर दिया है. अब मुझे भी विदा करों. ज्यादा जानकारी एक दो दिन में दूँगा. अपनी विदाई पर इन शब्दों के साथ कर रहा हूँ. गौर कीजियेगा कि:- "अरी ओ फेसबुक, अगर जिन्दा रहे तो तेरे पास आ जायेंगे, वरना नए डाक्टरों के रिसर्च* (शोध) के काम आ जायेंगे" 
हाँ, दोस्तों यह बिल्कुल सच है. लौट सके तो नए शब्दों की रचना करेंगे. वरना...अब तक लिखे को ही दोस्त पढ़ते रह जायेंगे. श्री अहमद फ़राज़ साहब का कहना कि:-चलो कुछ दिनों के लिये दुनिया छोड़ देते है ! सुना है लोग बहुत याद करते हैं चले जाने के बाद !! 
*सिखने/सिखाने के उद्देश्य की जाने वाली चीरफाड़.
क्या आदमी को बुजदिलों की मौत मरना चाहिए या वीरों की ? 
शीर्षक में पूछे प्रश्न का उत्तर कहूँ या टिप्पणी दें. 
 दोस्तों, फेसबुक की मेरी वाल पर और ब्लोगों पर इतना है कि अगले चार महीने में पूरा पढ़ भी नहीं पायेंगे. आप और आपकी दुआओं से जीवन रहा तो आप लोगों का "सिर-फिराने" के लिए हाजिर हो जायेगें.यह दुनियाँ ही चला-चली की है. मैं जाऊँगा तब ही तो दूसरा आएगा.आज हममें भोग-विलास की वस्तुओं से मोह ज्यादा है.जब भी समय मिले तब ब्लॉग और वाल जरुर पढ़ें.मैं जानता हूँ कि लोग अभी नहीं पढ़ेंगे लेकिन मेरी मौत के बाद एक-एक शब्द पढेंगे.यह मुझे मालूम है. शायद आपको पता हो कि-हमें डिप्रेशन और डिमेंशिया की बीमारी है. अब अगले चार महीनों में उस पर विजय भी प्राप्त कर लेंगे.
पूरा लेख यहाँ पर क्लिक करके पढ़ें.
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दिशाहीन/भटकी हुई पत्नी को समर्पित कुछ पंक्तियाँ

दोस्तों, आज अपनी दिशाहीन और भटकी हुई पत्नी को समर्पित कुछ पंक्तियाँ गौर कीजियेगा. अर्ज है कि :- 

जब-जब मुझे(१) तुम्हारी जरूरत थी, 
तब-तब तुम मेरे साथ नहीं थीं. 
जब-जब तुम्हें(२) मेरी जरूरत थी, 
तब-तब मैं तुम्हारे साथ(३) था. 
दुआ है भगवान से जब मेरी मौत(४) हो, 
तब भी तुम साथ न हो. 
जब सफलता तुम्हारें कदम(५) चूमें, 
तब-तब मेरी बातें व आत्मा(६) तुम्हारें साथ हों.

१. खूनी ववासिर की बीमारी, पत्थरी का ऑपरेशन, टाइफाईड, डिप्रेशन व डिमेंशिया आदि अनेकों बिमारियाँ.
 
२. नसें काटकर, फिनाईल की गोली खाकर आत्महत्या करने का प्रयास करने पर बचाने के लिए इलाज के समय और पहले बच्चे को जानबूझकर दर्दनिवारक गोली खाकर नुक्सान पहुँचाने पर इलाज के समय.
 
३.धन से, मन से, शरीर से और आत्मा से तुम्हारे साथ था. 
 
४. तुम्हारे झूठे केसों से परेशान होने के कारण बनी बिमारियाँ या भविष्य में दिमाग की नस फटने के कारण या किसी प्रकार की दुर्घटना के कारण हो.
 
५. अपनी गलतियों का प्रश्चाताप करके आगे बढ़ों और अपना सुखमय जीवन व्यतीत करों.
 
६. जब तुम सफल हो तब हम जिन्दा न हो यानि हमारा शरीर इस संसार में ना हो.
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असभ्य टिप्पणियां प्रकाशित करने के बारे में आपका विचार क्या है ? Ideal Blogging

