पढ़ी लिखी लड़की____

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  • Wednesday, May 2, 2012
  • by
  • Sadhana Vaid
  • in
  • श्रम दिवस के उपलक्ष्य में विशेष
    सड़क मार्ग से सफर करो तो कई बार ट्रक्स के पीछे बड़ी शानदार शायरी पढ़ने के लिये मिल जाती है ! ऐसे ही एक सफर में -‘पढ़ी लिखी लड़की, रोशनी घर की’ के जवाब में एक मज़ेदार सा शेर पढ़ने को मिला ! ज़रा आप भी मुलाहिज़ा फरमाइये ‘पढ़ी लिखी लड़की, न खेत की न घर की !’
    उस समय तो इस शेर के रचयिता के मसखरेपन का मज़ा लेकर हँस दिये और फिर उसे भूल भी गये लेकिन चंद रोज़ पहले चौका बर्तन का काम करने वाली एक अशिक्षित महिला की बातों ने मुझे सोचने के लिये विवश कर दिया कि हमारी सामाजिक व्यवस्था या सरकारी नीतियों में कहाँ कमी है कि इस वर्ग के लोगों की मानसिकता लड़कियों की शिक्षा के पक्ष में ना होकर विपक्ष में मज़बूत होती जा रही है !
    दीदी के घर में घरेलू काम करने के लिये एक कम उम्र की युवा लड़की रमा आती है ! रमा की कहानी भी बड़ी दर्दभरी है ! कम उम्र में प्यार कर बैठी ! घर से भाग कर शादी कर ली ! तीन साल में तीन बार गर्भवती हुई ! दो बार जन्म से पहले ही बच्चे गँवा बैठी ! तीसरे बच्चे को जन्म दिया तब उसकी उम्र शायद सोलह सत्रह बरस की रही होगी ! जीवन की मुश्किलों का सामना करते-करते प्यार कहीं तिरोहित हो गया और प्रेमी पति बीबी और दुधमुँहे बेटे को इतने बड़े संसार में कठिनाइयों से जूझने के लिये अकेला छोड़ कर अपने लिये नया आकाश तलाशने  कहीं और निकल गया ! बेसहारा रमा अपने नन्हें से बच्चे को लेकर अपनी सास के पास लौट आई जिसने दरियादिली का प्रदर्शन कर उसे अपने घर में पनाह दे दी ! रमा कक्षा आठ तक पढ़ी हुई थी ! शायद होशियार भी थी ! मोबाइल के एस एम एस पढ़ना, डिलीट करना या भेजना वह सब जानती थी ! दीदी उसकी होशियारी की कायल थीं और उसे प्राइवेट आगे पढ़ाना चाहती थीं ! उनका विचार था कि एक साल में हाई स्कूल कर लेगी तो इसी तरह प्राइवेट इम्तहान देकर तीन चार साल में ग्रेजुएशन कर ही लेगी और फिर उसे टीचर का जॉब मिल जायेगा और उसका जीवन सँवर जायेगा ! रमा भी उत्साहित थी !
    लेकिन दीदी और रमा का यह् हवाई किला एक दिन पल भर में ही धराशायी हो गया ! कदाचित रमा ने इस योजना का ज़िक्र अपनी सास से कर दिया था ! एक दिन लाल पीली होकर वह दीदी के घर आ धमकी !
    मैडम जी आप मेरी बहू को मत बरगलाओ ! हमें नहीं पढ़ाना है उसे और ! वह जैसी है जितना पढ़ी है उतना ही ठीक है !
    दीदी ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की वह पढ़ लेगी तो टीचर बन जायेगी और इज्ज़तदार काम करेगी ! उसे इस तरह घर-घर जाकर चौका बर्तन का काम नहीं करना पड़ेगा !
    तो क्या कमाल कर लेगी टीचर बन कर ? तपाक से रमा की सास का जवाब आया ! स्कूल में पढ़ाने जायेगी तो पाँच सौ छ: सौ रुपये से ज्यादह तनख्वाह तो नहीं मिलेगी ना ! पाँच सौ देंगे और हज़ार पर दस्तखत करवाएंगे ! अभी इज्ज़त के साथ तीन चार घर में काम करती है तो दो ढाई हज़ार कमा लेती है ! बच्चा थोड़ा और बड़ा हो जायेगा तो दो तीन घर और पकड़ लेगी तो आमदनी भी और बढ़ जायेगी ! एक बार टीचर बन जायेगी तो घर में ही बैठी रह जायेगी पाँच सौ पकड़ कर ! फिर घर-घर जाकर चौका बर्तन का काम थोड़े ही करेगी ! आप उसका माथा मत घुमाओ मैडम जी !  हम लोग गरीब ज़रूर हैं लेकिन मेहनत मजूरी करके अपना पेट भर लेते हैं ! यह अगर पढ़ लिख गयी तो मेहनत मजूरी का काम नहीं कर पायेगी और फिर इसका और इसके बच्चे का पेट कौन पालेगा ! हमारे यहाँ जितने मुँह होते हैं उतने ही हाथ चाहिये होते हैं कमाने के लिये ! एक की कमाई से घर नहीं चलता !
    रमा की सास बड़बड़ाती हुई किचिन में चली गयी ! मैं इस सारे तमाशे की मूक दर्शक बनी हुई थी और सोच रही थी इस अनपढ़ औरत की बातों में तर्क हो या कुतर्क लेकिन एक सच्चाई ज़रूर है ! प्राइवेट स्कूलों में आजकल जितनी तनख्वाह टीचर्स को दी जाती है उससे कहीं अधिक तो ये झाडू पोंछा और बर्तन माँजने वाली बाइयाँ कमा लेती हैं और वह भी मात्र चंद घंटों में जबकि टीचर्स कई घण्टे स्कूल में ड्यूटी देती हैं, उसके बाद घर पर भी उन्हें स्कूल का ढेरों काम करना पड़ता है ! कभी कॉपियाँ जाँचनी हैं तो कभी पेपर सेट करने हैं लेकिन उन्हें उनकी मेहनत के अनुरूप तनख्वाह नहीं दी जाती ! सबको तो सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती ना ! तभी मुझे यह अहसास हुआ कि ट्रक पर लिखा हुआ शेर – पढ़ी लिखी लड़की, खेत की न घर की ज़रूर किसी भुक्तभोगी दिलजले ने ही लिखा होगा !
    साधना वैद

    6 comments:

    Rajesh Kumari said...

    साधना जी आपकी कहानी ने सचमुच सोचने पर विवश कर दिया ...और ये सच्चाई भी है प्राइवेट स्कूलों की यही हालत है तनख्वा से ज्यादा पैसों पर साइन करवाते हैं ......पैसों से ही पेट भरता है सिर्फ नाम के लिए नौकरी से नहीं सार्थक कहानी ....बधाई आपको

    धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति,मन को प्रभावित और विवश करती सुंदर कहानी ,.....

    MY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....

    Kailash Sharma said...

    आज की शिक्षा जीवन में कितनी सार्थक है यह विचारणीय है...एक सार्थक आलेख

    DR. ANWER JAMAL said...

    Real story.

    Asha Lata Saxena said...

    यह सत्य कथा पर आधारित कहानी बहुत अच्छी लगी |

    udaya veer singh said...

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति,मन को प्रभावित करती सुंदर कहानी ,.....

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