अगर ग़लत बात को आप चंद संजीदा लोग मिलकर ग़लत कह दें तो ग़लत आदमी का हौसला टूट जायेगा.
सच को सच कहना जितना ज़रूरी है उतना ही ज़रूरी है ग़लत को ग़लत कहना.
जो आदमी किसी से भी बुरा नहीं बनना चाहता वह सच का साथ क्या दे पायेगा ?
इंसाफ करो और ज़ुल्म को बुरा समझो और ज़ालिम की मुखालिफ़त करो.
बुरों को समझाओ और ना मानें तो दुत्कारो.
खुद बुरा करो तो अपने आप को भी मलामत करो तब आपकी रूह आपकी सही रहनुमाई करेगी.
हिंदी ब्लॉगर्स के क्रिया कलाप का पोस्टमार्टम बिल्कुल ताज़ा ताज़ा द्वारा डा. अनवर जमाल
पर एक इज़हारे ख़याल
4 comments:
सच का साथ देने के लिए बुराई तो लेनी ही पडेगी,..
MY RECENT POST.... काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
आत्म-अवलोकन कोई करता नहीं है और उसके बगैर बात बनती नहीं है। मुझे स्वयं भी अपने ऊपर विचार करना है।
man ko jeeta hae to aatmaa bhi trapt hae .sundar vicharniya post .aabhar.
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