"बिन मुस्लिम भारतीय राजीनीति पार न होइयो" अब चरितार्थ होता दिख रहा है, भारतीय राजनीती में बगैर मुसलमानों के किसी भी राजनीती पार्टी का बेडा पार नहीं होने वाला है, सभी राजनीती पार्टियाँ मुस्लिम वोटरों को रिझाने में लग गई हैं, यहाँ तक के अब तो कटरपंथी हिन्दुत्वादी संगठनो भी अपने आप को भारतीय मुसलमानों का हमदर्द बताने से नहीं थक रहें हैं, अभी-अभी कुछ दिन पहले कट्टरपंथी हिन्दुत्वादी संगठन आर.एस.एस. ने 'मुस्लिम राष्ट्रीय मंच" बना कर मुसलमनो को रिझाने की अपार पर्यास किया अब एक और कट्टरपंथी हिन्दुत्वादी राजनेतिक पार्टी शिवसेना ने "मुस्लिम महासंघ" बना कर मुसलमानों की हितैसी बनाने की कोशिश कर रही है.
2012 में होने वाले मनपा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ठाणे में शिवसेना ने मुस्लिमों को अभी से अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रयास शुरू कर दिया है। ठाणे शिवसेना की तरफ से अल्पसंख्यक समाज के मतदाताओं को रिझाने के लिए शिवसेना मुस्लिम महासंघ का गठन किया गया है।
विगत रविवार को ठाणे के मुंब्रा परिसर में ठाणे शिवसेना के विधायक और ठाणे जिला संपर्क प्रमुख एकनाथ शिंदे की अगुआई में शिवसेना मुस्लिम महासंघ के कार्यालय का उद्घाटन किया गया। संघ का अध्यक्ष मुंब्रा निवासी अनवर कुमार कच्ची को बनाया गया है। पता हो कि इसके पूर्व एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में उत्तर भारतीय मतदाताओं को अपनी तरफ करने के लिए शिवसेना उत्तर भारतीय महासंघ का गठन किया गया था।
गौरतलब हो अल्पसंख्यक समाज से हमेशा दूरी बनाकर रखने वाली शिवसेना ने ठाणे में उन्हें अपनी तरफ खींचने के लिए पूरा जोर लगाने की शुरुआत कर दी है। विधायक एकनाथ शिंदे के मार्गदर्शन में आयोजित कार्यक्रम में करीब चार सौ मुस्लिम नागरिकों द्वारा शिवसेना में प्रवेश किए जाने की बात बताई जा रही है। (7 Mar 2011,नवभारत टाइम्स)
हाय रे भारतीय मुस्लमान तुम कितने भोले हो के किसी के भी झांसे में आ जाते हो, कभी तुम्हे देश का दुश्मन बता कर राजनीती में इस्तमाल किया जाता है तो कभी तुम्हे आतंकवादी बता कर वोट माँगा जाता है, कुछ तुम्हे आरक्षण का लली-पॉप दिखा देतें है तो कभी तुम्हे बदनाम करने की धमकी दी जाती है. पता नहीं कबतक तुम इसी तरह से इस्तेमाल किये जाते रहोगो.
ऐ भारत के मुसलमनो अभी भी वक़त है संभल जाओ,
2 comments:
आप आए बहार आई
आपकी पोस्ट धाँसू है सोहराब की तरह । अब आप एक अदद रूस्तम को और लाइए जनाब ।
हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया डॉ. जमाल साहब,
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