आजकल
पंछियों ने चहचहाना क्यों छोड़ दी है आजकल,
शायद दरख़तो पर धमाकों की है गूंज आजकल।
होली के दिनों में भी बन्द है रंगों की फैक्ट्रियां,
रंगों की जगह खून की बढ़ी है मांग आजकल।
कभी बनारस, कभी बंगलौर तो कभी दिल्ली,
हर जगह धमाकों की बरसात है आजकल।
क्यों नहीं पसिजता है दिल उन आतंकियों का,
जिनके घरों में भी है किल्कारीयां आजकल।
खून पीना बन गया है फितरत सियासत का,
लोगों के गम भी पीने की जरूरत है इसे आजकल।
गैर मुल्की सियासत का हम न हो जायें शिकार,
इसलिए हम सभी को बच के रहने की जरूरत है
आजकल।।
शायद दरख़तो पर धमाकों की है गूंज आजकल।
होली के दिनों में भी बन्द है रंगों की फैक्ट्रियां,
रंगों की जगह खून की बढ़ी है मांग आजकल।
कभी बनारस, कभी बंगलौर तो कभी दिल्ली,
हर जगह धमाकों की बरसात है आजकल।
क्यों नहीं पसिजता है दिल उन आतंकियों का,
जिनके घरों में भी है किल्कारीयां आजकल।
खून पीना बन गया है फितरत सियासत का,
लोगों के गम भी पीने की जरूरत है इसे आजकल।
गैर मुल्की सियासत का हम न हो जायें शिकार,
इसलिए हम सभी को बच के रहने की जरूरत है
आजकल।।
आज सुबह मैं सूरज को देख रहा था। अजीब कशिश थी उसके निकलने में। मैंने उसे अपने कैमरे में कैद किया।
फिर दिल में ख्याल आया की क्यूँ इंसान दुसरे इंसानों की ज़िन्दगी लेने पर अमादा है। आखिर कैसा उन्माद है यह।
कैर हमे संभल के रहना है...
दुआओं में ज़रूर याद रखें।
आपका....
एम अफसर खान सागर
09889807838
फिर दिल में ख्याल आया की क्यूँ इंसान दुसरे इंसानों की ज़िन्दगी लेने पर अमादा है। आखिर कैसा उन्माद है यह।
कैर हमे संभल के रहना है...
दुआओं में ज़रूर याद रखें।
आपका....
एम अफसर खान सागर
09889807838
1 comments:
एक सार्थक पोस्ट के लिए शुक्रिया ।
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