आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें

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  • Friday, July 22, 2011
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  • रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक
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  • आपके दोस्त का एक और रूप
    म ब्लोगिंग जगत के "अजन्मे बच्चे"( अभी तो अजन्मा बच्चा हूँ मेरे दोस्तों !) हैं और ब्लोगिंग जगत का अनपढ़, ग्वार यह नाचीज़ इंसान का अभी जन्म ही नहीं हुआ है. अभी हम ब्लोगिंग जगत का क.ख.ग सिखने की कोशिश कर रहा हूँ. इसलिए मेरे लिए खासतौर पर देवनागरी की मूल हिंदी लिपि को रोमन लिपि में या अंग्रेजी में लिखी गयी टिप्‍पणी पढना मुश्किल कार्य है, इसलिए जिस पोस्‍ट में भी देवनागरी की मूल हिंदी लिपि को रोमन लिपि में या अंग्रेजी  में टिप्‍पणी होती हैं. मैं उसको पढता ही नहीं. हाँ, कभी-२ मेरी पोस्‍ट पर होती है.उसे कैसे न कैसे करके पढता हूँ.जब कभी-२ समय होता है तब उसका देवनागरी की मूल हिंदी लिपि में अनुवाद भी कर देता हूँ.  इसको दूसरों को भी पढ़ने में कठिनाई होती है.
                       इस बात को सभी ब्लोग्गरों को भी समझना चाहिए। जब आपके विचारों और भावनाओं को कोई समझ ही नहीं पाता है. तब अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का क्या फायदा. मुझे बार-बार गूगल transliteration पर जाकर देवनागरी की मूल हिंदी लिपि को टाईप करना पड़ता है. फिर कापी पेस्ट करता हूँ. मुझे इसी सुविधा की आदत है. बहुत से ब्लॉग पर "हिंदी वर्जन का विजेट " लगा हुआ होता है लेकिन हर ब्लॉग पर ज्यादात्तर नही होता. तब कापी पेस्ट करने में टाईम बहुत लगता है. मगर मै ज्यादात्तर देवनागरी की मूल हिंदी लिपि में ही टिप्पणी करता हूँ.कभी-कभी समय न होने की वजय से ही ज्यादा से ज्यादा 11शब्दों की टिप्पणी रोमन लिपि में करता हूँ. अगर कोई  ओर तरीका हो तो मुझे अवश्य बताए, क्योंकि ऐसा तब ही संभव हो पाता है. जब इन्टरनेट पर नेटवर्क सही से आ रहा हो.
               मै खुद को देवनागरी की मूल हिंदी लिपि में ही सहज(अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने में) समझता हूँ. मै चाहता हूँ कि-सब ब्लॉगर अपने-अपने ब्लोगों पर 'हिंदी वाला विजेट' अपने ब्लॉग पर लगाए और तकनीकी ज्ञाता मुझे मेरे ब्लोगों पर लगाने में मदद करें. मुझे देवनागरी की मूल हिंदी लिपि को रोमन लिपि में या अंग्रेजी में लिखी टिप्पणी पढने में असुविधा होती है.बहुत ज़रूरी ना हो तो मैं भी पढने से टालने की कोशिश करता हूँ. मेरे कंप्यूटर का कीबोर्ड अंग्रेजी में है, किन्तु देवनागरी की मूल हिंदी लिपि को साफ्टवेयर(गूगल transliteration) में टाईप करके टिप्पणीयां पेस्ट करता हूँ. मै हर संभव कोशिश करता हूँ कि-टिप्पणी देवनागरी की मूल हिंदी लिपि में हो, जब मुझे खुद दूसरो द्वारा देवनागरी की मूल हिंदी लिपि को रोमन लिपि में या अंग्रेजी में की गयी टिप्पणिया पढने में परेशानी होती है. फिर दूसरों को कितनी दिक्कत होती होगी?  मुझे दूसरो द्वारा देवनागरी की मूल हिंदी लिपि को रोमन लिपि में या अंग्रेजी में की गयी टिप्पणिया सुहाती ही नहीं है. यह मेरे दिल के यही ज्जबात है बल्कि किसी का कोई अपमान करने का कोई उद्देश्य नहीं है. क्या हम अंग्रेजी का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करके अपने को ज्यादा पढ़ा-लिखा होने का दिखावा नहीं करते हैं? किसलिए और किसके लिए इतना दिखावा? 
                  मुझे कभी-कभी देवनागरी की मूल हिंदी लिपि को रोमन लिपि में या अंग्रेजी में टिप्पणिया व्यावहारिक(कुछ व्यक्ति हिंदी लिपि में विचारों और भावनाओं को समझने में असमर्थ होते हैं) समस्यायों के चलते करनी पड़ती है.जैसे-मोबाईल पर संदेश आदि. वैसे ज्यादात्तर मोबाईल पर संदेश हिंदी लिपि की रोमन लिपि में ही भेजता हूँ. मुझे हिन्दी लिपि के ब्लॉग पर हिन्दी लिपि में ही टिप्पणी अच्छी लगती है और हिंदी लिपि को ही पढने में आनंद आता है. हमारी कथनी और करनी में स्वार्थी राजनीतिकों जैसा फर्क नहीं होना चाहिए.
               आज मेरे प्रकाशन परिवार में सबसे ज्यादा हिंदी लिपि की पत्र-पत्रिकाएँ, लेटर पैड, बिलबुक, प्रचार सामग्री, विजिटिंग कार्ड, मेरे समाचार पत्रों को रजिस्टर्ड करने की कार्यवाही के फॉर्म, शपथ पत्र, समाचार पत्रों के पंजीकरण प्रमाण पत्र आदि, विज्ञापन रेट कार्ड व बुकिंग फॉर्म, रबड़ की मोहरें, समाचारों पत्रों में हिंदी लिपि के विज्ञापन के रेट कम है और अंग्रेजी के ज्यादा है और सबसे ज्यादा हिंदी लिपि में विज्ञापन प्रकाशित हुए है. अपने क्षेत्र से दो बार चुनाव लड़ने की प्रक्रिया के फॉर्म, शपथ पत्र आदि सब हिंदी लिपि में भर कर दे चुका हूँ.  इसके साथ ही अनेकों ऐसी सामग्री भी हिंदी लिपि में है. जो किसी तक अपने विचार और भावना समझाने में सहायक होती है. 

