रेप और गैंगरेप के सिलसिले को कैसे रोकें ?


दिल्ली में एक 5 वर्षीय बच्ची के साथ रेप हुआ। उसे 4 दिनों से बंधक बनाकर रखा गया। उसके साथ रेप किया गया। उसके पेट से तेल की शीशी और मोमबत्ती निकली है। उसकी हालत गंभीर है। दिल्ली के बाहर के लोग दुखी हैं और दिल्ली के रहने वाले पुलिस से भिड़ रहे हैं। 3 अधिकारी निलंबित कर दिए गए हैं।
क्या इस बार लोग फिर सख्त क़ानून बनाने की मांग करेंगे ?
...लेकिन क़ानून तो पहले ही सख्त बनाया जा चुका है !
...तो फिर लोग अब क्या करेंगे ?
इस बच्ची से पहले भी एक नेपाली युवती के साथ गैंगरेप किया गया था। उससे पहले और भी हुए थे। उससे पहले दामिनी के साथ दरिंदगी का खेल खेला गया था। दामिनी कांड के हैवान जेल भी भेज दिए गए थे।
सख्त क़ानून के बाद भी रेप और गैंगरेप का सिलसिला थम नहीं रहा है। इससे यह बात तो सामने आ गई है कि महज़ सख्त सज़ाएं हैवानियत के इस नंगे नाच को नहीं रोक पाई हैं।
दिल्ली में बद्धिजीवी रहते हैं और दिल्ली से बाहर भी बुद्धिजीवी रहते हैं। सबकी अक्ल चकराई हुई है। जब सबकी अक्ल फ़ेल हो जाती है तभी उन्हें अपनी औक़ात का अहसास होता है कि हमारी भलाई हमारे अपने हाथ में नहीं है। अगर होती तो हम सब अपना भला कर चुके होते।
हमारा कल्याण वास्तव में परमेश्वर के हाथ में है और वह तब होता है जबकि इंसान ईश्वर के बताए अच्छे रास्ते पर चले और बुरे कामों से बचे।
ईश्वर, अल्लाह, गॉड और ख़ुदा यानि एक मालिक का ज़िक्र हरेक धर्म के मानने वाले करते हैं लेकिन उसके बताए रास्ते पर नहीं चलते। यही बिगाड़ की असल वजह है।
आज एक इंसान अपने आप को हिन्दू बताएगा और दूसरा मुसलिम और तीसरा ईसाई और चौथा पारसी लेकिन इनमें से अक्सर इंसान अपने मन की मर्ज़ी पर चलते हैं। इसे वे आज़ादी का नाम देते हैं। जब आदमी मन-मर्ज़ी पर चलने लगे तो मौज मस्ती उसकी ज़िंदगी का मक़सद होता है और उसके लिए वह ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमाने में जुट जाता है। 
हमारे शिक्षण संस्थान हमारे बच्चों को ज़्यादा ज़्याादा पैसा कमाने वाली मशीन में तब्दील कर चुके हैं। वे अपने मज़े के बारे में सोचते हैं। उन्हें दूसरों के जज़्बात से कोई वास्ता अब कम ही बचा है। जो अच्छा कमा रहे हैं वे मौज मस्ती में अपनी ज़िंदगी बिता रहे हैं। उनके हाथ में व्हिस्की और रम की बोतलें हैं। उनकी महफ़िलों में नाच रंग है और जेसिका लाल का मर्डर भी। जो लोग कमाने में पीछे रह गए हैं वे किसी का अपहरण कर लेते हैं। हर कोई मज़े ले लेना चाहता है।
ईश्वर अल्लाह को काल्पनिक ठहरा दिया गया है क्योंकि वह इन सब मज़ों से रोकता है। वह चरित्र निर्माण के लिए कहता है। वह बुरे कामों की सज़ा देने के लिए कहता है। 
इंसान के दिल से ईश्वर अल्लाह का डर जिसने निकाला वह दरअसल शैतान ही है। शैतान नेकी के बजाय शैतानी कामों को फलते फूलते देखना चाहता है और आज हर तरफ़ शैतानियत फल फूल रही है। लोग अलग अलग धर्मों का नाम लेते हैं लेकिन दरअसल वे शैतान के तरीक़े पर चल रहे हैं।
लोग परेशान आकर हल तलाश करना चाहते हैं तो उन्हें राह दिखाने के नाम पर फिर कोई शैतान सामने आ जाता है। वह समस्या का समाधान देने के बजाय उसे बढ़ाने के तरीक़े पर चलने के लिए कहता है।
रेप और गैंगरेप के पीछे मौज मस्ती की चाहत एक बड़ी वजह है। मन की अनियंत्रित भावनाएं आदमी से ग़लत काम करवाती हैं। ईश्वर से ईनाम पाने का लालच या उससे सज़ा पाने का डर इंसान को बुरे कामों से रोकता है। हर धर्म में ये बातें हैं। इनसे चरित्र निर्माण में सहायता मिलती है।
आधुनिक बुद्धिजीवियों ने चरित्र निर्माण में सहायता देने वाली हर चीज़ को बेकार क़रार दिया है और जब दुनिया बर्बाद हो चुकी है तो वे लोगों की भीड़ को लेकर पुलिस और नेताओं से भिड़ रहे हैं। 
पुलिस और नेता क्या करें ?
भुगतो अपने आधुनिक चिंतन का दुष्परिणाम !
हरेक रेप और गैंगरेप के पीछे हर वह आदमी अपराधी है, जिसने इंसान से उसकी ज़िंदगी का असली मक़सद छीना है और उसकी ज़िंदगी का मक़सद मौज मस्ती और धन संपत्ति में तरक्क़ी बना दिया है।
हर इंसान अपनी ज़िंदगी के मक़सद को पहचाने और जिस धर्म को वह ईश्वरीय मानता है उसके विधान का पालन करे तो यह समाज आज भी सुरक्षित हो सकता है। इस तरह जुर्म पहले से कम हो जाएंगे और उन मुजरिमों को सज़ा देकर समाज को बुरे तत्वों से पाक करना भी संभव हो जाएगा।
यह बड़ा काम है। इसमें हरे का सहयोग अपेक्षित है।
Read More...

