दोस्तो और साथियो, हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल के इस गौरवशाली मंच पर आपका स्वागत है। महान भारत की महान भाषा हिंदी की सेवा में लगा यह मंच अपने आप में अदभुत है। इसकी कल्पना यह है कि राजनीतिक सीमाएं व्यर्थ हैं। ये कृत्रिम हैं और हमेशा बदलती रहती हैं। इन्हें इंसान ने खींचा है और इनकी बुनियाद संकीर्णता के सिवाय कुछ भी नहीं है। इस मंच का उद्देश्य है कि भारत अपनी प्राचीन सीमाओं को वापस पाए बल्कि प्राचीन काल से भी पहले जब संपूर्ण पृथ्वी पर महर्षि मनु को अधिकार दिया गया था, वही अधिकार अब उनके उत्तराधिकारियों को प्राप्त हो, राज्य और ऐश्वर्य भोगने के लिए नहीं बल्कि शांति और न्याय की स्थापना के लिए। हरेक कल्पना साकार हो सकती है। दीवारें आज ख़ुद हटती जा रही हैं और बाधाएं आज ख़ुद मिटती जा रही हैं लेकिन अपने अंदर की संकीर्णताओं और भेदभाव का ख़ात्मा ख़ुद ब ख़ुद नहीं हो सकता, इसका ख़ात्मा हमें करना होगा।
ब्लॉगर्स मीट वीकली का मक़सद यही है। नेट के युग में आज सारा विश्व एक जगह एकत्र हो सकता है। इसी संभावना से काम लेकर हम हिंदुस्तान का परचम सारे विश्व में फहरा सकते हैं। यह एक कॉन्सेप्ट है, जिसे लेकर हम चल रहे हैं लेकिन अगर किसी को यह ऐतराज़ है कि यह काम हम क्यों कर रहे हैं तो भाई आपका स्वागत है, आप संभालिए इस कॉन्सेप्ट को, आप लेकर चलिए हरेक वर्ग को अपने साथ, जिन्हें हमारे साथ आने में ऐतराज़ है तो वे संभालें ज़िम्मेदारी, उनका साथ हम देंगे, उनके पीछे चलने में हमें कोई झिझक और परहेज़ नहीं है।
अपने अहं के कारण हम भारत के भविष्य से न खेलें, ऐसी हमारी विनती है।
आदरणीय रूपचंद शास्त्री मयंक जी का हम अपने सभापति के तौर पर स्वागत करते हैं और उनकी निराभिमानता ने ही हमें उनके क़रीब किया है। हमने उन्हें एक सकारात्मक उद्देश्य के लिए आवाज़ दी और वे बिना किसी शर्त के सहज ही तुरंत हमारे साथ आ खड़े हुए। यह हमारी ख़ुशनसीबी है और उनका यह स्वभाव हमारे लिए अनुकरणीय है।
‘ब्लॉगर्स मीट वीकली 5‘ में हम साथ हैं तो हमारे त्यौहार भी साथ हैं। यह रमज़ान का महीना चल रहा है। इसी माह में पहले रक्षा बंधन और स्वतंत्रता दिवस आया और अब जन्माष्टमी आ गई है। त्यौहारों को साथ आने में कोई हिचकिचाहट नहीं है तो फिर हमें उन्हें साथ मनाने में ही कोई समस्या क्यों हो ?
महापुरूषों ने हमें एक करने की कोशिश की और हमने यह जुर्म किया कि उन्हीं को बांट डाला। प्रस्तुत लेख जन्माष्टमी की बधाई और शुभकामनाएं देने के साथ इसी समस्या को रेखांकित करता है -
ब्लॉगर्स मीट वीकली का मक़सद यही है। नेट के युग में आज सारा विश्व एक जगह एकत्र हो सकता है। इसी संभावना से काम लेकर हम हिंदुस्तान का परचम सारे विश्व में फहरा सकते हैं। यह एक कॉन्सेप्ट है, जिसे लेकर हम चल रहे हैं लेकिन अगर किसी को यह ऐतराज़ है कि यह काम हम क्यों कर रहे हैं तो भाई आपका स्वागत है, आप संभालिए इस कॉन्सेप्ट को, आप लेकर चलिए हरेक वर्ग को अपने साथ, जिन्हें हमारे साथ आने में ऐतराज़ है तो वे संभालें ज़िम्मेदारी, उनका साथ हम देंगे, उनके पीछे चलने में हमें कोई झिझक और परहेज़ नहीं है।
अपने अहं के कारण हम भारत के भविष्य से न खेलें, ऐसी हमारी विनती है।
आदरणीय रूपचंद शास्त्री मयंक जी का हम अपने सभापति के तौर पर स्वागत करते हैं और उनकी निराभिमानता ने ही हमें उनके क़रीब किया है। हमने उन्हें एक सकारात्मक उद्देश्य के लिए आवाज़ दी और वे बिना किसी शर्त के सहज ही तुरंत हमारे साथ आ खड़े हुए। यह हमारी ख़ुशनसीबी है और उनका यह स्वभाव हमारे लिए अनुकरणीय है।
‘ब्लॉगर्स मीट वीकली 5‘ में हम साथ हैं तो हमारे त्यौहार भी साथ हैं। यह रमज़ान का महीना चल रहा है। इसी माह में पहले रक्षा बंधन और स्वतंत्रता दिवस आया और अब जन्माष्टमी आ गई है। त्यौहारों को साथ आने में कोई हिचकिचाहट नहीं है तो फिर हमें उन्हें साथ मनाने में ही कोई समस्या क्यों हो ?
