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शक और इल्ज़ाम से बचें नए ब्लॉगर Hindi Blogging Guide (11)

जनाब एस. एम. मासूम साहब ‘अमन का पैग़ाम‘ देते हैं, यह बात तो सभी जानते हैं लेकिन वह ब्लॉगिंग के लिए ज़मीनी सतह पर भी काम करते हैं, यह बात कम लोग जानते हैं। नए ब्लॉगर्स को ब्लॉगिंग सीखने में जो समस्याएं आती हैं, उनकी चर्चा जनाब देवेन्द्र गौतम जी कर चुके हैं। सीनियर
ब्लॉगर्स जब नए लोगों की हेल्प करते हैं तो उन्हें भी नए ब्लॉगर्स की तरफ़ से कुछ समस्याएं पेश आती हैं। आज की पोस्ट में हम इसी पर रौशनी डालना चाहेंगे।
इन समस्याओं में सबसे मुख्य समस्या है ‘एट्टीट्यूड प्रॉब्लम‘ और इसमें भी सबसे ज़्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि कुछ नए ब्लॉगर्स अपने सीनियर से बेवजह बदगुमान हो जाते हैं और उसे तरह तरह के इल्ज़ाम दे देते हैं। ऐसा ही एक वाक़या मासूम साहब के साथ पेश आया लेकिन शुक्र है कि नए ब्लॉगर ने उन्हें सिर्फ़ लालची ही समझा वर्ना उसकी जगह कोई महिला होती तो वह कुछ और भी इल्ज़ाम दे सकती थी। बहुत दुख होता है एक सीनियर ब्लॉगर को जब उसकी नीयत और उसके चरित्र पर वही उंगली उठा दे जिसे आगे जमाने और आगे बढ़ाने के लिए उसने अपना समय और अपनी ऊर्जा लगाई होती है। इससे सीनियर ब्लॉगर का दिल भी मुरझा सकता है और वह आइंदा नए ब्लॉगर पर अपना समय देने से बचना ही मुनासिब समझेगा जो कि हिंदी ब्लॉगिंग के लिए उचित नहीं होगा। अगर सीनियर की किसी बात से या उसके बर्ताव की वजह से किसी नए ब्लॉगर को कोई संशय है तो बेहतर यह है कि वह कोई बात कहने से पहले अपने सीनियर की उन सारी भलाईयों को याद करे जो कि उसने उसे आगे बढ़ाने के लिए की हैं और समग्र रूप से उनका एनालिसिस करे और अगर उसकी बात के एक से ज़्यादा अर्थ निकलते हों तो अच्छे अर्थ को ग्रहण करे और बुरे अर्थ को अपने मन में जगह न दे। इससे आपसी रिश्ते में दरार कभी न आएगी।
जनाब मासूम साहब का वाक़या भी हमें यही नसीहत देता है :

रहिमन इस संसार में भांति-भांति के लोग

 इस बार गर्मी की छुट्टीयों  मैं सोचा अपने वतन जौनपुर चला जाए और वहाँ के लोगों से संपर्क बढ़ाया जाए और ज़मीनी स्तर पे कुछ काम किया जाए. जौनपुर के लोगों ने मुझे बहुत ही प्यार दिया और मेरे विचारों का स्वागत भी किया. कई नए मित्र बने नए अच्छे लोग संपर्क मैं आये  ,जिनके बारे मैं जल्द ही लिखूंगा.

जैसे ही मैं इस बार जौनपुर पंहुचा हमारे एक मित्र जो मेरे ब्लॉग अमन का पैग़ाम को हमेशा पढ़ा करते थे मेरे पास आये  और बोले भाई हमारे एक मित्र  को भी ब्लॉग बनाना बता दें. मैंने स्वीकार कर लिया. ५-७ दिन तक  उनके मित्र को ब्लॉग बनाना सिखाया और कम से कम १५ दिन तक उनके मित्र महोदय ने समय-असमय मुझे फ़ोन कर के , जब जब उनके ब्लॉग पे कोई मुश्किल आती , कैसे उसे सही किया जाए पूछते रहे. वो सज्जन जब भी फ़ोन करते या मिलते तो बहुत खुश होते  और धन्यवाद कहते. उनका कहना था मैं वो पहला इंसान हूँ जिसने उनको दुनिया से जुड़ना सिखाया . मैंने भी उनको यू ट्यूब से ले कर ब्लॉगर तक सभी कुछ  सिखा   डाला जिस से कि अपना ब्लॉग वह ख़ुद चला सकें और दूसरों को भी सिखाएं . वो साहब बातचीत से  मुझे भी एक अच्छे  इंसान लगे.
जब मैं मुंबई आने लगा तो मैंने कह दिया कि वह अपना पासवर्ड बदल लें और उन्होंने वैसा ही किया और ख़ुशी ख़ुशी मुझे धन्यवाद के साथ विदा भी किया. मुंबई आने के बाद भी उनका बड़ा फ़ोन आता रहा , वह सभी से मेरी तारीफ़ भी करते रहे.
अभी ४-५ दिन पहले ब्लॉगर महाराज ने अपना खेल दिखाया, १-२ दिन तक लॉगिन नहीं हुआ, और हुआ भी तो किसे की नई पोस्ट ग़ायब, किसी कि टिप्पणी ग़ायब ,किसी को डैशबोर्ड की प्रॉब्लम. यह सब ३-४ दिनों तक चलता रहा . जिनको मैं ब्लॉगिंग सिखाकर  आया था वो भी परेशान, बार बार फ़ोन करते थे और मैं समझा देता था.
कल जब सब कुछ ठीक हो गया तो वो सज्जन बोले मासूम भाई लगता है आप ने ही कुछ ख़राब कर दिया था और मेरा ब्लॉग बंद करवा दिया था. मैंने कहा भाई यह आभासी दुनिया हैं, यहाँ ऐसा होता रहता है ख़ास तौर पे ब्लॉगर के साथ तो कुछ भी हो सकता है. मैंने उनको याद भी दिलाया कि इसी कारण से आप को आप को सिखाया था कि अपना ब्लॉग ब्लॉग कैसे सेव करें !
वो कहने लगे आप ने सिखाने  का पैसा नहीं लिया और शायद आप परेशान कर के अब पैसा लेना चाह रहे हैं. मैं सोंच रहा था 'क्या किसी को बिना पैसे ज्ञान बाँट देने कि यह सजा थी ?  या उनके शक का कारण उनकी ब्लागस्पाट  में  होने वाली गड़बड़ी  से अज्ञानता थी. या कुछ और…….
कारण कुछ भी रहा हो लेकिन मेरा यह अनुभव बहुत कि कड़वा अनुभव था जिसे भुला देने मैं समय लग सकता है. कुछ समय मन अशांत रहा लेकिन फिर याद आया कि अशांत बनाने वाली स्थितियों से निपटने का एक आसान उपाय है क्षमा करना.
                                                                               -एस. एम. मासूम  
                                                           चर्चाकार तेताला , बगीची , चर्चामंच 
                                        http://www.chitthajagat.info/ 
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