लोग विपरीत विचार सामने आते ही या तो पलायन का रूख़ इख्तियार कर लेते हैं या फिर फ़र्ज़ी आईडी से अपमानजनक टिप्पणियां करने लगते हैं ताकि विपरीत विचार वाले का हौसला तोड़ा जा सके। यह प्रक्रिया विचार विमर्श के अनुकूल नहीं है। जो लोग विचार विमर्श का दंभ भरते हैं वे भी ऐसी असभ्य टिप्पणियां प्रकाशित करते देखे जाते हैं।
जब हौसला नहीं है विपरीत विचार को सहन करने का तो फिर ब्लॉगिंग जैसे खुले मंच पर ये लोग आते ही क्यों हैं ?
सुज्ञ जी कहते हैं कि
मुझे आश्चर्य होता है कि जब हमनें ब्लॉग रूपी ‘खुला प्रतिक्रियात्मक मंच’ चुना है तो अब परस्पर विपरित विचारों से क्षोभ क्यों? यह मंच ही विचारों के आदान प्रदान का है। मात्र जानकारी अथवा सूचनाएं ही संग्रह करने का नहीं। आपकी कोई भी विचारधारा इतनी सुदृढ नहीं हो सकती कि उस पर प्रतितर्क ही न आए।
हम उनके कथन से सहमत हैं .
इस पर हमारा कहना यह है कि
ब्लॉगिंग में विचार देना और तर्क-प्रतितर्क करना अच्छी बात है लेकिन यह पढ़े लिखे और सभ्य लोगों का मंच है। इसलिए भाषा शैली में सभ्यता और शालीनता ज़रूर होनी चाहिए। इससे एक अच्छा माहौल बनेगा, किसी भी विचार विमर्श के लिए ऐसा माहौल बनाए रखना बहुत ज़रूरी है।
इस मुददे पर आपके विचार भी आमंत्रित हैं।
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हिंदी अति सरल और मीठी भाषा हैं

 युधवीर सिंह लाम्बा भारतीय का कहना कि-हिंदी अति सरल और मीठी भाषा हैं। हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। तभी तो देश के बाहर भी हिंदी ने अपना स्थान बना सकने में सफलता हासिल किया है। फ़िजी, नेपाल, मोरिशोस, गयाना, सूरीनाम यहाँ तक चाइना और रसिया में भी हिंदी अच्छी तरह बोली और पढ़ी जाती है।
*हिन्दी के प्रभाव और क्षमता को अब विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियां भी सलाम कर रही है। विश्व में मोबाइल की सबसे बड़ी कंपनी नोकिया ने हाल ही लन्दन में अपने तीन नए मॉडल बाजार में उतारे। आपको ये जानकर खुशी होगी कि इन तीनो मॉडल्स को कंपनी ने हिन्दी का नाम दिया है। इन्हें अमेरिका, यूरोप और एशिया यानी पूरी दुनिया में आशा-300 और आशा-200 मॉडल के फोन लांच किए जाएंगे।
*अटल बिहारी वाजपयी वे पहले भारतीय थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ (1977) में हिंदी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था। (अटल बिहारी वाजपयी 1977 में विदेश मंत्री थे)
*जुरासिक पार्क जैसी अति प्रसिध्द हॉलीवुड फ़िल्म को भी अधिक मुनाफ़े के लिए हिंदी में डब किया जाना जरूरी हो गया । इसके हिंदी संस्करण ने भारत में इतने पैसे कमाए जितने अंग्रेजी संस्करण ने पूरे विश्व में नहीं कमाए थे ।
*अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने 114 मिलियन डॉलर की एक विशेष राशि अमरीका में हिंदी, चीनी और अरबी भाषाएं सीखाने के लिए स्वीकृत की है । इससे स्पष्ट होता है कि हिंदी के महत्व को विश्व में कितनी गंभीरता से अनुभव किया जा रहा है ।
*हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है। - मैथिलीशरण गुप्त।
*बह्म समाज के नेता बंगला-भाषी केशवचंद्र सेन ने भी हिन्दी का समर्थन किया था।
* गुजराती भाषा-भाषी स्वामी दयानंद सरस्वती ने जनता के बीच जाने के लिए 'जन-भाषा' हिन्दी सीखने का आग्रह किया ।
*गुजराती भाषा-भाषी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने मराठी-भाषा-भाषी चाचा कालेलकर जी को सारे भारत में घूम-घूमकर हिन्दी का प्रचार-प्रसार करने का आदेश दिया।
*सुभाषचंद्र बोस की 'आजाद हिन्द फौज' की राष्ट्रभाषा हिन्दी ही थी।
*श्री अरविंद घोष हिन्दी-प्रचार को स्वाधीनता-संग्राम का एक अंग मानते थे।
* नागरी लिपि के प्रबल समर्थक न्यायमूर्ति श्री शारदाचरण मित्र ने तो ई. सन् 1910 में यहां तक कहा था - यद्यपि मैं बंगाली हूं तथापि इस वृद्धावस्था में मेरे लिए वह गौरव का दिन होगा जिस दिन मैं सारे भारतवासियों के साथ, 'साधु हिन्दी' में वार्तालाप करूंगा।
* अहिन्दी-भाषी-मनीषियों में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय और ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने भी हिन्दी का समर्थन किया था।
*अनेक देश हिंदी कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं, जिनमें बीबीसी, यूएई क़े 'हम एफ-एम' ,जर्मनी के डॉयचे वेले, जापान के एनएचके वर्ल्ड और चीन के चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिंदी सेवा विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
पूरा लेख यहाँ पर क्लिक करके पढ़ें.
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दोस्त के नाम पर कलंक है सिरफिरा