निरामिष तड़पे ‘हलाल मीट‘ की लोकप्रियता देखकर

‘हलाल मीट‘   जर्मनी वालों को ख़ूब पसंद आया या यूं कहें कि बड़े शहरों में रहने वाले उनके एंकर  को ख़ूब भा गया। तभी उन्होंने आलू-केले के ब्लॉग को छोड़कर इसे चुन लिया।
‘हलाल मीट‘ जर्मनी के डायचे वेले ईनाम के लिए नामज़द किए गए ब्लॉगों में से एक है। यह अच्छा है। इसकी अच्छाई की एक वजह यह है कि इसके मजमूए में एक लेख मेरा भी है।
शाकाहार को बढ़ावा देने में नाकाम रहने वाले एक साहब को ‘हलाल मीट‘ शुरू से ही अखर रहा है। वह जगह जगह ऐसे तड़प कर बोल रहे हैं जैसे कि उनके गले में मछली का कांटा फंस गया हो, हालांकि वह मछली नहीं खाते. वह ‘निरामिष‘ हैं।
Read More...

नेपाली युवती के साथ गैंगरेप किया गया


क़ानून सख्त बन गया मगर औरत है आज भी नर्म निवाला :

नई दिल्ली।। आज सुबह साउथ दिल्ली के नानकपुरा गुरुद्वारे के पास फुटओवर ब्रिज के नीचे एक नेपाली युवती बदहवास हालत में पड़ी मिली। जिस्म पर अस्त-व्यस्त और थोड़े कपड़े। कई जगह चोट के निशान। करीब 20 साल की इस युवती को यूं पड़ा देख वहां राहगीरों का मजमा इकठ्ठा हो गया। लोगों ने पूछा तो युवती ने एक ईंट का टुकड़ा उठा कर सड़क पर लिखकर बताया कि उसके साथ 3 लोगों ने रेप किया है।
किसी ने पुलिस को कॉल करके इस सनसनीखेज मामले की सूचना दी। फौरन साउथ दिल्ली के कई सीनियर अफसर समेत लोकल पुलिस पहुंची। युवती ने बताया कि किडनैप करके उसके साथ गैंगरेप किया गया है। तुरंत युवती को अस्पताल ले जाया गया।

Read More...

दूसरे ब्लोगों को बकवास कहना हिन्दी ब्लोगिंग को नुकसान पहुँचाना है


 मिल-जुल कर किसी ढंग के ब्लोगर को जर्मनी भेजने पर इत्तेफ़ाक़ कर ले। अच्छा तो यही है.
ब्लोगिंग का माज़ी (इतिहास) लिखने वाले उसका वर्तमान ख़राब कर रहे हैं. यह देखना अच्छा नहीं लगता. 
शोहरत के लिए या किसी और मकसद के लिए आदमी वह सब कर गुज़रता है जो कि नहीं करना चाहिए.
रविन्द्र परभात जी किसी ब्लॉग को अच्छा कहें तो सही है लेकिन वे या उनके हमनवा दूसरे ब्लोगों को बकवास कहने का हक नहीं रखते. उन्हें भी बहुत लोग पसंद करते हैं। दूसरे ब्लोगों को बकवास कहना हिन्दी ब्लोगिंग को नुकसान पहुँचाना है .
ईनाम के लिए  नामित एक महिला ब्लोगर कि ईमेल ने तो उनके बारे में बहुत कुछ बिना कहे कह दिया है.
यह चर्चा हो रही है इस पोस्ट की-

Ravindra Prabhat के प्रचार के पीछे ख़ुद रवीन्द्र प्रभात ही निकले ?

