पठान के कपडे पहन
हिन्दू का लड़का
बाज़ार में निकल पडा
मारो मारो को हल्ला सुना
घबरा कर भाग पडा
एक मुसलमान ने
घर का दरवाज़ा खोला
इशारे से
उसे अन्दर बुलाया
मौत के मुंह से बचाया
कुछ दिन घर में छुपा
कर रखा
उसके हिन्दू होने का
पता उसे चल चुका था
फिर भी प्यार से
खिलाता पिलाता रहा
सच्चा मुसलमान था
नफरत से
उसका वास्ता ना था
इंसानियत का धर्म
निभाता रहा
18-02-2012
192-103-02-12
6 comments:
सबसे बड़ा धर्म इंसानियत का होता है,....
बहुत सुंदर रचना, बेहतरीन प्रस्तुति.......
MY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...:बसंती रंग छा गया,...
sarthak v satya prastuti.badhai.
गाफिल जी हैं व्यस्त, चलो चलें चर्चा करें,
शुरू रात की गश्त, हस्त लगें शम-दस्यु कुछ ।
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
सोमवारीय चर्चा-मंच पर है |
charchamanch.blogspot.com
Nice poem.
सबसे बड़ा इंसानियत का धर्म ही होता है ....अत्यंत प्रेरक एवं ह्रदय स्पर्शी रचना के लिए आभार.......शुभ कामनाएं !!!
मानवता और सद्भाव का संदेश देती बहुत ही उत्कृष्ट रचना ! बधाई !
Post a Comment