यदि
नरक को पास से देखना हो तो अहंकार के विचार अपना लीजिये, आपको पूरी दुनिया
स्वार्थी नजर आने लगेगी. मद का दुसरा नाम शराब भी है जिसके पान के बाद
बुद्धि सुप्त हो जाती है.अहंकार से सभी लौकिक और परलौकिक कर्म हमें अन्धकार
के गर्त में ले जाते हैं.
धन-धनवान
होने की भावना हमारे पर शासन करने लग जाये. हमारी सोच हमारे धन तक आकर ठहर
जाये. हमारी द्रष्टि अन्य सद्गुणों की जगह सिर्फ धन को देखने लग जाये.
अहंकार क्या है ?
-जब हम में "मैं" पन जाग जाता है. मैं और मेरे विचार, मेरी सोच ही हर जगह सही है, बाकी सब गौण या मूल्यहीन.
अहंकार होने के कारण-
विद्या-वैसे तो विद्या हमें विनय तक ले जाने वाली होती है मगर हम खुद को विद्धवान समझने की भूल कर देते हैं तब हमें हमारे ज्ञान के अलावा सब फीका लगने लग जाता है.पूरा लेख यहाँ पर क्लिक करके पढ़ें.
2 comments:
sunder, vichaarneey lekh.
@अनामिका जी, आपका धन्यवाद.
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