महापुरूषों ने हमें एक करने की कोशिश की और हमने यह जुर्म किया कि उन्हीं को बांट डाला। प्रस्तुत लेख जन्माष्टमी की बधाई और शुभकामनाएं देने के साथ इसी समस्या को रेखांकित करता है -
श्री कृष्ण जी हमें भी प्रिय है और हम भी उनका आदर करते हैं - Dr. Anwer Jamal
नवभारत टाइम्स की वेबसाईट पर आज हमारे दो लेख एक साथ पब्लिश हुए हैं , उनसे भी मुहब्बत की फ़िज़ा हमवार होती है1- इस्लाम में कट्टरता नहीं प्रतिबद्धता है
2- दिल में भी बसे हैं गोपाल
आपके वेबसाइट बनाने से संबधित सवाल हमारे जवाबदेवेन्द्र गौतम जी ने हमें सूचित किया है कि मासूम साहब की मदद से उनकी एक वेबसाइट पर गूगल एडसेंस काम करने लगा है, मुबारक हो भाई ! | |
मुशायरा ब्लॉग पर शालिनी कौशिक जीभारत वर्ष हमारा.तू ही खल्लाक़ ,तू ही रज्ज़ाक़,तू ही मोहसिन है हमारा. रहे सब्ज़ाज़ार ,महरे आलमताब भारत वर्ष हमारा. | |
आज तुम फिर धड़की हो | |
मां का प्यार अनकंडीशनल होता है | |
शिखा कौशिक जी का नया ब्लॉग ब्लॉग पहेली-चलो हल करते हैं | |
अनवर जमाल की रचनाऔरत की हक़ीक़तइस्लाम सम्पूर्ण मानव-जाति की संयुक्त निधि है | |
कुमार राधा रमण जी एंटीबायोटिकःक़ायदे जरूरी हैं ज़िंदगी के लिए | |
आज हिन्दी ब्लॉगिंग में चर्चा मंच एक नायाब मोती की तरह चमकने लगा है! | |
कटोरे पे कटोरा, बेटा बाप से भी गोरा...खुशदीप | |
दिलबाग विर्क जी की रचनाएं साहित्य सुरभि पर ----------------------- | |
फुर्सत मिले तो नीचे के लिँक को जरूर पढेँ आपका ही अरूण कुमार झा www.drishtipatpatrika. www.drishtipat.com, 09471760495, ०९०३११९७५५३७ g | |
हिंदी ब्लॉग्गिंग गाइड के लिए लिखे सलीम खान जी और एस. एम. मासूम जी के लेखों को देखिये मेरी नज़र से - ( महेश बार्माटे 'माही' ) | |
1. Wake up Anna Hazare - अण्णा!! तुम्हें चेतना होगा 2. एक गाँव धुला हुआ 3. आज़ादी की बाट जोहते आदिवासी (मूलनिवासी) Bharat Bhushan ---------------- 1- संगीता स्वरुप जी http://geet7553.blogspot.com/ 2. सत्यम शिवम जी http://satyamshivam95. 3. सुनील कुमार जी http://sunilchitranshi. 4. मीनाक्षी पन्त जी http://duniyarangili.blogspot. 5. नीलकमल वैष्णव जी http://www.upkhabar.in/2011/ 6. दर्शन कौर' दर्शी ' http://armaanokidoli.blogspot. | |
--------------------- शिल्पा मेहता जी कह रही हैं - बहुत अच्छी खबर :))) मेरी छात्राओं का प्रोजेक्ट "एग्रिकल्चरल रोबोट" , "आल कर्नाटक प्रोजेक्ट्स एग्जिबिशन [जो ---------------- | |
"बातें बनाना जानते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
काम कुछ करते नही बातें बनाना जानते हैं। ये वो नेता हैं फकत जूते ही खाना जानते हैं।। मुफ्त का खाया अभी तक और खायेंगे सदा, जोंक हैं ये तो वतन का खून पीना जानते हैं। राम से रहमान को जमकर लड़ाया है सदा, ये मजहब की आड़ में रोटी पकाना जानते हैं। गाय की औकात क्या? ये दुह रहे हैं सांड भी, रोजियाँ ताबूत में से ये कमाना जानते हैं। दाँत खाने के अलग हैं और दिखाने के अलग, थूक आँखों में लगा आँसू बहाना जानते हैं। सज्जनों का “रूप” धर शैतान बैठे अर्श पर, लोग अब गांधी कपूतों को हटाना जानते हैं। ----------------- ...अंत में रश्मि प्रभा जी के ब्लॉग 'परिचर्चा' पर देखिये हमारी एक अपील | |