म दोस्त के नाम पर कलंक है. चलो कुछ तो है. हम तो खुद को किसी काबिल समझते ही नहीं थें. आज फख्र हो रहा है कि हम कलंक के काबिल तो है.
लो दोस्तों ! मैं आपको पहले ही कहता था कि मैं अनपढ़ और गंवार/ सिरफिरा इंसान किसी भी काबिल नहीं हूँ. मगर आप अपने प्यार और स्नेह से मुझे खजूर के पेड़ पर चढाते रहे. हम आप सब अनेकों बार कहते रहे कि आप तुच्छ इंसान को तुच्छ ही रहने दो. हमें खजूर के पेड़ पर मत चढाओं. हममें भी अनेकों अवगुण है. हम भी गलतियों के पुतले है. हमसे भी गलतियाँ होती है. मगर आप तो हमारी चापलूसी करते थें शायद.  फेसबुक के प्रयोगकर्त्ता हमारे इस लिंक (जरा देखें-http://www.facebook.com/note.php?note_id=271490346234943)पर टिप्पणी की है. श्री गोपाल झा जी (http://facebook.com/gopaljha73) तो यह कहते हैं कि "सिरफिरा जी आप काफी घमंडी है और इतना घंमड ठीक नहीं होता है दोस्ती के लिये आप दोस्त के नाम पर कलंक है. आप लोग को भ्रमित करते है. जिनका स्वयं (Gopal के बारे में) के बारें में कहना है कि-निगान्हे निगाहों से मिला कर तो देखो,हम से रिश्ता बना कर तो देखो. अपनी प्रशंसा मैं स्वयं कैसे करूँ ? निन्दा करना मुझे आता नहीं. अब बताए कौन सही कह रहा है और कौन झूठ कह रहा है. इसका फैसला कैसे करूँ ? कुछ मुझे रास्ता दिखाए आप सभी.
         दोस्तों, मुझे तो लगता है कि मुझे अपना बहुत बड़ा आलोचक मिल गया. आपकी क्या राय है ? अब देखिये आलोचक द्वारा कुछ देने पर समर्थकों का भडकना स्वाभाविक है. जैसे-सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ "जन लोकपाल" कानून बनाने की नीयत अच्छी ना होने के श्री अन्ना हजारे के ब्यान पर सरकार के मंत्रियों ने भटकना शुरू कर दिया. कुछ बुध्दिजीवी वर्ग के नेता तो असभ्य और सभ्य भाषा में फर्क तक भूलकर लगे आरोप लगाने अन्ना टीम पर. इसलिए दोस्तों अपनी बात कहते हुए सयम रखना. लोगों को भी पता चले कि सिरफिरा के दोस्त सभ्य भाषा में अपने विचारों की अभिव्यक्ति करना जानते है.  आप मेरे एक नौजवान(इनकी उम्र कम और थोडा जवानी का जोश भी है) मित्र ने ऑनलाइन वार्तालाप में गलती कर दी थी. इसलिए उसकी वार्तालाप भी डाल रहा हूँ. पूरा लेख यहाँ पर क्लिक करके पढ़ें.
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तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हारे अधिकारों के लिए अपना खून बहा दूँगा!

दोस्तों ! आपको पता है या नहीं मुझे पता नहीं है. मैंने दो बार चुनाव लड़े है. अगर आप मेरे सारे ब्लोगों की एक-एक पोस्ट को पढ़ें. तब आपको काफी जानकारी मिल जायेगी. हमने दो बार निर्दलीय चुनाव लड़े है. चुनाव चिन्ह "कैमरा" यानि तीसरी आँख से दोनों बार हारा हूँ. मगर अफ़सोस नहीं मुझे जितनी भी मुझे वोट मिले वो मेरी कार्यशैली और विचारधारा से मिली थी। इस बात खुशी है कि मैंने वोट लेने के लिए किसी को दारू नहीं पिलाई और न किसी को धमकाया या किसी प्रकार का लालच नहीं दिया. सब लोगों ने अपने विवेक से वोट दिया था.
मेरे पास भारत देश को लेकर बहुत बड़ी सोच (विचारधारा+योजना) है। जिसका प्रयोग करके 'सोने की चिडियाँ" कहलवाने वाले भारत देश को "अमरीका" जैसे बीसियों देशों से आगे ले जाकर खड़ा कर दूँगा. हाँ, मैं जैसे यहाँ (गूगल,फेसबुक) पर नियमों को लेकर बहुत सख्त हूँ. उसी प्रकार से "हिटलर" जैसा तानाशाही प्रधानमंत्री बन देश को सिर्फ दो साल चलाना चाहता हूँ. उसके बाद जनता की अनुमति के बाद अगले तीन साल देश की बागडोर संभालूँगा. आज मेरे पास कुछ निजी कारणों से ( जिनसे शायद आप नहीं अधिकत्तर समूह के सदस्य और दोस्त कहूँ या पाठक परिचित भी है) पार्टी बनाने के लिए एक चवन्नी भी नहीं है. मगर देखो ख्याब देश को चलाने का और प्रधानमंत्री बनने का देख रहा हूँ. इसको कहते हैं ना हैं...हौंसला. बस मुझे ऐसे ही सिर्फ फ़िलहाल पूरे देश से 545 "सिरफिरे" भूखें-नंगे लोगों की जरूरत है. जिनको मैं सिर्फ रोटी-कपड़ा-मकान दूँगा. उनके अंदर मेरे हिसाब से वो गुणवत्ता होनी चाहिए. जिसकी मुझे चाह है. फिर आप देखते रह जायेंगे. समृद्ध भारत देश का नाम पूरे विश्व में एक नया उदाहरण देने वाला के रूप में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा. अब आप बताये भूखे-नंगे सिरफिरे लोगों आप अपनी वोट डालने के लिए जायेंगे. घर पर बैठकर चाय की चुस्कियां लेते हुए टी.वी. पर फिल्म तो नहीं देखेंगे. अगर आप लोग देखते रह गए. तब 545 सिरफिरे चुनाव में हार जायेंगे और फिर कोई दल चुनाव जीतकर अपने स्विस के बैंक भर लेगा.
आज श्री अन्ना हजारे जी और बाबा रामदेव जी राजनीति में आने का कोई स्पष्ट इशारा नहीं दें रहें है. मेरे पास कुछ नहीं है.मगर अपने हौंसले के कारण बिना किसी सहारे के बिलकुल स्पष्ट इशारा देते हुए कह रहा हूँ कि-बिना गंदगी में उतरे गंदगी की सफाई नहीं की जा सकती है. मैंने दोनों व्यक्तियों के पास अपनी विचारधारा पहुँचाने के प्रयास किये मगर वहाँ से किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं मिली. श्री अन्ना हजारे जी को लिखा पत्र तो मेरे ब्लॉग पर भी है.
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हम बुध्दिजीवी कब से एक धर्म के हो गए ?

