374—44-03-11
वो
बहुत मेधावी था
कक्षा में प्रथम आता
हर कार्य
तल्लीनतासे करता
गुरुजनों को शिकायत का
मौक़ा न देता
साथी छात्रों के लिए
अछूत था
उसकी सफलता से
उन्हें रश्क होता
निरंतर मौक़ा ज़लील
करने का ढूंढा जाता
पढ़ाई से ज्यादा ध्यान
उसमें रहता
वो बेफिक्र तन्मयता से
पढता रहता
निरंतर
परमात्मा से प्रार्थना करता
किसी को अनाथ ना
बनाए
रश्क रखने वालों को
प्रेम का अर्थ समझ
आए
एकाग्रता से वो कर्तव्य
अपना निभाएं
07—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
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