मनोज साहब ने ईनाम बांटने का काम शुरू किया। ईनाम उन्होंने कम को बांटा और ज़्यादातर को उन्होंने ‘चिरकुट‘ का खि़ताब दे दिया। कहते हैं कि जो ब्लॉगर प्रब्लेस शिखर पुरस्कार के लिए प्रविष्टि न भेजे या किसी के नाम का अनुमोदन न करें और हमारे पुरस्कार वितरण की समीक्षा करे तो वे ब्लॉगर ‘चिरकुटानंद‘ हैं। यह स्तर है प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ के सर्वेसर्वा के सोचने का, और इसके बावजूद वह चाहते हैं कि विद्वान हिंदी ब्लॉगर उनसे पुरस्कार पाने के लिए लाइन लगाकर खड़े हो जाएं।
‘ब्लॉग की ख़बरें‘ की पोस्ट पर उनकी टिप्पणियों में उनकी सोच का लेवल आप ख़ुद देखिए इस लिंक पर जाकर
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ब्लॉगर्स को प्रब्लेस शिखर सम्मान मुबारक हो ! Prize
Khushdeep Sehgal said...
- दो दोस्तों ने फलों के कारोबार का फैसला किया...एक संतरे का टोकरा लेकर बैठ गया...एक केले का...दोनों ने फैसला किया सिर्फ कैश बिक्री करेंगे, उधार का कोई काम नहीं...थोड़ी देर बाद संतरे वाले को भूख लगी, उसने दो का सिक्का केले वाले को देकर केला लेकर खा लिया...केले वाले ने कहा, चलो बोहणी तो हुई...शाम तक दोनों के टोकरे खाली हो गए...पास ही संतरे और केले के छिलके के ढेर लग गए थे...दोनों ने कहा, चलो बिक्री तो बहुत बढ़िया हुई...अब कैश गिन लिया जाए...लेकिन ये क्या दोनों के पास कुल मिलाकर वो दो का सिक्का ही निकला...पूरा दिन वो एक दूसरे से कैश ले लेकर खुद ही सारे संतरे और केले चट कर गए थे....
2 comments:
achhi rachna hae .
Nice post.
see :
गायत्री मंत्र रहस्य भाग 2 The mystery of Gayatri Mantra 2
http://vedquran.blogspot.in/2012/02/2-mystery-of-gayatri-mantra-2_28.html
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