क्या हम सब बुध्दिजीवी एक दूसरे के घर्म को नीचा दिखाने के लिए सोशल वेबसाइट (फेसबुक, गूगल, ब्लॉग और ऑरकुट आदि) एकत्रित हुए है ? हम बुध्दिजीवी कब से एक धर्म के हो गए ? क्या हम सब धर्म से बढ़कर "इंसानियत" को ही अपना सबसे बड़ा धर्म नहीं मानते हैं ?
मैंने अपने पिछले दो सालों की रिसर्च (शोध) कार्य में महसूस किया कि कोई(कुछ) हिंदू, मुस्लिम धर्म की बुराई कर रहा और कोई मुस्लिम भाई, हिंदू धर्म की बुराई कर रहा है. इसी प्रकार हर(कुछ) धर्म के अनुयायी सोशल वेबसाइटों को उपयोग दूसरे धर्मों की बुराई करने के कर रहा है. हम आखिर कब देश को आगे लेकर जाने के लिए विचार करना और लिखना शुरू करेंगे. 
यह मेरे विचार है कि हम बुध्दिजीवी अगर कुछ नहीं कर सकते है. तब किसी धर्म, जाति, व्यक्ति विशेष को नीचा दिखाने का कार्य भी नहीं करना चाहिए. देश में फैली बुराइयों को खत्म करने के लिए "कुछ" कहूँ या थोडा-सा कार्य करना चाहिए.

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नववर्ष 2012 की हार्दिक शुभकामनाएँ

आओ दोस्तों ! नववर्ष 2012 में प्रतिज्ञा लें कि "एक दीया तुम जलाओ, एक दीया हम जलाएं. कुछ अँधेरा तुम मिटाओ, कुछ अँधेरा हम मिटाएं" आप व आपके परिवार के सभी सदस्यों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ. 
नव वर्ष 2012 आपके एवं आपके परिवार के लिए सुख, शांति, सम्पन्नता, समृद्धि एवं सफलता लेकर आए । ईश्वर से नववर्ष पर यही कामना है।
   एक संकलन रचना पर गौर कीजिए:-
"चंद लम्हे ही सही"
चंद लम्हे ही सही , तेरा मेरा साथ चले ,
जब भी यारों में चले , तेरी मेरी बात चले ।
लोग हँसते रहें , खामोश हम अकेले में
देखते जाएँ जो तूफान और बरसात चले ।
बस तू एक बार ठहर जाओ मेरी बाहों में
अब्र में चाँद जो चाहे तो सारी रात चले ।
और सिरफिरा तुझे क्या चाहिए जमाने से
जब तलक चल सके ये पागले हालात चले ।
 
*******************
"उच्च आदर्शों के पुष्प चढ़ाएँ"
नए साल की प्रातः बेला में,
आओ मिलकर दिया जलाएँ;
ईश्वर से हम करें प्रार्थना,
उच्च आदर्शों के पुष्प चढ़ाएँ.
सरक जाता है जिस तरह रेत
समझ ले मानव मुठ्ठी से,
निकल गया यह कालखंड भी
सरककर आज हमारी मुठ्ठी से;
दुर्गुणों पर विजय करें हम
देश का जग में मान बढाएँ;
नए साल की प्रातः बेला में,
आओ मिलकर दिया जलाएँ.
क्या खोया क्या पाया हमने,
देखी प्रभु की माया हमने?
भटक रहे हम जिसकी खोज में
क्या उसे पाकर भी पाया हमने?
भटक गए हम स्वयं के अरण्य में
आओ खुद का पता लगाएँ;
नए साल की प्रातः बेला में,
आओ मिलकर दिया जलाएँ.
क्या सीखा हमने इस बीते वर्ष से?
क्या किया हमने इस बीते वर्ष में?
सोंचा है कभी शांतचित्त होकर
करना क्या है नए वर्ष में?
आओ मिलकर सोंचें-विचारें
नववर्ष की योजना बनाएँ;
नए साल की प्रातः बेला में,
आओ मिलकर दिया जलाएँ.
 