           इन्टरनेट की दुनिया में जनवरी 2010 में प्रवेश करने के मात्र सात-आठ महीने की मेहनत से ही अपनी ईमेल, ब्लॉग, ऑरकुट और फेसबुक की प्रोफाइल आदि की सभी सैटिंग हिंदी लिपि में  ही कर रखी है.ऑरकुट और फेसबुक पर "रमेश कुमार सिरफिरा(Ramesh Kumar Sirfiraa" के नाम से मौजूद हूँ. आज तक लगभग 992 लोगों को ईमेल हिंदी लिपि में भेज चुका हूँ और  अनेकों ब्लोगों पर लगभग 1100  टिप्पणी हिंदी लिपि में कर चुका हूँ. अपने ब्लोगों पर लगभग 20000 शब्दों को हिंदी लिपि में लिख चुका हूँ. अपने  उपरोक्त ब्लॉग  पर  अन्य  व्यक्तियों  को  हिंदी लिपि सिखाने के उद्देश्य से दो पोस्ट हिंदी की टाइपिंग कैसे करें  और  हिंदी में ईमेल कैसे भेजें. पोस्ट  भी  लिखी  थीं. 
             अपनी पत्नी के डाले फर्जी केसों से संबंधित लगभग 20000 शब्द हिंदी लिपि में लिखकर न्याय व्यवस्था के अधिकारियों को लिखकर दे चुका हूँ और आने वाले दो महीनों में लगभग 20000 शब्द हिंदी लिपि में लिखकर देने वाला हूँ. इसके अलावा जब से मेरे ऊपर फर्जी केस दर्ज हुए तब से पत्नी को समझने के उद्देश्य से लगभग 20000 शब्द हिंदी लिपि में बोल चुका हूँ.
               प्रेम विवाह होने से पहले अपनी पत्नी को लगभग 2000 शब्द
    हिंदी लिपि लिखकर दे चुका था और लगभग 20000 शब्दों का उच्चारण हिंदी लिपि में कर चुका हूँ.  इसके साथ ही मेरे ऊपर फर्जी केस दर्ज  होने के बाद से हिंदी लिपि के लगभग 200000  क़ानूनी शब्दों को ब्लॉग पर और लगभग 200000 क़ानूनी शब्द अखवार और मैगजींस में पढ़ चुका हूँ.इसके साथ ही हिंदी लिपि के टी.वी चैनलों पर धारा 498A और 406 की चर्चाओं(बहस आदि) में लगभग 200000शब्द और अपने दोस्तों/रिश्तेदारों से उलाने(ताने) के रूप में लगभग 20000 शब्द अपने कानों से सुन चुका हूँ. 
            इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात अपने मात्र साढ़े तीन साल के वैवाहिक जीवन में अपनी पत्नी और सुसराल वालों से लगभग 200000अपशब्द हिंदी लिपि के और 200 अंग्रेजी में सुन चुका हूँ.अब तक लगभग दो करोड़ शब्द हिंदी लिपि के अपनी पत्रकारिता(समाचार पत्र-पत्रिकाओं में) के चलते लिख चुका हूँ और प्रकाशित हो चुके हैं. लगभग दो लाख शब्द हिंदी लिपि के कुव्यवस्था  के चलते शिकायती पत्रों में लिख चुका हूँ और अन्य व्यक्तियों की मदद करने के उद्देश्य से लगभग दो लाख शब्द हिंदी लिपि के उनके शिकायती पत्र और किसी कार्य से जुड़े फोरमों में लिख चुका हूँ. अर्थात पढ़ता हिंदी लिपि हूँ. लिखता हिंदी लिपि हूँ. सुनता हिंदी लिपि हूँ. खाता हिंदी लिपि हूँ, पहनता हिंदी लिपि  हूँ और बोलता भी हिंदी लिपि में हूँ. मुझे इस पर गर्व है कि-मुझे अंग्रेजी नहीं आती है. 
                   एक बार आप भी गर्व से कहों हम सच्चे भारतीय है. हिंदी लिपि को लेकर आज मुझ में एक ही कमी है कि 10-11दिन पहले ही एक दोस्त ने मुझे इन्टरनेट पर चैटिंग(वार्तालाप, बातचीत) करनी सिखाई है, वो  मुझे जानकारी न होने की वजह से देवनागरी की मूल हिंदी लिपि को रोमन लिपि में लिखनी पड़ती हैं. जानकारी प्राप्त होते ही हिंदी लिपि  में बातचीत शुरू कर दूंगा. ऐसा मेरा दृढ संकल्प है.  
    आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें
    आज सभी हिंदी लिपि ब्लॉगर भाई यह शपथ लें कि-हम आज के बाद  हिंदी लिपि और अन्य लिपियों के ब्लोगों को पढने के बाद भी अपनी टिप्पणी हिंदी लिपि में ही करूँगा और हिंदी लिपि ब्लोगिंग जगत को उंचाईयों पर पहुँचाने के लिए हिंदी लिपि के प्रति ईमानदार बना रहूँगा.अपने ब्लॉग का नाम (शीर्षक) हिंदी लिपि में लिखूँगा. जय हिंद! 
      
