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सागर उवाच

कलम पकडने के बाद सिर्फ एक काम रह जाता है कागज काला करना।
कलम पकडना
बन्दूक पकडने से ज्यादा खतरनाक हुनर है क्योकि इनकाउंटर करके बच सकते हैं मगर कलम से
वार करके बचना मुकिल है। सो समहल के चलाना पडता है।लिखास और छपास के बीच संतुलन रखना
बडा मुश्किल होता है इसलिए हर कुछ एक धार से कह पाना भी मुम्किन नहीं इस लिए मैंने
बनाया एक नया ब्लाग...
आज दीवाली आई भाई

जहाँ को जगमग करते जाओ,
खुशियों की सौगात है आई;
दीपों की आवली सजाओ,
आज दीवाली आई भाई ।
श्री कृष्ण ने सत्यभामा संग नरकासुर संहार किया,
सोलह हज़ार स्त्रियों के संग इस धरा का भी उद्धार किया ।
असुर प्रवृति के दमन का
उत्सव आज मनाओ भाई;
दीपों की आवली सजाओ,
आज दीवाली आई भाई ।
रक्तबीज के कृत्य से जब तीनो लोकों में त्रास...
सागर उवाच

कैटल क्लास की दीवाली
शाम
के वक्त चैपाल सज चुकी थी। रावण दहन के बाद मूर्ति विसर्जित कर लोग
धीरे-धीरे चैपाल की जानिब मुखातिब हो रहे थे। दशहरा वाली सुबह ही काका ने
जोखन को पूरे गांव में घूमकर मुनादि का हुक्म दे दिया था कि सभी कैटल क्लास
के लोग विसर्जन के बाद दीवाली के बाबत चैपाल में हाजिर रहें। काका पेशानी
पर हाथ रख कर शून्य...
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