आया है समय नए अवसर लेकर 
करें प्रयत्न हम नव निर्माण का;
बीते दिनों के ध्वंस भुलाकर
करें स्वागत हम नवविहान का;
जाना है हमें मंजिल तक
आओ मिलकर कदम बढाएँ;
नए साल की प्रातः बेला में,
आओ मिलकर दिया जलाएँ;
ईश्वर से हम करें प्रार्थना,
उच्च आदर्शों के पुष्प चढ़ाएँ.
*********************
     मुझे अपनी वहकी हुई और पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा पार करती मेरी "कलम" के लिए मुझे फाँसी की भी सजा होती है।तब मैं अपनी फाँसी के समय से पहले ही फाँसी का फंदा चूमने के लिए तैयार रहूँगा और देश के ऊपर कुर्बान होने के लिए अपनी खुशनसीबी समझूंगा. इसके साथ ही मृत देह (शरीर) को दान करने की इच्छा है और अपनी हडियों की "कलम" बनवाकर देशहित में लिखने वाले पत्रकारों को बांटने की वसीयत करके जाऊँगा.  
http://shakuntalapress.blogspot.com/2012/01/blog-post.html
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सूफ़ियों का तरीक़ा ए तालीम What is Sufism Tasawwuf ? [English] Shaykh-ul-Islam Dr.Tahir-ul-Qadri 1/3

हज़रत ख्वाजा बाक़ी बिल्लाह रहमतुल्लाह अलैह (1563-1603) की आमद के साथ ही नक्शबंदी सिलसिला हिंदुस्तान में आया। नक्शबंदी सूफ़ियों की तालीम में हमने देखा है कि उनकी एक तवज्जो (शक्तिपात) से ही मुरीद के दिल से रब का नाम ‘अल्लाह अल्लाह‘ जारी हो जाता है यानि चाहे वह किसी से बात कर रहा हो या कुछ और ही सोच रहा हो या सो रहा हो लेकिन रब का नाम उसके दिल से लगातार जारी रहता है। जिसे अगर शैख़ चाहे तो मुरीद अपने कानों से भी सुन सकता है बल्कि पूरा मजमा उसके दिल से आने वाली आवाज़ को सुन सकता है। इसे ‘लतीफ़ा ए क़ल्ब का जारी होना‘ कहा जाता है। लतीफ़ अर्थात सूक्ष्म होने की वजह से इन्हें लतीफ़ा कहा जाता है। हिंदी में इन्हें चक्र कहा जाता है।
इसके बाद शैख़ की निगरानी में मुरीद एक के बाद एक चार लतीफ़ों से भी ज़िक्र करता है। ये भी अल्लाह के ज़िक्र से जारी हो जाते हैं। ये पांचों लतीफ़े इंसान के सीने में पाए जाते हैं। इस तरह सीने में पांच लतीफ़े अल्लाह के ज़िक्र से जारी हो जाते हैं। इन पांचों लतीफ़ों के नाम यह हैं-
1. लतीफ़ा ए क़ल्ब
2. लतीफ़ा ए रूह
3. लतीफ़ा ए सिर्र
4. लतीफ़ा ए ख़फ़ी
5. लतीफ़ा ए इख़्फ़ा


इसके बाद छठे लतीफ़े से ‘अल्लाह अल्लाह‘ का ज़िक्र किया जाता है। इस लतीफ़े का नाम है ‘लतीफ़ा ए उम्मुद्-दिमाग़‘। यह लतीफ़ा सिर के बीचों बीच होता है। इस तरह थोड़े ही दिन बाद बिना किसी भारी साधना के यह नाम शरीर के हरेक रोम से और ख़ून के हरेक क़तरे से जारी हो जाता है। इस ज़िक्र की ख़ासियत यह होती है कि ‘अल्लाह अल्लाह‘ की आवाज़ जब सुनाई देती है तो इस ज़िक्र में कोई गैप नहीं होता। यह ज़िक्र एक नाक़ाबिले बयान मसर्रत और आनंद से भर देता है। इसे ‘सुल्तानुल अज़्कार‘ कहते हैं और मुरीद इस मक़ाम को 3 माह से भी कम अवधि में पा लेता है।

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ब्लॉगर्स मीट वीकली (24) Happy New Year 2012

 वंदे ईश्वरम् !
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Wishing you and your Family a Very Happy & Prosperous
New Year 2012.
हे ईश्वर! मुझे वरदान दो
इस दुनिया की चकाचैंध को दिल से दूर कर दो
हे ईश्वर मझे वरदान दो
एक दिन दुनिया को त्यागना है
और तेरे सामने खड़ा होना है
हे ईश्वर! मुझे समझ दो
मेरे विश्वास को शक्ति दो
मेरे गलतियो को माफ़ कर दो
हे ईश्वर! मुझे वरदान दो