    नोट : दोस्तों, मैंने अब इनस्क्रिप्ट के माध्यम से  देवनागरी की लिपि द्वारा हिंदी लिखना सीख लिया है और बीस हजार शब्द भ्रष्ट व्यवस्था को लिखकर भेज चुका हूँ. इसके साथ ही ऑरकुट व फेसबुक पर हिंदी में चैटिंग करनी और युटुब पर विडियों लोड करना भाई शाहनवाज सिध्द्की जी ने करनी सिखा दी है. इसके लिए उनका धन्यवाद करता हूँ. यह पोस्ट अपने ब्लॉग पर बहुत पहले लिखी थीं.  

    2 comments:

    Manish Khedawat said...

    आप माइक्रोसॉफ़्ट का हिन्दी software प्रयोग करें !
    उस से आप डाइरैक्ट कमेंट बॉक्स में ही हिन्दी लिख
    सकते है , बिना किसी translitration ओर anything :)

    DR. ANWER JAMAL said...

    आदरणीय रमेश जी ! आपकी भावनाओं और मनीष जी की सलाह को देखते हुए इस ब्लॉग के साइड में हिंदी लिखने का टूल भी लगा दिया है और उसके बारे में पूरी जानकारी देने वाली एक पोस्ट ढूंढकर उसका लिंक भी लगा दिया है।
    ‘टेक्नीकल एग्रीगेटर‘ पर भी इस संबंध में अच्छी जानकारी मौजूद है।

    एक अच्छी पोस्ट देने के लिए शुक्रिया !

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