लेखन में प्रतिबंध मुझे स्वीकार नहीं
प्रायोजित रचना से कोई प्यार नहीं
बच के रहना साहित्यिक दुकानों से
जी कर लिखता हूँ कोई बीमार नहीं
मठाधीश की आज यहाँ बन आई है
कितने डर से करते हैं तकरार नहीं
धन प्रभाव के बल पर उनकी धूम मची
कोई जिनको साहित्यक आधार नहीं
रचना में ना दम आती विज्ञापन से
ऐसे जो हैं लिखने का अधिकार नहीं
उठे कलम जब दिल में मस्ती आ जाए
खुशबू रचना में होगी इनकार नहीं
खुशबू होगी तो मधुकर भी आयेंगे
सेवा है साहित्य सुमन व्यापार नहीं
प्रायोजित रचना से कोई प्यार नहीं
बच के रहना साहित्यिक दुकानों से
जी कर लिखता हूँ कोई बीमार नहीं
मठाधीश की आज यहाँ बन आई है
कितने डर से करते हैं तकरार नहीं
धन प्रभाव के बल पर उनकी धूम मची
कोई जिनको साहित्यक आधार नहीं
रचना में ना दम आती विज्ञापन से
ऐसे जो हैं लिखने का अधिकार नहीं
उठे कलम जब दिल में मस्ती आ जाए
खुशबू रचना में होगी इनकार नहीं
खुशबू होगी तो मधुकर भी आयेंगे
सेवा है साहित्य सुमन व्यापार नहीं
1 comments:
sarthak or sundar post.
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