Read More...
Read More...

प्रमोशन के लिए नेवी ऑफिसर ने बीवी को किया सीनियरों के साथ सोने पर मजबूर ?

Source : http://navbharattimes.indiatimes.com/india/south-india/navy-officers-wife-alleges-husband-forced-her-to-sleep-with-colleagues/articleshow/19488717.cms#gads

नेवी ऑफिसर की पत्नी ने लगाया यौन शोषण का आरोप

नेवी ऑफिसर की पत्नी ने लगाया यौन शोषण का आरोप

कोच्चि।। पहले ही करप्शन और घोटालों से दागदार भारतीय सेना के दामन पर इस बार गंभीर दाग लगा है। यौन शोषण का दाग। भारतीय नौसेना में तैनात एक लेफ्टिनेंट की पत्नी ने सीनियर ऑफिसरों पर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। महिला ने कहा है कि यह सब उसके पति की रजामंदी से से हुआ। महिला की शिकायत के बाद कोच्चि पुलिस ने उसके पति सहित नेवी के 10 ऑफिसरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। हालांकि, नौसेना ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है।

हार्बर पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई शिकायत में महिला ने आरोप लगाए हैं कि पिछले 2 महीने से उसके पति ने प्रमोशन और कुछ अन्य फायदों के लिए अपने सीनियर्स के साथ सोने के लिए मजबूर किया। महिला का कहना था कि जब मैंने इन सबका विरोध किया तो मरे पति ने जमकर पिटाई की और घंटों कमरे में बंद रखा।

महिला की शिकायत पर पुलिस ने उसके पति सहित नौसेना के 10 ऑफिसरों के खिलाफ आईपीसी की धारा 498 के तहत मामला दर्ज किया है। इस मामले में आरोपियों ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी लागई है। हाई कोर्ट ने पुलिस से इस मामले की विस्तृत जानकारी देने को कहा है।
  • नौसेना इन आरोपों से इनकार किया है। बयान में कहा गया है कि जिन ऑफिसरों पर आरोप लगाए गए हैं, उन्होंने अपनी-अपनी पत्नियों के साथ मिलकर इस कपल के निजी जीवन के मतभेद सुलझाने की कोशिश की थी, जो नाकाम रही। दुर्भाग्यवश महिला ने मदद करने वालों पर ही आरोप लगा दिए। नौसेना का कहना है कि इस मामले में वह पूरा सहयोग करेगी।
  • कॉमेंट्स :
siyasharan sharma , kaman bharatpur का कहना है :
11/04/2013 at 06:04 PM
एक नारी शादी के बाद अपने पति से प्यार,सहयोग,रक्षा,ओर स्वाभिमान चाहती है लेकिन जब असे नालायक पति को जीवन साथी बना लिया जाये तो नारी बेचारी क्या करे,नारी एक प्यार ओर ममता का फूल है जो पति ही नही वरण सम्पूर्ण समाज को प्यार ओर ममता देती है नारी मे एक प्राक्रतिक खुदा ने शारीरिक कमी दे दी लेकिन ए मर्द जाट इसे प्यार सरक्षण नही देती ओर नही इस नारी के स्वाभिमान की रक्षा ही करती है,नारी की इस शारीरिक कमी के करण ही शादी की रस्म रखी गयी लेकिन फिर भी डोलत के भूखे पति इस नारी की असमत को सारेबाज़ार बेच देते है बहुत ही शर्मनाक बात है एसा मर्द मर्द जाती पर ओर मानवता पर कलनक हैजय हिन्द
---
rs, ptn का कहना है :11/04/2013 at 05:59 PM
यह सिर्फ सेना में ही नहीं, सारे सरकारी विभाग में लागू है।
---
raajan, uttrakhand का कहना है :
11/04/2013 at 02:25 PM
.जब पहली बार पति ने किसी अफसर के पास भेजा था अरे तभी क्यों नही विद्रोह किया इसने............! तभी तो कहा हैं....................:- क्रिपनश्य वित्तं नृपस्य चित्तं मनोरथा च दुरजन मानवानां त्रिया चारित्रां पुरुषो भागम देवो ना जनशी कुतो मनुष्यं.................................!
---
Raj, USA का कहना है :
11/04/2013 at 11:22 AM
सेना मे एसा होता है लकिन बहुत ही कम बाते बाहर आती हैं ..... ए तो बीवी ने आरोप लगाया है इस से पेहले कितनी बार तो खुद महीला सैनिक इस तरह का आरोप लगा चुकी हैं...... मगर ए हिन्दुस्तान है यहाँ कुत्च नही होता ...... एक अमेरिका है जहां बिल क्लिंटन को मोनिका के केस मे अदालत मे बुला लिया गया था दुनिया की सबसे पवरफुल सीट के आदमी को ...... हमारे देश मे तो अदालत सलमान खान तक को नही बुला पायी हर बार वकील बहाना लेके पहुंच जाते हैं .......
----
Hat ke, .............. का कहना है :
11 Apr, 2013 11:20 AM
ये आपका अपना अनुभव है? सवाल ये है की आपके लिये क्या महत्यपूर्ण है- आपका करियर या आपकी इज़्ज़त? 

