नारी मन में बहुत से सवाल उठते हैं और हरेक दिल उसे अपने अंदाज़ में बयान करता है. मैंने यह बयान किया है एक पोस्ट 'जीने दो सिर्फ़ एक नारी बन कर' पर :
DR. ANWER JAMAL said...
प्रेम , ममता और त्याग
बैसाखियाँ नहीं हैं
हिस्सा हैं तुम्हारे वुजूद का
गर ये नहीं तो तुम नहीं
आत्महत्या न करो
मुक्ति के नाम पर
नारी होकर जीना है तो
बस काफ़ी है
ख़ुद की पहचान
बैसाखियाँ नहीं हैं
हिस्सा हैं तुम्हारे वुजूद का
गर ये नहीं तो तुम नहीं
आत्महत्या न करो
मुक्ति के नाम पर
नारी होकर जीना है तो
बस काफ़ी है
ख़ुद की पहचान
- http://sharmakailashc.blogspot.com/2011/03/blog-post_06.html
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