दोस्तों, आज अपनी दिशाहीन और भटकी हुई पत्नी को समर्पित कुछ पंक्तियाँ गौर कीजियेगा. अर्ज है कि :-
जब-जब मुझे(१) तुम्हारी जरूरत थी,
तब-तब तुम मेरे साथ नहीं थीं.
जब-जब तुम्हें(२) मेरी जरूरत थी,
तब-तब मैं तुम्हारे साथ(३) था.
दुआ है भगवान से जब मेरी मौत(४) हो,
तब भी तुम साथ न हो.
जब सफलता तुम्हारें कदम(५) चूमें,
तब-तब मेरी बातें व आत्मा(६) तुम्हारें साथ हों.
१. खूनी ववासिर की बीमारी, पत्थरी का ऑपरेशन, टाइफाईड, डिप्रेशन व डिमेंशिया आदि अनेकों बिमारियाँ.
२. नसें काटकर, फिनाईल की गोली खाकर
आत्महत्या करने का प्रयास करने पर बचाने के लिए इलाज के समय और पहले बच्चे
को जानबूझकर दर्दनिवारक गोली खाकर नुक्सान पहुँचाने पर इलाज के समय.
३.धन से, मन से, शरीर से और आत्मा से तुम्हारे साथ था.
४. तुम्हारे झूठे केसों से परेशान होने
के कारण बनी बिमारियाँ या भविष्य में दिमाग की नस फटने के कारण या किसी
प्रकार की दुर्घटना के कारण हो.
५. अपनी गलतियों का प्रश्चाताप करके आगे बढ़ों और अपना सुखमय जीवन व्यतीत करों.
६. जब तुम सफल हो तब हम जिन्दा न हो यानि हमारा शरीर इस संसार में ना हो.
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