-------------------------------------------
पाठकों की राय के बाद अब आप हमारी राय पढ़ें .
बात चाहे सच ही क्यों न होलेफ्टिनेंट की पत्नी ने ने १० लोगों पर इल्ज़ाम  लगाकर अपना केस कमज़ोर कर लिया है.  
हमने एक केस में यही नुकसान उठाया है. 
Read More...

डा. अनवर जमाल को सराहा गया जर्मनी में



My Photo
View 49 Blogs
क़ाबिले क़द्र भाई ख़ुशदीप की पोस्ट के ज़रिये ब्लॉगर्स को पता चला कि दुनिया की 14 ज़बानों में 4 हज़ार से ज़्यादा ब्लॉग्स में से जब हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ 10 ब्लॉग चुने गए तो जर्मनी वालों ने उनमें डा. अनवर जमाल के ब्लॉग ‘औरत की हक़ीक़त‘ को भी चुना।
फ़ोलो करने लायक़ 10 ब्लॉग में ‘हलाल मीट‘ को देखकर यह यक़ीन हो गया कि चुनाव करने वाले किसी गुट से ताल्लुक़ नहीं रखते। इस ब्लॉग का संचालनकर्ता कौन है ?, यह तक क्लियर नहीं है लेकिन फिर भी इसे इज़्ज़त बख्शी गई। 
राजनीति, विज्ञान और समाज पर लिखने वाले दूसरे ब्लॉग भी इसमें शामिल हैं। उन सबकी लिस्ट भाई ख़ुशदीप के ब्लॉग से कॉपी की जा रही है। 
कौन-कौन से ब्लॉग इन अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए नामांकित हुए हैं...

हिंदी का सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग...

अन्ना हज़ारे


आधारभूत ब्रह्मांड
विज्ञान

हिंदी में फॉलो करने लायक बेहतरीन ब्लॉग...


कोई भी हिन्दी ब्लॉगर ईनाम पाये लेकिन वह जर्मनी जाए और वहां हिन्दी का नाम रौशन करे। इसके लिए अपने पसंद के ब्लॉग को वोट दीजिए। पसंद का ब्लॉग न हो तो उनमें पढ़कर किसी को पसंद कीजिए। इस तरह के ईनाम देने का मक़सद यही होता है कि जिस ब्लॉग को नफ़रत या घटिया राजनीति के चलते पीछे धकेलने की कोशिश की गई हो। उसकी बेहतरी को मन्ज़रे आम पर क़ुबूल किया जाए और यहां तो आलमी सतह पर तसलीम किया गया है कि डा. अनवर जमाल हिन्दी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर्स में से एक हैं।
डा. अनवर जमाल समेत चुने गए सभी हिन्दी ब्लॉगरों को मुबारकबाद, सिर्फ़ इसलिए कि इस चुनाव में गुटबाज़ी और धांधली नहीं है।
‘औरत की हक़ीक़त‘ ब्लॉग पर कुल 21 पोस्ट्स देखी जा रही हैं। उनके 50 से ज़्यादा ब्लॉग्स में इस पर सबसे कम एक्टिविटी देखी गई है। अगर उनके एक्टिव ब्लॉग्स ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ या ‘वेद क़ुरआन‘ या‘बुनियाद‘ वग़ैरह में से किसी को नॉमिनेट किया जाता तो ज़्यादा अच्छा रहता। 
बहरहाल हिन्दी ब्लॉगर्स की आवाज़ दुनिया के दूसरे कोने तक जा रही है। डा. अनवर जमाल के ज्ञान से दुनिया नफ़ा उठा रही है। यह एक अच्छा बदलाव है। यह एक अच्छी शुरूआत है।
Read More...