जीवन भर तेरी उपासना में लीन रहू
तेरे नाम के साथ जीवन का त्याग करूं
जीवन में हमेशा गरीबो, मजबूरो का साथ देता रहू
हे ईश्वर! मुझे वरदान दो

माता-पिता की सेवा करूं
अपने नबी के दिखाए पथ पर चलूं
उसी पर चलते-चलते ईश्वर से जा मिलूं
हे ईश्वर! मुझे वरदान दो

साजिद भाई का शुक्रिया कि उन्होंने इतनी अच्छी दुआ के साथ हमें नए साल की मुबारकबाद दी है।


मालिक आप सबको शांति के ख़ज़ाने से भर दे Happy New Year 2012

डा. अयाज़ अहमद 

वर्ष 2011 बस अब जा ही चुका है और वर्ष 2012 आपके सामने है।
हम आपके लिए शांति की कामना करते हैं।
मालिक आप सबको शांति के ख़ज़ाने से भर दे।
मालिक आपको ऐसी शांति दे, 
जो सदा आपके साथ बनी रहे।
वर्ष 2012 आपके लिए एक अवसर है, शांति पाने का

HBFI  मंच की पोस्ट्स 

 अनवर जमाल की रचनाएँ 

सभी को नए साल २०१२ की मुबारकबाद


आप सभी को नए साल २०१२ की मुबारकबाद .मालिक हम सबको हर मुसीबत से बचाए और हरेक नेकी का रास्ता दिखाए ताकि हमारा अंजाम अच्छा हो.आमीन . 


अन्ना ख़ालिस देहाती आदमी हैं।

वे कांग्रेस को हराने के लिए कमर कस चुके हैं।
कोई दूसरा होता तो इस काम के लिए भी पैसे पकड़ लिए होते किसी से
लेकिन हमारे अन्ना यह काम बिल्कुल मुफ़्त कर देंगे,
बिल्कुल किसी हिंदी ब्लॉगर की तरह।

ब्लॉगर्स मीट वीकली (23) Merry Christmas


वंदे ईश्वरम् ! सभी ब्लॉगर्स साथियों का स्वागत है। मोहतरमा प्रेरणा अर्गल जी दो हफ़्ते के टूर पर हैं, सो खि़दमत बस हमें ही अंजाम देनी है

 

रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिर्फिरा जी "की रचना 

क्या उसूलों पर चलने वालों का कोई घर नहीं होता है ?...


रश्मि प्रभा जी

तुम्हें याद रहे


जिसे नहीं रहना अब उसे लहरें अपने आगोश की पनाह देती हैं फिर मंथन मंथन मंथन और यादें बाहर रख जाती हैं कुछ मीठी कुछ खट्टी कुछ तीती कुछ ज़हरीली ....सिर्फ ज़हर क्यूँ उठाना ?अगर उठाना ही चाहते हो तो एक बार सागर को देखो
ई . प्रदीप कुमार साहनी

जियेंगे नए साल में, जिन्दगी तुझे फिर से,अश्कों को लेकर हम खुशियाँ उधार देंगे;काँटों से भी रण गर होता है तो हो ले,जीने का सलीका अब फिर सुधार देंगे | बहुत हो गया, बहुत सहा, बस, अब नहीं है होता,इस नैतिक गुलामी को तेरे मुँह पे मार देंगे;
दिलबाग विर्क जी

साहित्य सुरभि: हो मुबारिक साल नया

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी

झा जी कहिन: आओ बात करें ....१

Disha Verma

 
साथियो ! ब्लॉगर्स मीट वीकली की ताज़ा पोस्ट आधा तैयार हो चुकी थी कि अचानक नेट प्रॉब्लम करने लगा और फिर वक्त हो गया घर से निकलने का, अपने कर्तव्य की अदायगी के लिए। नेट की ज़िंदगी के बीच हमें यह भूल नहीं जाना चाहिए कि हमारे बाल-बच्चों का भी हम पर हक़ है और उनकी शिक्षा और उनकी परवरिश हमारे ही ज़िम्मे है।
अब लौटे हैं और देख रहे हैं,
मंच से बाहर की पोस्ट्स

दोस्तों! ब्लॉगों पर मंगल नववर्ष के चर्चा की ख़ुमारी छाई है।
‘‘आखर है एकै गिरा, ‘मंगल हो नववर्ष’,
सुख-समरिद्धी-शान्ति हो, छाये सब में हर्ष।’’
-चन्द्र भूषण मिश्र 'गाफ़िल'
सो
आप सब की खि़दमत में पेश है इन्हीं जज्बातों से लबरेज़, चर्चामंच की आज की पेशकश 
धन धान्य भरै, घर क्लेश मिटै (सोमवारीय चर्चामंच-746)
रचना का अलबेला अरमान 
(स्पेशल अपील - बुरा न मानो होली है वाले जज़्बात लेकर मेरी यह रचना पढ़ी जाए, तभी आप इसका लुत्फ़ ले सकेंगे।)


मुशायरा ब्लॉग

दल उभरता नहीं, संगठन के बिना


स्वर सँवरता नहीं, आचमन के बिना।
पग ठहरता नहीं, आगमन के बिना।।                                                  

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)


