शामिल हो जाओ
आज दिल की दीवाली है
चिट्ठी उनकी आयी ,
आज बात मतवाली है
पैमाना सब्र का भर
गया था
छलकने से पहले ही
याद उनको आयी है
बहुत ज़ख्म दिए उन्होंने
अब मलहम लगाने की
ख्वाइश है
बहुत रो लिए थे हम
अब आंसू पोंछने की बारी है
निरंतर इंतज़ार करते थे हम
अब मिलने की बारी है
मेरी खुशी में
शामिल हो जाओ
आज दिल की दीवाली है
23-03-03
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
482—152-03-11
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