वृन्दावन के आश्रमों में टुकड़े कर फेंके जाते हैं विधवाओं के शव


साभार: फ़ेसबुक 
Read More...

एक प्राचीन प्रेत का देशी उपदेश

'बुनियाद' ब्लॉग पर हमारी पेशकश 


यह तब की बात है जब आकाश को भी धरती वालों ने बाँट लिया था। आकाश शून्य है परंतु जब सब बाँटा जा चुका तो शून्य को कैसे बख्श दिया जाता। शून्य आकाश का यह खण्ड काले चोरों के देश के ऊपर पड़ता था। रात घुप्प अंधेरी थी। चमगादड़ों का शासन काल चल रहा था। उनका समूह उड़ता तो उनके बड़े बड़े बाज़ू फड़फड़ाते। तब वे चारों ओर देखते। उन्हें बहुत गर्व होता। वे समझते कि उनके बाज़ूओं का साया फैला तो रात फैल गई। जब तक वे न चाहेंगे, सवेरा न होगा। हर तरफ़ पसरा हुआ अंधेरा देखकर वे विजय भाव से भर उठते। अंधेरा ही उनकी शक्ति थी। स्याह रात में उनकी चीख़ें बड़ी भयानक मालूम होती थीं। किसी झोंपड़ी से सबके भले के लिए दुआ की कोई आवाज़ उठती तो वह भी उनके मकरूह शोर में दब सी जाती थी। धीरे धीरे पौ फटने लगी तो चमगादड़ एक एक करके उस पेड़ पर आकर ख़ुद ही उल्टे लटक गए, जिस पर प्रेत उल्टे लटके रहते थे। इस पेड़ की जड़ें गहरी, तना मोटा और पत्ता बहुत हल्का होता है। इसकी विशाल भुजाओं को देखकर किसी ने इसे परमेश्वर घोषित कर दिया। यह पेड़ वहाँ खड़ा था जहाँ आदमी को पड़ा हुआ लाया जाता है।
यह काले चोरों का देश है। हर तरफ़ से इसे लूटने के लिए इतने टाइप के चोर लुटेरे आए कि मूल निवासी लुट पिटकर कहीं जंगलों में जा चढ़े और नगरों में वही चोर लुटेरे बस गए। चोरों के इस देश में पुलिस भी है। लोग कहते हैं कि पुलिस वाले भी जिनमें से आते हैं, उन्हीं के लिए काम करते हैं और उन्हीं जैसे काम करते हैं। जो उनमें से नहीं थे, उन्हें पुलिस में आने से रोक दिया जाता है। कम ही सही, उनमें कोई फिर भी आ जाता है। वह अकेला ही इन सबको दौड़ा लेता है।
इस रात भी काले चोरों की एक लाल टोली को मासूम लोगों की टोह में देखा तो ऐसे ही किसी सिपाही ने उन्हें ललकारा। उन्होंने दुम दबाकर भागना चाहा तो उन्हें अपनी दुम भी न मिली। उनकी दुम किसी ने काट ली थी या बिना काटे ही जला दी थी। यह याद करने का असवर नहीं था सो उन्होंने कल्पना में ही अपनी दुम दबाई और हक़ीक़त में दौड़ लगा दी। ये भी उसी पेड़ के नीचे आकर रूके। जिसका नाम न लो तो भावनाएं आहत नहीं होतीं। चोरों की भी भावनाएं होती हैं। आखि़र चोरी भी एक कला है। कलाकार बड़े संवेदनशील होते हैं। कुछ अलग ही सही लेकिन इनकी भी संस्कृति होती है। इनका भी समाज होता है। इनका भी विचार होता है।
कुछ साँस आया तो इन चोरों में से जिसका रंग काला नहीं था, वह बोला-‘यह सिपाही अपने आप को हमसे श्रेष्ठ क्यों समझता है?‘
‘इसके संस्कार विदेशी जो ठहरे।‘-उनमें से दूसरे ने जवाब दिया। इसका रंग भी काला नहीं था।
‘हमने हरेक संस्कृति को पचा लिया तो इसकी बिरादरी बच कैसे गई?‘-तीसरे ने आश्चर्य जताया। इसका रंग भी काला नहीं था।
‘इसका हल क्या है?‘-किसी ने पूछा। उसका रंग गेहुंआ था।
‘जो पच जाए, उसे अपना लो और जो बच जाए, उसे बदनाम कर दो।‘-किसी ने कहा। इसका रंग गेहुंआ था और माथा भी चौड़ा था।
‘क्या आरोप लगाएं और क्या लोग विश्वास करेंगे?‘-पूछने वाले की नाक सवालिया निशान की तरह खड़ी थी।
‘विश्वास न भी करें तो संदेह तो करेंगे न। इतना भी बहुत है।‘-सबसे पीछे वाले ने समर्थन किया। उसका रंग और नाक नक्शा भी इन्हीं जैसा था।