 ब्लॉग जगत में ‘सायबर जर्नलिज़्म‘ का सूत्रपात
वर्ष 2011 में हमने ‘ब्लॉग की ख़बरें के नाम से एक ऐसे समाचार पत्र की शुरूआत की जो कि केवल सायबर जगत की ख़बरें देता है। इस तरह हमने एक नए पथ का निर्माण किया और फिर उसके बाद इसी पैटर्न पर हमारी टीम के एक सदस्य ने ‘भारतीय ब्लॉग समाचार‘ के नाम से एक ब्लॉग शुरू किया और अब ‘ब्लॉग बुलेटिन‘ के नाम से एक तीसरा समाचार पत्र भी वुजूद में आ चुका है। यह एक बड़ी उपलब्धि है।
साथ ही यह दुखद भी है कि ब्लॉग जगत में ‘सायबर जर्नलिज़्म‘ का सूत्रपात करने के हमारे कारनामे को जानबूझकर नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। हम इसे ब्लॉग जगत का भ्रष्टाचार शुमार करते हैं।
देखिए ‘ब्लॉग की ख़बरें‘
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अंधेर नगरी का लोकतंत्र

नए साल का पहला दिन आराम का दिन था। आज काम का दिन है। हर नया साल चुनौतियों का साल होता है। पर हर साल की चुनौतियाँ गुणधर्म और प्रकृति में अनोखी होती हैं। हर दिन और हर क्षण पहले से फर्क होता है। पर जब हम समय का दायरा बढ़ाते हैं तो उन दायरों की प्रकृति भी परिभाषित होती है। पिछला साल दुनियाभर में स्वतः स्फूर्त जनांदोलनों का साल था।
साधना वैद जी ‘सुधिनामा‘ पर नए साल का स्वागत करते हुए मिलीं

है स्वागतम् ! सुस्वागतम् !

 इससे पहले की रचना में साधना जी ईश्वर को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रही थीं कि विधाता ने मोक्ष को सात तालों में क्यों छिपा लिया है ?
जबकि हक़ीक़त यह है
कि ईश्वर ने हमें निष्पाप और मासूम पैदा किया है, उनकी रचना पर हमने अपने ब्लॉग ‘वेद क़ुरआन‘ पर चर्चा की है। इसे आप भी देखिए

मोक्ष के लिए आपको पुनर्जन्म और आवागमन में अंतर जानना होगा Salvation

यह पीड़ा केवल एक साधना जी की ही नहीं है बल्कि बहुत से मन इस पीड़ा से कराह रहे हैं .
भारतीय नागरिक भ्रष्टाचार पर अरण्य रोदन करते हुए मिले तो हमने उन्हें बताया कि भ्रष्टाचार का ख़ात्मा कैसे हो सकता है ?
दरअस्ल भातीय नागरिक जी ने ‘उच्चारण‘ ब्लॉग पर हमारा कमेंट देखकर हमें संबोधित करते हुए एक टिप्पणी कर दी थी। जिसे आप यहां देख सकते हैं और इस तरह आप आदरणीय रूपचंद शास्त्री जी की एक बेहतरीन रचना से रू ब रू भी हो जाएंगे।
मन-सुमन हमेशा खिले रहें,
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई के,
हृदय हमेशा मिले रहें,

हम उनकी बात से सहमत हैं।
सबसे बड़ा शुभ काम यह है कि बंदा अपनी बग़ावत से बाज़ आ जाए और वह अपने रब के सामने समर्पण कर दे। ऐसा करते ही वह स्वर्गिक शांति का अनुभव करेगा।  
महेंद्र श्रीवास्तव जी ने एक आवाज़ लगाई है जिस पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाना चाहिए ताकि हिंदी ब्लॉगिंग मात्र मनोरंजन तक ही सीमित न रहे और जो ब्लॉगर रचनात्मक काम कर रहे हैं उनमें समान मुददों पर सहयोग का माद्दा बढ़े। तब कोई गंभीर ब्लॉगर यह नहीं कहेगा कि

हां ब्लागर होने पर मैं हूं शर्मिंदा ...

बडा सवाल ये है कि क्या हम ऐसा करने के लिए तैयार हैं ?

एक आवाज़ रमेश कुमार जैन ‘सिरफिरा‘ जी ने भी लगाई है और ऐसी लगाई है कि जवाब देते नहीं बन रहा है उनसे, जिनसे वह पूछ रहे हैं कि

आप मुझे "बकवास" शब्द की परिभाषा बताएं ?

