सफ़ेद पोशाक ज़ेबे तन है
जुबाँ पर जिनकी वतन वतन है
'असद' ये हुस्ने तज़ाद कैसा है ?
उन्हीं की जेबों में काला धन है
मुश्किल अल्फ़ाज़
ज़ेबे तन-तन पर सजी हुई
हुस्ने तज़ाद-विरोधाभास
जुबाँ पर जिनकी वतन वतन है
'असद' ये हुस्ने तज़ाद कैसा है ?
उन्हीं की जेबों में काला धन है
मुश्किल अल्फ़ाज़
ज़ेबे तन-तन पर सजी हुई
हुस्ने तज़ाद-विरोधाभास
आज लोग केवल अपने लालच और सहूलियत को जानते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए वे तरह तरह के लेबल अपनी हवस पर लगा लेते हैं जिसे इल्म की रौशनी में ही देखा जा सकता है।
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