यह निश्चय होते ही उस बूढ़े पेड़ पर लटके हुए प्रेतों के पाप का बोझ थोड़ा और बढ़ गया। सत्य को संदिग्ध बनाने की शुरूआत करने वाले वही थे। ये चोर उन्हीं की कूटनीति पर चल रहे थे। सहसा आकाश में कड़कती हुई बिजली प्रेतों के सूक्ष्म शरीर को छूकर लौट गई तो प्रेतों की चीख़ें निकल गई। जिस प्रकृति को वे जीवन भर पूजते रहे, अब वही उन्हें यातना दे रही थी। हवा के बगूले में धूल का बवंडर उठा तो एक पुराने प्रेत ने अपनी इच्छा शक्ति से उस धूल को अपने प्रेत शरीर के चारों ओर इकठ्ठा कर लिया। अब वह धुंधला सा दिख सकता था। आदमी मर जाता है लेकिन उसकी इच्छा नहीं मरती। मनुष्य की शक्ति उसकी इच्छा में निहित है। अच्छी इच्छा वाला यहाँ नहीं लटकाया जाता।
दूसरे प्रेतों ने भी यही किया तो वे भी धुंधले धुंधले से नज़र आने लगे। विशाल वृक्ष पर ये प्रेत उसके पत्तों से भी कई गुना ज़्यादा थे। वे सब प्रेत नज़र आए तो चोरों की चीख़ें निकल गईं। दुम पहले ही नहीं थी और अब दम भी निकलता सा लग रहा था।
‘तुम कौ..कौ...कौन हो?‘-चौड़े माथे वाले ने हकलाते हुए पूछा।
‘हम तुम्हारे पितर हैं।‘-प्रेत ने कहा।
‘हमारे पितर तो पितृ लोक में हैं। तुम कौन हो?‘-खड़ी नाक वाले ने अपनी नाक जैसा सवाल किया।
‘सब एक ही जगह हैं लेकिन आयाम और आवृत्ति भिन्न होने से लोक का नाम बदल जाता है। शरीर हो तो मृत्युलोक है और शरीर न हो तो वही जगह प्रेत लोक हो जाती है। संबंध के आधार पर नामकरण किया जाए तो पितृ लोक कहलाता है।‘-पुराने प्रेत के निराकरण से लगा कि वह अपने जीवन में दार्शनिक रहा होगा। इतने घोर कष्ट में भी उसकी मुद्रा गंभीर थी।
काले चोरों ने देखा तो उनमें कोई ‘हृदय सम्राट‘ था और कोई उससे भी बड़ा। सभी चेहरों से वे परिचित थे।
‘हम तो समझ रहे थे कि हमारे पितरों की मुक्ति हो गई होगी।‘-सहसा दो चोर एक साथ बोले।
‘बेटा, हमारी मुक्ति तुम्हारे समझने से नहीं हो सकती, हमारे समझने से हो सकती थी।‘-प्राचीन प्रेत बोला।
‘आप क्या नहीं समझे?‘-किसी ने पूछा।
‘यही कि जो जिस को पूजता है, वह उसी को प्राप्त होता है। हम इस पेड़ को पूजते थे। इस पेड़ को प्राप्त हो गए। हमने परमेश्वर को पूजा होता तो हम उसे प्राप्त होते।‘-प्राचीन प्रेत ने कहा।
‘हम तो परमेश्वर का ही नाम लेते हैं जी।‘-एक चोर इत्मीनान से बोला।
‘केवल नाम से काम नहीं होता। उसका कहा माना जाए तभी कल्याण होता है।‘-इस बार प्राचीन प्रेत के साइड में लटका हुआ प्रेत बोला। शायद वह कोई राजनीतिक लीडर रहा होगा।
‘यही बात वह सिपाही कहता है?‘-चोरों में से जाने कौन बोला।
‘सिपाही सच कहता है। वह सच का सिपाही है।‘-सब प्रेतों ने समवेत स्वर में गवाही दी तो धूल का बवंडर पेड़ के पत्तों से टकराकर अजीब सा शोर करने लगा। प्रेतों को इस गवाही के बाद लगा कि उनके मन से बड़ा बोझ उतर गया।
‘...परंतु वह विदेशी भाषा में कहता है। विदेशी भाषा को कैसे अपनाएं?‘-एक ने कहा।
‘तेरी आत्मा देशी है या विदेशी?‘-प्रेत ने यक्ष की भांति सवाल किया।
‘क्या मतलब?‘-चोर ने हैरत जताई।
‘आत्मा इस देश की माटी पानी से नहीं उपजी तो क्या उसे त्याग दोगे?‘-प्रेत ने पूछा।
‘नहीं, कभी नहीं। आत्मा चाहे देशी न हो परंतु वह हमारी अपनी तो है।‘-चोर ने जवाब दिया।
