शेर और भेड़ियों के बीच अन्डरस्टैंडिन्ग
जहां भेड़ हो वहां भेड़िए आते ही हैं ठीक वैसे ही जैसे कि लोकतंत्र में जनता के पास नेता आते हैं लेकिन अब शेर भी आने लगे हैं। नेता अब भेड़िए ही नहीं रहे, उनमें अब शेर भी होने लगे हैं।
वह नेता है मगर शेर है। उसके पास शेर जैसा दिल है। वह नेता है। इसलिए उसके पास लोमड़ी जैसी अक्ल भी है। इसके बावजूद उसका शरीर इनसानी है लेकिन उसमें इनसानों जैसी कोई बात नहीं है। मिसाल के तौर पर इनसानों को डर लगता है लेकिन इस नेता को डर नहीं लगता। किसी नेता की रैली में फ़ायरिंग हो जाए तो सबसे पहले जो दुबकता है वह उस रैली का सबसे बड़ा नेता होता है लेकिन इसकी ‘फुंकार रैली’ में बम फटते रहे और यह धमाकों के बीच भी हुंकारता रहा। लाशें गिर रही थीं। इनसानों के छीछड़े, मांस और ख़ून फ़िज़ा में बिखर रहे थे। तब भी वह भाषण दे रहे थे।
आम तौर पर नेता ऐसे हालात में अपनी रैली रद्द कर देते हैं लेकिन इसने रैली रद्द नहीं की। इसमें डर नाम की कोई चीज़ नहीं है। बम धमाकों से इस नेता की इमेज मज़बूत हुई है। वह जिस मंच पर खड़े होकर बोल रहे थे। उस मंच के नीचे भी एक बम मिला है जो फटा नहीं है। जिसे फटना भी नहीं था क्योंकि बम इन्डियन मुलहिदीन ने रखा था। शेरदिल नेता को भी इन्डियन मुलहिदीन पर पूरा भरोसा है। इसीलिए भरोसे वह बम पर खड़ा रहा और बोलता रहा। इस शेर को इन्डियन मुलहिदीन पर इतना भरोसा क्यों है?
शायद इसलिए कि वह एक राष्ट्रवादी है और जहां भी ‘इन्डियन’ शब्द देखता है उसके अंदर राष्ट्रवाद हिलोरें लेने लगता है। अगर राष्ट्रवादी बम रख दें तो वह उस पर भी खड़ा रहेगा और खड़ा रहा। इन्डियन मुलहिदीन के आतंकियों को भी इस पर पूरा भरोसा है कि वह उन्हें नहीं पकड़वाएगा। वह भी इनके भरोसे पर पूरा उतरता है। इन्डियन मुलहिदीन के नाम पर उन लोगों को पकड़ लिया जाता है जो कि इसे वोट नहीं देते।
इन्डियन मुलहिदीन की स्थापना किसी राष्ट्रवादी की करतूत है। उसने आतंकवाद जैसे घोर घृणित काम के लिए नाम रखते वक्त भी भारत का नाम नहीं छोड़ा लेकिन बदनामी के लिए अंग्रेज़ी और अरबी के शब्द ले लिए। इस तरह उसने देश के प्रति निष्ठा भी ज़ाहिर कर दी और देश की भाषाओं को बदनामी से भी बचा दिया।
इन्डियन मुलहिदीन ने वोटर तो कई मार दिए लेकिन वोट लेने वाला नेता एक भी नहीं मारा। इससे इन्डियन मुलहिदीन की हमारे नेताओं की सुरक्षा के प्रति चिंता का पता चलता है। देसी बमों के इस्तेमाल से स्वदेसी में उनकी आस्था को भी भली प्रकार पहचाना जा सकता है। इसके बावुजूद इन आतंकियों को भेड़िया कहा जा सकता है।
शेर और भेड़ियों के बीच जो अन्डरस्टैंडिन्ग चल रही है। उससे भेड़ें अन्जान हैं। वे यही सोच रही हैं कि भेड़ियों से बचाने के लिए ही शेर आया है।
वह नेता है मगर शेर है। उसके पास शेर जैसा दिल है। वह नेता है। इसलिए उसके पास लोमड़ी जैसी अक्ल भी है। इसके बावजूद उसका शरीर इनसानी है लेकिन उसमें इनसानों जैसी कोई बात नहीं है। मिसाल के तौर पर इनसानों को डर लगता है लेकिन इस नेता को डर नहीं लगता। किसी नेता की रैली में फ़ायरिंग हो जाए तो सबसे पहले जो दुबकता है वह उस रैली का सबसे बड़ा नेता होता है लेकिन इसकी ‘फुंकार रैली’ में बम फटते रहे और यह धमाकों के बीच भी हुंकारता रहा। लाशें गिर रही थीं। इनसानों के छीछड़े, मांस और ख़ून फ़िज़ा में बिखर रहे थे। तब भी वह भाषण दे रहे थे।
आम तौर पर नेता ऐसे हालात में अपनी रैली रद्द कर देते हैं लेकिन इसने रैली रद्द नहीं की। इसमें डर नाम की कोई चीज़ नहीं है। बम धमाकों से इस नेता की इमेज मज़बूत हुई है। वह जिस मंच पर खड़े होकर बोल रहे थे। उस मंच के नीचे भी एक बम मिला है जो फटा नहीं है। जिसे फटना भी नहीं था क्योंकि बम इन्डियन मुलहिदीन ने रखा था। शेरदिल नेता को भी इन्डियन मुलहिदीन पर पूरा भरोसा है। इसीलिए भरोसे वह बम पर खड़ा रहा और बोलता रहा। इस शेर को इन्डियन मुलहिदीन पर इतना भरोसा क्यों है?
शायद इसलिए कि वह एक राष्ट्रवादी है और जहां भी ‘इन्डियन’ शब्द देखता है उसके अंदर राष्ट्रवाद हिलोरें लेने लगता है। अगर राष्ट्रवादी बम रख दें तो वह उस पर भी खड़ा रहेगा और खड़ा रहा। इन्डियन मुलहिदीन के आतंकियों को भी इस पर पूरा भरोसा है कि वह उन्हें नहीं पकड़वाएगा। वह भी इनके भरोसे पर पूरा उतरता है। इन्डियन मुलहिदीन के नाम पर उन लोगों को पकड़ लिया जाता है जो कि इसे वोट नहीं देते।
इन्डियन मुलहिदीन की स्थापना किसी राष्ट्रवादी की करतूत है। उसने आतंकवाद जैसे घोर घृणित काम के लिए नाम रखते वक्त भी भारत का नाम नहीं छोड़ा लेकिन बदनामी के लिए अंग्रेज़ी और अरबी के शब्द ले लिए। इस तरह उसने देश के प्रति निष्ठा भी ज़ाहिर कर दी और देश की भाषाओं को बदनामी से भी बचा दिया।
इन्डियन मुलहिदीन ने वोटर तो कई मार दिए लेकिन वोट लेने वाला नेता एक भी नहीं मारा। इससे इन्डियन मुलहिदीन की हमारे नेताओं की सुरक्षा के प्रति चिंता का पता चलता है। देसी बमों के इस्तेमाल से स्वदेसी में उनकी आस्था को भी भली प्रकार पहचाना जा सकता है। इसके बावुजूद इन आतंकियों को भेड़िया कहा जा सकता है।
शेर और भेड़ियों के बीच जो अन्डरस्टैंडिन्ग चल रही है। उससे भेड़ें अन्जान हैं। वे यही सोच रही हैं कि भेड़ियों से बचाने के लिए ही शेर आया है।
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