हो नजाकत वक्त की तो वक्त पे झुकना ज़रा
जो उठाते जिन्दगी में हर कदम को सोच कर
जिन्दगी आसान बनकर तब लगे अपना ज़रा
लोग तो मजबूर होकर मुस्कुराते आज कल
है सहज मुस्कान पाना क्यों कठिन कहना ज़रा
जो उठाते जिन्दगी में हर कदम को सोच कर
जिन्दगी आसान बनकर तब लगे अपना ज़रा
लोग तो मजबूर होकर मुस्कुराते आज कल
है सहज मुस्कान पाना क्यों कठिन कहना ज़रा
टूटते तो टूट जाएँ पर सपन जिन्दा रहे
जिन्दगी है तबतलक ही देख फिर सपना ज़रा
जिन्दगी है तबतलक ही देख फिर सपना ज़रा
दूरियाँ अपनों से प्रायः गैर से नजदीकियाँ
स्वार्थ अपनापन में हो तो दूर ही रहना ज़रा
खेल शब्दों का नहीं अनुभूतियों के संग में
बात लोगों तक जो पहुंचे बात वो लिखना ज़रा
जिन्दगी से रूठ कर के क्या करे हासिल सुमन
अबतलक खुशियाँ मिली वो याद कर चलना ज़रा
स्वार्थ अपनापन में हो तो दूर ही रहना ज़रा
खेल शब्दों का नहीं अनुभूतियों के संग में
बात लोगों तक जो पहुंचे बात वो लिखना ज़रा
जिन्दगी से रूठ कर के क्या करे हासिल सुमन
अबतलक खुशियाँ मिली वो याद कर चलना ज़रा
1 comments:
bahut sundar ..mere jile ke neta ko C.M.bana do and 498-a
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