कुछ ज़मीं के और कुछ अंबर के थे.अक्स सारे डूबते मंज़र के थे.
कुछ इबादत का सिला मिलता न थादेवता जितने भी थे पत्थर के थे.
दिल में कुछ, होठों पे कुछ, चेहरे पे कुछकिस कदर मक्कार हम अंदर के थे.
खुल के कुछ कहने की गुंजाइश न थीहम निशाने पर किसी खंज़र के थे.
मेरी बातें गौर से सुनते थे सबहम उड़ाते जब तलक बेपर के थे.
आस्मां को नापना मुश्किल न थाफ़िक्र में हमलोग बालो-पर के थे.
उलझनों में इस कदर जकड़े थे हमहम...
खुद मिटा देंगे लेकिन "जन लोकपाल बिल" लेकर रहेंगे
दोस्तों ! आखिरकार टीम अन्ना को जंतर-मंतर
पर अनशन करने की अनुमति मिल गई है। मिली जानकारी के मुताबिक, शनिवार को
टीम अन्ना को 25 जुलाई से 8 अगस्त तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन करने के
लिए दिल्ली पुलिस की इजाजत मिल गई है । गौरतलब है कि दो दिन पहले दिल्ली
पुलिस ने मानसून सेशन के हवाला देते हुए टीम अन्ना को अनुमति देने से मना
कर दिया था।...
जानते हैं शादी की सबसे अच्छी बात क्या है ?
पुरानी ब्लागर पुराने लिंक बांट रही है. कल देखा तो 3 पुरानी पोस्ट के लिंक थे. उनमें उसकी फ़ज़ीहत के क़िस्से थे. अक्ल पुरानी हो और उसमें टेंशन भी घुस जाए तो ब्लागर ऐसा कर देता है. किसी ने समझाया होगा तो उसने वे तीनों पोस्ट के लिंक हटा दिए. आज सुबह खोला तो पेज़ एक्ज़िस्ट नहीं था और अब ‘कारण बताओ‘ के शीर्षक पर क्लिक करो तो वहां अब न यह शीर्षक है और न ही वे 3 पुराने लिंक. थोड़ा सा भी ईगो पर चोट लग जाए तो ब्लागर कितना अपसैट हो जाता है ?
वह...
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