दफ्तर लगते दस बजे, औ ' आठ बजे स्कूल ।
अजब नीति सरकार की , टेढ़े बहुत असूल ।
टेढ़े बहुत असूल , फ़िक्र ना मासूमों की
ए.सी. में बैठकर , बात हो कानूनों की ।
न सुनें हैं फरियाद , न दर्द जानते अफ़सर
जमीं के साथ विर्क , कब जुड़ेंगे ये दफ्तर ?
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रश्मि प्रभा (मुख्य निरीक्षिका -HBFI)
अख्तर खान अकेला (कानूनी सलाहकार-HBFI)
शालिनी कौशिक (कानूनी सलाहकार-HBFI)
4 comments:
sateek vyangaatmak kundali.bahut badhiya.
कुंडली बहुत अच्छी लगी |
आशा
बहुत अच्छी रचना...
सुंदर कुंडलियाँ,...
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