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  • Thursday, March 24, 2011
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  • आपका अख्तर खान अकेला
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  • सदन को मनमोहन,सुषमा,अडवानी ने तमाशा बनाया

     कल सदन को मनमोहन,सुषमा,अडवानी ने तमाशाबना दिया वहां आरोप र्त्यारोप और शेर शायरी का डोर सदन में जूते चलने से भी अधिक  गिरावट का दोर हे , सदन में बच्चों की तरह से  झगड़े और बेवजह विक्लिंक्स के आधार की बहस ने सदन की गरिमा को गिरा कर रख दिया हे . 
    कल सदन में विश्व और देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर तो किसी ने बहस नहीं की भाजपा जो विपक्ष में बेठी हे उसकी सुषमा स्वराज और अडवाणी ने सो कोल्ड विक्लिंक्स विदेशी जासूसी एजेंसी द्वारा कथित रूप से गुजरात के नरेंद्र मोदी की तारीफ़ करने पर ख़ुशी ज़ाहिर कर डाली अब तक के खुलासों से इस एजेंसी से कहीं ना कहनी भाजपा का भी जुड़ाव लगा हे , सुषमा स्वराज ने कल संसद में बहस के स्थान पर शेर शायरी कर डाली उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर फिकरा  कसते हुए कहा के ,, तू इधर उधर की बात ना कर 
                                                                                            यह बता  के काफ्ला क्यूँ लुटा 
                                                                                             हमें राह्जनों से गिला नहीं 
                                                                                             तेरी राह्बरी का सवाल हे ...............सुषमा सदन में कहना चाहती थीं के मनमोहन जी फ़ालतू बातों में क्या रखा हे हमें तो बस तुम नेता हो इस्लीयें शिकायत तुम ही से हें अब तुम इधर उधर की बात कर के खुद को बचाने की कोशिश मत करो लेकिन मनमोहन ने भी इधर उधर कुछ लोगों से पूंछ कर एक शेर दाग दिया उन्होंने कहा .
                                                                                              माना के तेरे दीद के 
                                                                                              काबिल नहीं हूँ में 
                                                                                              तू मेरा शोक को देख 
                                                                                              मेरा इन्तिज़ार देख ..................मनमोहन ने सुषमा से कहना चाहा के अभी थोड़ा सब्र करो और इन्तिज़ार करो .............. इधर अडवानी ने जब मनमोहन पर प्रहार किये तो मनमोहन ने फिर अडवानी पर पलटवार करते हुए कहा के अडवानी जी आपको तो प्रधानमन्त्री ही प्रधानमन्त्री की कुर्सी सपने में देखने को मिलती हे मुझे तो जनता आने चुना हे और आप कई सालों से इस कुर्सी का सपना देख रहे हो अभी आपको तीन साढे तीन साल और इन्तिज़ार करना होगा , अडवानी के लियें मनमोहन का यह कथन अपमान जनक तो हे ही और बचकाना भी हे लेकिन अपने जवाब में मनमोहन ने फिर सच को स्वीकार लिया हे उन्होंने अडवानी से तीन साल इन्तिज़ार की बात कह कर इस सच को स्वीकार कर लिया हे के मनमोहन सिंह की सरकार तीन साल की ही महमान हे और दुबारा यह सरकार नहीं आ रही हे सदन में निजी आक्षेप निजी शेर शायरी तमाशा ही बन कर रह गये हें जबकि संसद एक गम्भीर जगह होती हे जहां पक्ष और विपक्ष मिलकर देश को केसे आगे बढायें देश की समस्याओं से केसे निपटा जाए इस मामले में चिन्तन मंथन का स्थान होता हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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