‘सत्य भी तुम्हारा अपना ही है। वह जिस तीर्थ को मानता है। वह तक तुम्हारा अपना है। यह बात वे भी जानते हैं, जो कुछ नहीं जानते।‘-प्रेत ने पुरानी बात याद दिलाई।
‘सत्य क्या है?‘-
‘जो परिधि से पृथ्वी के केन्द्र तक मान्य है। वही सत्य है। जो सनातन काल से आधुनिक काल तक चला आ रहा है। वही सत्य है। सत्य अजर है। उसमें कुछ बढ़ता नहीं है। सत्य अक्षर है। उसमें से कुछ घटता नहीं है। सत्य एक है। एक सत्य है।‘-प्रेत ने सत्य के लक्षण बताए।
‘...और जो उसके विपरीत विचार है, उसका क्या करें?‘-
‘सत्य को मान लोगे तो उसके विपरीत विचार तुम्हारे लिए नहीं रह जाएंगे। वे बाद की उपज हैं। वे पहले नहीं थे और बाद में भी नहीं रहेंगे।‘-प्रेत ने समस्या का समाधान कर दिया।
‘आपको यह सब ज्ञान किसने दिया?‘-चौड़े माथे वाले ने अपने माथे पर बल डालते हुए कहा।
‘हमारे पितरों ने।‘-प्रेत ने कहा।
‘क्या वे भी तुम्हारे साथ इसी पेड़ पर हैं?‘-यह बेवक़ूफ़ी भरा सवाल उस चोर ने किया, जिसका रंग काला ही था और उसके पूर्वजों के कानों में पिघलाकर कुछ डाला जाता था। यह सब जानकर भी आजकल वह उनके साथ हिला-मिला रहता था, जिन्होंने उसके बाप दादाओं पर सदियों तक भयानक अहसान किये थे। डीएनए की गुणवत्ता सुधरने में समय लगता है। हीन भावना और लालच से जल्दी पीछा नहीं छूटता।
‘नहीं, हमारे पितर यहां नहीं हैं। वे परम पद के अधिकारी थे। वे उच्च लोक को सिधार चुके हैं।‘-प्रेत ने थोड़ा गर्वित भाव से बताया।
‘तुम्हारे कल्याण के लिए हम क्या कर सकते हैं?‘-खड़ी नाक वाले ने अहम सवाल पूछा।
‘हमारी शिक्षा पर चलना छोड़ दो और हमारे पितरों के ज्ञान का अनुसरण करो।‘-प्रेत ने विनती के स्वर में कहा तो सभी प्रेतों ने हां, हां का स्वर उत्पन्न किया।
‘तुम्हारा कल्याण होगा तो हमारा कल्याण स्वयं हो जाएगा। संतान के शुभ कर्म उसके पितरों के खाते में भी लिखे जाते हैं।‘-प्रेत ने अंतिम सूत्र बताया और इसके बाद हवा अपने साथ सारी धूल लेकर एक तरफ़ को निकल गई। वहां अब कोई दिखाई न देता था। काले चोर विचार करने के लिए उसी पेड़ के नीचे बैठ गए। उन्हें सत्य का बोध हो चुका था। उनके सामने अब यह मुश्किल थी कि वे अपने जाति बंधुओं को कैसे बताएं कि आदि मूल सत्य क्या था, जिसका पालन पितरों के पितर करते थे ?
पीछा करते करते सिपाही भी पेड़ तक आ पहुंचा था। उन्हें अब सिपाही से बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा था। वे जान गए थे कि सिपाही की श्रेष्ठता उस सत्य में निहित है। जिसे वह मानता है। उगते हुए सूरज में उन्होंने पहचान लिया कि यह उनका अपना ही भाई है। बस मान्यता का अंतर था। सो, आज वह भी बाक़ी न था। आज सदियों के बिछुड़े दो भाई गले मिलने वाले थे।
काले चोर, काले तो पहले ही न थे और आज वे चोर भी न रह गए थे। उन्होंने परम पद पाने का दृढ़ निश्चय कर लिया था। वे सभी श्रेष्ठ हो चले थे। काले रंग वाला भी उनके अनुसरण के लिए तैयार था। जिस मार्ग पर महाजन चलते हैं, छोटे उसी पर चलने में गर्व का अनुभव करते हैं। यह स्वाभाविक ही है।
इस पोस्ट में व्यक्त विचार ब्लॉगर के अपने विचार है। यदि आपको इस पोस्ट में कही गई किसी भी बात पर आपत्ति हो तो कृपया यहाँ क्लिक करें|
इस पोस्ट पर टोटल (3) कॉमेंट | दूसरे रीडर्स के कॉमेंट पढ़े और अपना कॉमेंट लिखे|
कॉमेंट भेजने में कोई दिक्कत आए तो हमें इस पते पर बताएं -- nbtapnablog@gmail.com