 

ZEAL: मेरा तुमसे मतभेद है मनभेद नहीं 
@दिव्या श्रीवास्तव जी, आप खुद इसका कितना पालन करती है ? आप एक बुध्दिजीवी वर्ग से आती है यानि आप एक डाक्टर है. अपनी असभ्य भाषा खुद देखें. दिव्या श्रीवास्तव जी, लगता है आप हमसे नाराज है. जो देशहित और समाज हित के हमारे लिंकों बार-बार हटा देती हैं. क्या आप स्वयं भारत देश के प्रति ईमानदार है ? 
  • फ़ेसबुक और ब्लॉगर.कॉम पर जितने भी ग्रुप रमेश की पकड़ में थे, सब जगह यही आवाज़ गूंजती हुई दिख रही थी।
  • धन्य है ब्लॉग जगत जहां सच्चे लोग भी हैं।
वर्ष 2011 में यह भी एक उपलब्धि है कि नवभारत टाइम्स ने अपने पाठकों के लिए ‘अपना ब्लॉग‘ बनाने की सुविधा दे दी। अगर आपने वहां अभी ब्लॉग नहीं बनाया है तो ज़रूर बनाएं। आपको अच्छे पाठक मिलेंगे और बड़ी संख्या में मिलेंगे। जब आप वहां जाएं हमारा ब्लॉग ‘बुनियाद‘ भी आपको वहीं नज़र आएगा। जिसमें हमारे 141 लेख पब्लिश हो चुके हैं।

वर्ष 2011 की एक बड़ी उपलब्धि यह भी है कि 
दुनिया की पहली हिंदी ब्लॉगिंग गाइड वुजूद में आई है और बेहतरीन सलाहियत के मालिकों की कोशिशों से यह हरेक के लिए मुफ़्त उपलब्ध है। इसका ज़िक्र भी बस हम या हमारे महेश जी ही कर देते हैं और अगर हम भी न करें तो कोई यहां ज़िक्र करने वाला भी नहीं है।

हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide

हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide इस तरह की मानसिकता रचनात्मक काम करने वालों को हतोत्साहित करती है।
अच्छा है कि इस तरह की प्रवृत्ति को कम किया जाए और रचनात्मक काम करने वालों की सराहना मुक्त कंठ से की जाए।

महापुरूषों के इतिहास को जानना और उन्हें उचित सम्मान देना भी हमारे लिए ज़रूरी है। आज उन्हीं की वजह से हमें नेकी और बदी की तमीज़ है। इस संदर्भ में

श्री कृष्ण जी को इल्ज़ाम न दो

 

अख़तर ख़ान अकेला जी, रविकर जी और ऐसे ही कुछ और ब्लॉगर्स के लिंक देने की ख्वाहिश दिल में ही रह जाएगी। रात के नौ बज रहे हैं और पोस्ट अभी भी नामुकम्मल ही लग रही है। बहुत से नाम ज़हन में आ रहे हैं लेकिन फिर एक नाम ज़हन में आया
‘प्यारी मां‘ का।

स्त्री शरीर की एक कुदरती प्रक्रिया है मासिक धर्म - *Disclaimer - *यहाँ दी गयी जानकारी केवल शैक्षिक एवं सूचना के प्रसार हेतु है. यह जानकारी किसी भी तरह से चिकित्सीय परामर्श या व्यवसायिक चिकित्सा स्व... 

प्यारी मां ब्लॉग के लिंक के साथ ही इस चर्चा को विराम देते हैं।
हरेक नारी ब्लॉगर को सम्मान देने का यही तरीक़ा हमें उचित लगा।
मां ख़ुश है तो उसकी औलाद भी ख़ुश हो ही जाएगी,
चाहे वे नर हों या नारी !
सभी साहिबान का शुक्रिया कि आप लोग आते हैं और इस मीट को पसंद करते हैं।
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साहित्य सुरभि: हो मुबारिक साल नया

साहित्य सुरभि: हो मुबारिक साल नया: नव जीवन की आस ले , आया है नव वर्ष माहौल बने शान्ति का , फैले हर-सू हर्ष । फैले हर - सू हर्ष , यही कोशिश हो सबकी सुधरें कुछ ह...
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मालिक आप सबको शांति के ख़ज़ाने से भर दे Happy New Year 2012

एक पैग़ाम ईमेल से हमें मिला तो गोया कि हमें शब्द मिल गए नए साल की मुबारकबाद देने के लिए .

[Blog News] मालिक आप सबको शांति के ख़ज़ाने से भर दे Happy 2012

  
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DR. ANWER JAMAL 

<eshvani@gmail.com>
Sat, Dec 31, 2011 at 10:56 AM
To: ayazdbd@gmail.com
वर्ष 2011 बस अब जा ही चुका है और वर्ष 2012 आपके सामने है।
हम आपके लिए शांति की कामना करते हैं।
मालिक आप सबको शांति के ख़ज़ाने से भर दे।
मालिक आपको ऐसी शांति दे,
जो सदा आपके साथ बनी रहे।
वर्ष 2012 आपके लिए एक अवसर है, शांति पाने का।

नए साल के मुबारक मौक़े पर हमारी तरफ़ आपके लिए एक अमूल्य भेंट है,
जो शांति को तुरंत उपलब्ध कराती है।

विभिन्‍न प्रकार की नमाज और उन्हें पढने का तरीका namaz ka tariqa


लाखों हिन्‍दी जानने वाले हमारे भाईयों-बहनों को अरबी न समझने के कारण नमाज़
पढने में दिक्‍कत होती है, उनकी परेशानी को देखते हुये, पेश है ऐसी किताब जो नमाज विषय पर हिन्‍दी में सभी जानकारी देती है .
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गर्मियों की छुट्टियां

अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

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