दुनिया की रस्मों से अनजान
मैं हूँ पागल , मैं हूँ नादान .
बंदिशें इस कद्र भारी पड़ी
दिल में दफन हो गए सब अरमान.
गम कब तक रहेंगे पास मेरे
क्या कहूँ , मैं तो हूँ मेज़बान .
बे'मानी हो चुके हैं अब तो
मेरे आंसूं , मेरी मुस्कान .
कर्जदार हूँ , बकाया हैं मुझ पर
कुछ इसके , कुछ उसके अहसान .
हिम्मत, किस्मत 'विर्क' सब चाहिए
जिंदगी है एक बड़ा इम्तिहान .
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1 comments:
@ भाई मेरे दिलबाग !
आपने तो कर दिया मेरा दिल बाग बाग !!
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