रेटिंग3.15/5 (13 वोट्स)
(वोट देने के लिए कर्सर स्टार पर ले जाएं और क्लिक करें)
 इस आर्टिकल को ट्वीट करें।

ये पोस्ट भी पढ़ें

 
कॉमेंट:
छांटें:  सबसे नया | सबसे पुराने | सबसे ज्यादा चर्चित | लेखक के जवाब (1)


PKS
April 03,2013 at 06:20 PM IST
जमाल साहब सिपाही खुद को सिपाही मानने को तैय्यार नहीं..
जो टॉर्च उन्हें डी गयी थी दूसरों को रास्ता क्या बताते खुद ही उससे प्रकाशित हो रास्ता ढूंढ़ना भूल गये...
उधर काले गेहुएँ लबादे ओढ़े चोरों से व्यवहार करने वाले लोगों के देश में वक्त की धूल और पुरानी सी लालटेन की मद्धिम रोशनी ने उन्हें अपनी मूल और वास्तविक चीज़ों से ज़ुदा कर दिया हज़ारों सालों के समय ने अपने से 1 फुट दूर की चीज़ को ही अपना मानने की मज़बूरी काले लबादे की तरह ओढ़ा दी..
जो सुबह उन चारों को और सिपाही को नसीब हुई यहाँ तो दूर तक उसके निशानात नज़र नहीं आते...
जवाब दें

PKS
April 02,2013 at 04:17 PM IST
जमाल भई क्या यह आपने ही लिखा है?
मेरा मतलब इसका स्त्रोत?
आपका यह लेख आपको लेखकों की अग्रणी पंक्ति में खड़ा करता है...
मेरी दावत आपको और लिखने की और पुस्तक प्रकाशित करने की.....
जवाब दें
(PKS को जवाब )- डा. अनवर जमाल
April 02,2013 at 05:09 PM IST
शुक्रिया जनाब.
इसे हमने ही लिखा है.
हालात आपके सामने ही हैं.
Read More...

कोई तो है...


मुझे परेशां करने का
हर रोज वो रास्ता ढूँढ लेते हैं।
मैं छुप जाता हूँ अंधेरों में अक्सर,
फिर भी जाने किससे
वो मेरा पता पूछ लेते हैं।

कभी उनकी आवाज मुझे सताया करती थी,
आज ख़ामोशी से अपनी,
वो मेरा सीना चीर लेते हैं।

मैं कुछ भी नहीं बिन तेरे
इस जहां में माही !
फिर भी
"कोई तो है"....
ये कह के वो मुझसे मेरा
वजूद भी छीन लेते हैं ...

- महेश बारमाटे "माही"


Read More...

parasmani foundation:                                  Distribution of ...

parasmani foundation:
                                 Distribution of ...
:                                   Distribution of    Saris at Old Age Home Ranchi : The team of Parasmani Foundation a Social Organiz...
Read More...

Read Qur'an in Hindi

Read Qur'an in Hindi
Translation

Followers

Wievers

join india

गर्मियों की छुट्टियां

अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

Check Page Rank of your blog

This page rank checking tool is powered by Page Rank Checker service

Promote Your Blog

Hindu Rituals and Practices

Technical Help

  • - कहीं भी अपनी भाषा में टंकण (Typing) करें - Google Input Toolsप्रयोगकर्ता को मात्र अंग्रेजी वर्णों में लिखना है जिसप्रकार से वह शब्द बोला जाता है और गूगल इन...
    13 years ago

हिन्दी लिखने के लिए

Transliteration by Microsoft

Host

Host
Prerna Argal, Host : Bloggers' Meet Weekly, प्रत्येक सोमवार
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Popular Posts Weekly

Popular Posts

हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide

हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide
नए ब्लॉगर मैदान में आएंगे तो हिंदी ब्लॉगिंग को एक नई ऊर्जा मिलेगी।
Powered by Blogger.
 
Copyright (c) 2010 प्यारी माँ. All rights reserved.