आरा शहर की घटना है. लगभग 70 वर्ष पुरानी. लेकिन लोगों के बीच अभी भी कही-सुनी जानेवाली. आरा शहर का एक मोहल्ला है शिवगंज. वहां हाल के वर्षों तक रूपम सिनेमा हॉल हुआ करता था. उसके बगल की गली में एक बड़े ही विद्वान पुरोहित रहा करते थे जो अपनी ज्योतिष विद्या की जानकारी के लिए दूर-दूर तक जाने जाते थे. एक बार की बात है. रात के करीब 2 बजे वे दूसरे शहर के किसी जजमान के यहां से पूजा संपन्न कराकर लौट रहे थे. अपनी गली के...
खबरगंगा: मैंने नेत्रदान किया है..और आपने ?

कई साल पहले की बात है ...शायद बी. एस सी. कर रही थी ..मेरी आँखों में कुछ परेशानी हुई तो डोक्टर के पास गयी..वहां नेत्रदान का पोस्टर लगा देखा... पहली बार इससे परिचित हुई...उत्सुकता हुई तो पूछा, पर पूरी व सही जानकारी नहीं मिल पाई ....डॉक्टर ने बताया कि अभी हमारे शहर...
राम तुम्हें वनवास मिलेगा
दुहराता इतिहास मिलेगा
राम तुम्हें वनवास मिलेगा
हर युग में हैं लोग बदलते
रावण खासमखास मिलेगा
मिल सकते सुग्रीव परन्तु
दुश्मन का आभास मिलेगा
भले मिलेंगे कई विभीषण
वैसा नहीं समास मिलेगा
शायद नाव बिठाये केवट
बदले में संत्रास मिलेगा
लक्ष्मण, सीता साथ चलेंगे
क्या वैसा एहसास मिलेगा
राम नहीं चूको तुम फिर भी
सुमन सदा उपहास मिल...
अनवर बाबू की ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ का असर
ब्लागर दिव्या ने अपना कमेंट बॉक्स हटा लिया।
‘ब्लॉग की ख़बरें‘ ने उनकी ताज़ा नीति का ख़ुलासा ही इस तरह किया।
शीर्षक -
Zealzen Blog एक सस्पेंस , एक पहेली
ब्लागर दिव्या ने शिकायत करते हुए डा. अनवर जमाल साहब से यह कहा है कि
पर उनकी यही बात हमें पसंद नहीं आती कि वे गाय भैंस की लाश खाते हैं जबकि आजकल कटहल अरवी पनीर रायता पुलाव खाना चाहिए।
अगर उनसे बस यही एक शिकायत है तो वह उनकी ग़लतफ़हमी है।
ब्लाग जगत शुरू से ही उनके बारे...
ग़ज़लगंगा.dg: ऐसी सूरत चांदनी की
ऐसी सूरत चांदनी की.नींद उड़ जाये सभी की.
एक लम्हा जानते हैंबात करते हैं सदी की.
हम किनारे जा लगेंगेधार बदलेगी नदी की.
मंजिलों ने आंख फेरीरास्तों ने बेरुखी की.
जंग जारी है मुसलसलआजतक नेकी बदी की.
जाने ले जाये कहां तक अब ज़रुरत आदमी की.
अब ज़रूरत ही नहीं है आदमी को आदमी की.
एक जुगनू भी बहुत हैक्या ज़रूरत रौशनी की.
ग़ज़लगंगा.dg: ऐसी सूरत चांदनी की:
'via Blog th...
fact n figure: जन-आस्था के दोहन के समूल तंत्र पर हमला करे मीडिया
निर्मल बाबा प्रकरण में एक दिलचस्प मोड़ आया है. देश के 84 तीर्थस्थलों के पुरोहितों ने कुम्भ मेले में निर्मल बाबा के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग करने का निर्णय लिया है. पुरोहितों के तीर्थ महाधिवेशन में 84 तीर्थस्थलों के 350 प्रतिनिधियों ने यह निर्णय लिया है. उनको अंदेशा है कि कुम्भ के पवित्र आयोजन के दौरान पाखंडी धर्मगुरु धर्म और अध्यात्म के नाम पर पैसे की वसूली करते हैं. पुरोहित लोगों को अपने बारे में क्या खयाल है और अंधविश्वास...
पेशे और देश से ग़ददारी है डाक्टर का विदेश भाग जाना
जबकि अपने देश में लोग इलाज की कमी से मर रहे हों.
देश में 7 लाख डाक्टरों की कमी है. लोग मर रहे हैं मगर डाक्टर विदेश में चले जाते हैं. एक एमबीबीएस डाक्टर की पढ़ाई में एम्स में 1.50 करोड़ रूपये का ख़र्च आता है. सरकार फ़ीस की शक्ल में सिर्फ़ 1 लाख रूपया ही वसूलती है.
12 से 15 हज़ार डाक्टर स्टडी लीव लेकर अमरीका वग़ैरह में मुनाफ़ा कमा रहे हैं. इनसे भी ज़्यादा वे डाक्टर हैं जो सरकारी नौकरी में जाए बिना सीधे ही विदेश निकल लेते हैं.
इनमें...
सलीब ढोते हैं
सुलगती रोज चिताओं पर लोग रोते हैं जमीर बेच के जिन्दा जो, लाश होते हैंकुदाल बन के भी जीना क्या, जिन्दगी होती चमक में भूल के नीयत की, सलीब ढोते हैंशुकून कल से मिलेगा ये, चाहतें सब कीमिले क्यों आम भला उनको, नीम बोते हैं लगी है आग पड़ोसी के घर में क्यों सोचेंमिलेंगे ऐसे हजारों जो, चैन सोते हैं नहीं सुमन को निराशा है, भोर आने तकजगेंगे लोग वही फिर से, जमीर खोते ...
ब्लॉगर्स मीट वीकली (40) The Last Sermon
दोस्तो ! आप सभी के लिए मालिक से शांति की कामना है।
आज हमारा जन्म दिन है।
एक नई ड्रग कंपनी भी शुरू की है। उसकी मसरूफ़ियत भी बढ़ती जा रही है। इन्हीं सब मसरूफ़ियतों के बीच पेश है आज हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल की 40वीं पेशकश।
मंच की सप्ताह भर की पोस्ट्स
1- Dr. Ayaz Ahmad
अवैध संबंधों के शक में धड़ाधड़ हो रही हैं बेटियों-बीवियों की हत्याएं
आनंद...
ऐसे रचनाकार कई
कहते हम सब भाई भाई, ऐसे रचनाकार कईआपस में छीटें रोशनाई, ऐसे रचनाकार कईसमझाने के वो काबिल हैं, जिसने समझा रिश्तों कोइनको अबतक समझ न आई, ऐसे रचनाकार कईबोझ ज्ञान का ढोना कैसा, फ़ेंक उसे उन्मुक्त रहोकहते, होती है कठिनाई, ऐसे रचनाकार कईइधर उधर से शब्द उड़ाकर, कहते हैं रचना मेरी कविता पे होती कविताई, ऐसे रचनाकार कईअलग अलग दल बने हए हैं, राजनीति और लेखन मेंअपनी अपनी राम दुहाई, ऐसे रचनाकार कईलेखन की नूतन प्रतिभाएँ, किस दुकान पर जायेंगेखो जातीं...
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