रहस्य-रोमांच: जिन्नात की शादी

Posted on
  • Saturday, April 28, 2012
  • by
  • devendra gautam
  • in
  • आरा शहर की घटना है. लगभग 70  वर्ष पुरानी. लेकिन लोगों के बीच अभी भी कही-सुनी जानेवाली. 
    आरा शहर का एक मोहल्ला है शिवगंज. वहां हाल के वर्षों तक रूपम सिनेमा हॉल हुआ करता था. उसके बगल की गली में एक बड़े ही विद्वान पुरोहित रहा करते थे जो अपनी ज्योतिष विद्या की जानकारी के लिए दूर-दूर तक जाने जाते थे. 
    एक बार की बात है. रात के करीब 2 बजे वे दूसरे शहर के किसी जजमान के यहां से पूजा संपन्न कराकर लौट रहे थे. अपनी गली के मोड़ पर रिक्शा से उतर कर वे घर की और बढे ही थे कि अचानक एक गोरा चिटठा, लम्बा-चौड़ा आदमी उनके सामने आकर खड़ा हो गया. पंडित जी डर  गए. उन्होंने पूछा-'कौन हो भाई! क्या बात है?'
    'आप डरें नहीं. मैं एक जिन्न हूं. आपसे बहुत ज़रूरी काम है.' उसने जवाब दिया.
    'अरे भाई! एक जिन्नात को मुझसे क्या काम....'
    'आपको एक सप्ताह बाद मेरी शादी करनी है. कर्मन टोला की एक युवती का देहांत उसी दिन होना है. उसी के साथ मेरी शादी आपको करनी है. मुहमांगी दक्षिणा दूंगा.'
    'जिन्नात की शादी..? मैंने ऐसी शादी कभी कराई नहीं. इसका विधान भी मुझे नहीं मालूम.'
    'पंडित जी! शादी तो आप ही को करनी है. कैसे आप जानें. आज से ठीक आठवें दिन आप रात के एक बजे अबर पुल पर आपका इंतज़ार करूँगा. आपको वहां समय पर पहुँच जाना होगा. यह बात किसी को बताना नहीं है.' इतना कहकर जिन्नात गायब हो गया.
    पंडित जी घर पहुंचे. रात भर सो नहीं सके. दूसरे दिन तमाम शास्त्रों को पलट डाला लेकिन जिन्नात की शादी की विधि नहीं मिली. अंततः उन्होंने कई किताबों का अध्ययन कर एक अपना तरीका निकाला.
    आठवें दिन पंडित जी! डरते-सहमते रात के एक बजे से पहले ही अबर पुल पर पहुँच गए. एक बजे...डेढ़ बजे..दो बज गए लेकिन जिन्न नहीं पहुंचा. वे समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें. तभी अचानक झन्न की आवाज़ के साथ जिन्नात प्रकट हुआ. उसके चेहरे पर परेशानी झलक रही थी.
    ' माफ़ कीजिये पंडित जी! यह शादी नहीं हो सकेगी.'
    'क्यों क्या हो गया.'
    'वह लडकी मरी तो ज़रूर लेकिन मरने के वक़्त जब उसे ज़मीन पर लिटाया गया तो रुद्राक्ष का एक दाना उसके शरीर को छू रहा था. इसके कारण मरने के बाद वह सीधे शिवलोक चली गयी. अब वह वहां से वापस नहीं लौटेगी. इसलिए अब उसके साथ मेरी शादी नहीं हो पायेगी.'
    उसने पंडित जी की ओर चांदी के  सिक्कों  की एक थैली बढ़ाते हुए कहा-'आप मेरे आग्रह पर यहां तक आये. इसे दक्षिणा समझ कर रख लीजिये. आपकी बड़ी मेहरबानी होगी.'
    पंडित जी ने कहा कि जब शादी करवाई नहीं तो दक्षिणा कैसा. लेकिन जिन्नात उनके हाथ में थैली थमाकर  गायब हो गया.
    पंडित जी घर वापस लौट आये. कई वर्षों तक उन्होंने इस घटना का किसी से जिक्र नहीं किया. बाद में अपने कुछ करीबी लोगों को यह घटना सुनाई. धीरे-धीरे लोगों तक यह किस्सा पहुंचा.

    ----छोटे 

    रहस्य-रोमांच: जिन्नात की शादी:

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    2 comments:

    Asha Lata Saxena said...

    सुन्दर प्रस्तुति |लिखने का अंदाज़ बहुत अच्छा लगा |
    आशा

    DR. ANWER JAMAL said...

    एक मुसलमान इस कहानी को सुनते ही ख़ारिज कर देगा क्योंकि इस्लामी विश्वास के अनुसार किसी मृतक की आत्मा का विवाह किसी जिन्न से नहीं हो सकता।
    जिन्न भी इंसान की तरह ही जीते और मरते हैं और उनमें भी नर मादा और बच्चे होते हैं।
    जिन्न का अर्थ होता है पोशीदा। जिन्न अदृश्य होते हैं जबकि इंसान देखे जा सकते हैं।
    किसी भी धर्म में किसी मृतका का विवाह किसी जीवित से नहीं होता।
    रूद्राक्ष का प्रभाव बताने के लिए यह कहानी गढ़ ली गई है।
    जिन मरीज़ों पर जिन्नात का असर होता है। उन्हें रूद्राक्ष की पूरी माला भी पहना दी जाती है तब भी जिन्नात नहीं उतरते।
    जो चाहे आज़मा सकता है।

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