भारतीय क्रिकेट टीम विश्व कप का क्वार्टर फाइनल खेलेगी यह पहले से ही निश्चित था और नीदरलैंड से जीत के साथ ही इस बात की पुष्टि हो गई है . वैसे यह विश्व कप थ्री मैच कप है .जो टीम तीन मैच जीतेगी वह विश्व चैम्पियन होगी . पहला दौर विशेष अर्थ नहीं रखता है . विश्व कप के शुरू होने से पहले जिन आठ टीमों के दूसरे दौर में पहुंचने की संभावना थी आधा विश्व कप बीत जाने के बाद वही टीमें दूसरे दौर में पहुंचती लग रही हैं . कुछ रोमांचक मैच हुए हैं . आयरलैंड ने उलटफेर भी किया लेकिन अंतिम परिणाम में विशेष परिवर्तन नहीं आया है . पहले दौर की सारी माथापच्ची ग्रुप में स्थान निर्धारण के लिए है . स्थान निर्धारण भी महत्वपूर्ण होता अगर कोई कमजोर टीम दूसरे दौर में पहुंचती . क्रिकेट की पहली आठ टीमें मामूली अंतर की टीमें हैं जो अपना दिन होने पर किसी भी टीम को नाकों चने चबा सकती हैं . अब भारत को ही लो उसके लिए आस्ट्रेलिया , पाकिस्तान , श्रीलंका और न्यूजीलैंड में से कौन सी टीम ऐसी है जिससे वह आसानी से पार पा सकती है अर्थात ग्रुप में स्थान कोई भी हो क्वार्टर फाइनल आर-पार का ही होगा और इसमें गलती की कोई गुंजाइश नहीं होगी . इस बात को ध्यान में रखते ही टीम को आगामी मैच खेलने चाहिए .
नीदरलैंड के खिलाफ भी टीम प्रयोगों के मूड में थी . मैं इसे बहुत अच्छा मानता हूँ . द.अफ्रीका और वेस्ट इंडीज से जीतना भी है , साथ-ही-साथ कुछ नया भी करना है ताकि क्वार्टर फाइनल से पहले सारे विकल्प आजमाए जा चुके हों . रैना को अंतिम एकादश में खिलाया जाना बाकी है . खुदा न करे नॉक आउट दौर में कोई बल्लेबाज़ अनफिट हो जाए . ऐसी स्थिति से बचने के लिए रैना का मैच खेले होना जरूरी है . इसी प्रकार अश्विन का भी प्रयोग होना चाहिए .सहवाग से भी अभी तक गेंदबाज़ी नहीं करवाई गई , उसे भी कुछ ओवर दिए जाने चाहिए . हरभजन को बाहर बैठाया जा सकता है क्योंकि हरभजन पूरे रंग में नहीं और कई बार ब्रेक कारगर सिद्ध होता है . भले ही हरभजन को विकेट नहीं मिल रहे लेकिन वह किफायती गेंदबाज़ी कर रहा है . एकदिवसीय मैच में विकेट लेना जितना महत्वपूर्ण है , किफायती गेंदबाज़ी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है . ऐसे में हरभजन को निराश नहीं होना चाहिए अपितु क्वार्टर फाइनल हेतु मानसिक रूप से मजबूत होना चाहिए .
चावला को जितने मौके मिलने चाहिए थे वे मिल चुके हैं . अब उसे बाहर बैठना ही होगा . द.अफ्रीका के खिलाफ नेहरा , मुनाफ , श्रीसंथ और अश्विन के साथ उतरा जा सकता है . जहीर एकमात्र विश्वसनीय गेंदबाज़ हैं अत: उनका प्रयोग सावधानी से करना होगा .
टीम को जहाँ खुद को जीत के ट्रैक पर बनाए रखना है वहीं आर-पार के मैच के लिए अपनी ताकत भी बचाकर रखनी है . उचित एकादश की तलाश भी जारी है . सात बल्लेबाज़ निश्चित हो चुके हैं , अंतिम चार गेंदबाजों का चयन होना शेष है . शायद टीम महत्वपूर्ण मुकाबलों में तीन तेज़ गेंदबाजों से ही उतरे क्योंकि सहवाग , युवराज और पठान 15 ओवर कर सकते हैं, ऐसे में स्पिनर के 25 ओवर बन गए , फिर मुख्य स्पिनर कोई करिश्मा भी नहीं कर पा रहे अत: एक स्पिनर ही काफी है . कुल मिलाकर कांटे की टक्कर नजदीक है . टीम को घरेलू दर्शकों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए एडी - चोटी का जोर लगाना ही होगा .
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