जाने किस-किस की आस होता है.
जिसका चेहरा उदास होता है.
उसकी उरियानगी पे मत जाओ
अपना-अपना लिबास होता है.
एक पत्ते के टूट जाने पर
पेड़ कितना उदास होता है.
अपनी तारीफ़ जो नहीं करता
कुछ न कुछ उसमें खास होता है.
खुश्क होठों के सामने अक्सर
एक खाली गिलास होता है.
हम खुलेआम कह नहीं सकते
बंद कमरे में रास होता है.
वो कभी सामने नहीं आता
हर घडी आसपास होता है.
----देवेंद्र गौतम
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1 comments:
sundar man ki bat kahne ko aatur hetu sarthak pryaas.
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