डा श्याम गुप्त की गज़ल....सिज़दे में..

Posted on
  • Friday, April 15, 2011
  • by
  • shyam gupta
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  •             ग़ज़ल...

    थे बहुत तनहा से जब हम भीड़ में |
    सोचते अपना न कुछ तकदीर में |

    आप जब से मिलगये जाने जहां ,
    ख़ास था हाथों की कुछ लकीर में |

    आप जो आये तो कुछ एसा हुआ ,
    आ बसा हो खुद खुदा तस्वीह में |

    अब खुदा में आप में अंतर नहीं ,
    बस गए हो यूं दिले तस्वीर में |

    अब तो हरसू आप हैं या खुद खुदा,
    नीर घट में या की घट है नीर में |

    श्याम 'सिज़दे में झुकें,किसके झुकें,
    आपके ,या  खुदा की तासीर  में  ||

    1 comments:

    डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

    आप जो आये तो कुछ एसा हुआ ,
    आ बसा हो खुद खुदा तस्वीह में |
    ye kaafiya jcha nhin vaiose sare sh'r umda

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