पाकिस्तान सरकार अल्पसंख्यकों के खि़लाफ़ भेदभाव नहीं रखती

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  • Saturday, March 26, 2011
  • by
  • HAKEEM YUNUS KHAN
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  • अमृतसर (एजेंसियाँ)। ‘हिन्दू और सिख परिवार निजि कारणों और हालात की वजह से पाकिस्तान से हिन्दुस्तान पलायन कर रहे हैं और यह कि जब कभी भी ऐसे वाक़यात पेश आते हैं तो फ़ौरन ही मीडिया उन को उजागर करता है। वैसे भी पाकिस्तान में हर एक के लिए एक हालात नहीं हैं। यहाँ तक कि मुसलमानों को भी अग़वा किया जाता है और वे भी आतंकवाद के साये में रह रहे हैं।‘
    इन ख़यालात का इज़्हार 350 लोगों वाले एक हिन्दू जत्थे के सदस्यों ने किया है जो रायपुर शादानी दरबार के आयोजन के अवसर पर एक धार्मिक समारोह में शिरकत के लिए कल बुध के रोज़ हिन्दुस्तान पहुंचा था। पाकिस्तान राष्ट्रीय असेंबली के सदस्य हर्ष कुमार ने कहा कि हम हिन्दुस्तान के लिए जाने वाले पाकिस्तानी हिन्दुओं का हौसला तोड़ते हैं लेकिन उनमें से कुछ अपने निजि कारणों से पलायन करके हिन्दुस्तान आए हैं। उन्होंने कहा कि ख़ैबर पख्तवानवाह और बलूचिस्ताने जैसे युद्ध प्रभावित इलाक़े हैं जहाँ न केवल अल्पसंख्यक समुदायों को आतंकवाद का सामना करना पड़ रहा है बल्कि प्रतिष्ठित मुसलमान भी आतंवादी हमलों का शिकार हुए हैं। इन इलाक़ों में आतंकवाद अपने चरम पर है और बिना किसी धार्मिक भेदभाव के हरेक इससे परेशान है। उन्होंने कहा कि क्योंकि हिन्दू-सिख अल्पसंख्या में हैं इसलिए उनका आसानी से नोटिस ले लिया जाता है और मीडिया की उन पर तवज्जो होती है। उन्होंने कहा कि कुछ हिन्दू और सिख ख़ानदान खुद अपने आपको कमज़ोर और मुफ़लिस ख़याल करते हैं। इसलिए वे पाकिस्तान से पलायन करने की कोशिश करते हैं।
    एक श्रृद्धालु प्रदीप कुमार ने कहा कि आतंकवाद के कई मामलों में अल्पसंख्यकों का अपहरण किया गया और उन्हें हलाक किया गया है जिससे कि वे पाकिस्तान में खुद को असुरक्षित समझते हैं। उन्होंने इस बात से सहमति जताई कि पाकिस्तान में कई हिन्दू और सिख ख़ानदानों ने पलायन करने के लिए मन बना लिया था लेकिन अपना इरादा उस समय बदल दिया जब उन्हें वीज़ा की समस्याएं पेश आईं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार अल्पसंख्यकों के खि़लाफ़ भेदभाव नहीं रखती लेकिन आतंकवादी गतिविधियों ने ख़ौफ़ और दहशत फैला दी है। एक और श्रृद्धालु प्रकाश बत्रा का कहना था कि ऐसा मालूम होता है कि पाकिस्तान सरकार अल्पसंख्यकों और साथ ही मुसलमानों को सुरक्षा देने में बेसहारा हो गई है। मुझे ताज्जुब है कि मुसलमानों के अपहरण के वाक़ेयात को मीडिया में उजागर क्यों नहीं किया जाता और जब कभी भी अल्पसंख्यक समुदाय के एक मेंबर के साथ कोई ग़लत काम होता तो उसकी ब्रेकिंग न्यूज़ बन जाती है।
     http://hiremoti.blogspot.com/2011/03/blog-post.html
    राष्ट्रीय सहारा उर्दू दिनांक २५ मार्च २०११ प. से साभार

    2 comments:

    Bharat Bhushan said...

    अल्पसंख्यकों की व्यथा भारत में या पाकिस्तान में एक जैसी है. जो लोग अभी मार्गस्थ हैं वे ऐसी ही भाषा बोलेंगे जिससे उनके हितों को हानि न हो. उनके संबंधी पीछे छूटे संबंधी उनसे ऐसी अपेक्षा करते हैं. उनकी दरेद भरी मजबूरी समझनी चाहिए.

    अहसास की परतें - old said...

    जो लोग ऐसी झूठी खबरें फैलाते हैं उन्हे इसके उदाहरण भी देने चाहिए कि पाकिस्तान मे मुस्लिमों द्वारा ज़जिया दिये जाने के उदाहरण भी देने चाहिए। उनको यह भी बताना चाहिए कि ईश निन्दा कानून के तहत कितने मुस्लिम इसाई एवं हिन्दु भगवानों की निन्दा के आरोप मे सज़ा पाए। हिन्दुओं एवं सिखों के कितने ही मंदिर एवं गुरुद्वारे इस समय अराजक तत्वों के कब्जे मे हैं, इन प्रतिष्ठानों की व्यवस्था के लिए बनाई गई संस्थाओं मे भी वहां के मुस्लिमों का अधिपत्य है और वो इसका लाभ उठा कर मंदिर इत्यादि को व्यावसायिक घरानों को बेच रहे हैं, क्या भारत मे कोइ सरकार किसी वक्फ बोर्ड या चर्च को चलाने के लिए हिन्दुओं को अधिकृत करने के विषय मे सोच भी सकते हैं क्या?

    ऐसे मे यह लिखना कि पाकिस्तान सरकार अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव नही रखती एक दुर्भावना पूर्ण शरारती खबर है जो शत्रु देश को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से लिखी गई है।

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