वो अब
नहीं दुनिया में
फिर भी हैं पास मेरे
कमरे में जिस्म से नहीं
मगर अहसास से साथ मेरे
कमरे में जिस्म से नहीं
मगर अहसास से साथ मेरे
पर्दों से लेकर दीवारों में
बसतीं
बिस्तर की सलवटें,
बसतीं
बिस्तर की सलवटें,
तकिये पर कुछ बाल उनके
अब भी साथ मेरे
पहने अनपहने कपडे,
अब भी साथ मेरे
पहने अनपहने कपडे,
सौन्दर्य प्रसाधन
उन्हें मुझ से दूर ना
होने देते
उनका चश्मा,पसंदीदा
किताबें
अब भी उनकी चाहत
दर्शाती
लगता कोई पसंद
की पंक्ति
होने देते
उनका चश्मा,पसंदीदा
किताबें
अब भी उनकी चाहत
दर्शाती
लगता कोई पसंद
की पंक्ति
अब सुनाने वाली
चाबियों का झुमका,
चाबियों का झुमका,
बड़ा सा पर्स,सुन्दर
चप्पलें
बाहर चलने का आमंत्रण
देती
उनकी बातें कानों में
गूंजती
चप्पलें
बाहर चलने का आमंत्रण
देती
उनकी बातें कानों में
गूंजती
हर चीज़ उनकी खुशबू से
महकती
कभी प्यार जताना
कभी प्यार जताना
कभी प्यार से झिडकना
कहाँ भूलता
कमरे में रहना मुझे
अच्छा लगता
हर तरफ उन्हें पाता
जिस्म से तो दूर हुयीं
कमरे में रहना मुझे
अच्छा लगता
हर तरफ उन्हें पाता
जिस्म से तो दूर हुयीं
रूह से दूर ना जाएँ
निरंतर कामना करता
जो चीज़ जैसी रख कर गयीं
निरंतर कामना करता
जो चीज़ जैसी रख कर गयीं
वैसे ही रहने देता
डरता हूँ, छेड़ने पर
नाराज़ हो
नाराज़ हो
कमरे से ना चले जाएँ
इस लिए उनकी
इस लिए उनकी
किसी चीज़ को नहीं
छेड़ता
23-03-03
476—146-03-11
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