ग़ज़ल...
थे बहुत तनहा से जब हम भीड़ में |
सोचते अपना न कुछ तकदीर में |
आप जब से मिलगये जाने जहां ,
ख़ास था हाथों की कुछ लकीर में |
आप जो आये तो कुछ एसा हुआ ,
आ बसा हो खुद खुदा तस्वीह में |
अब खुदा में आप में अंतर नहीं ,
बस गए हो यूं दिले तस्वीर में |
अब तो हरसू आप हैं या खुद खुदा,
नीर घट में या की घट है नीर में |
श्याम 'सिज़दे में झुकें,किसके झुकें,
आपके ,या खुदा की तासीर में ||
1 comments:
आप जो आये तो कुछ एसा हुआ ,
आ बसा हो खुद खुदा तस्वीह में |
ye kaafiya jcha nhin vaiose sare sh'r umda
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