बाँहे फैलाए तुझे , बिटिया रही पुकार
तुम जालिम बनना नहीं , मांगे हमसे प्यार |
निश्छल , मोहक , पाक है , बेटी की मुस्कान
भूलें हमको गम सभी , जाएं जीत जहान |
क्यों मारो तुम गर्भ में , बिटिया घर की शान
ये चिड़िया-सी चहककर , करती दूर थकान |
बिटिया कोहेनूर है , फैला रही प्रकाश
धरती है जन्नत बनी , पुलकित है आकाश |
तुम बेटी के जन्म पर , होना नहीं उदास
गले मिले जब दौडकर , मिट जाते सब त्रास |
--------- दिलबाग विर्क
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2 comments:
बिटिया कोहेनूर है , फैला रही प्रकाश
धरती है जन्नत बनी , पुलकित है आकाश |
Nice Bitiya.
बेटियां प्रकृति का वरदान हैं..बहुत सुंदर कविता !
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