अंदाज ए मेरा: प्यार, प्यार, प्यार......
Posted on Friday, May 6, 2011 by Atul Shrivastava in
अंदाज ए मेरा: प्यार, प्यार, प्यार......: "http://atulshrivastavaa.blogspot.com जिंदगी इंसान को कभी कभी ऐसे मोड पर लाकर खडा कर देती है कि इंसान विचारशून्य हो जाता है और कोई फैस..."
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2 comments:
श्रीमान जी, क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
दोस्त मैं अगर यहाँ होता तब:- पहले तो राजश्री के होते हुए चांदनी और प्रतीक्षा का प्रवेश मेरी जिंदगी में होता ही नहीं. सच्चे प्यार की यहीं परिभाषा भी है. अगर राजश्री को कई सालों तक खोजने या उसकी शादी का समाचार प्राप्त होने पर अपने माता-पिता द्वारा चयनित लड़की को अपना प्यार देता. चांदनी और प्रतीक्षा जैसी और भी अनेकों लड़कियों को अपनी सच्ची दोस्त बनाकर अपने अंदर और समाज में फैली कुरीतियों को मिटाने के लिए कुछ योगदान देता या प्रयास करता. आपके पात्र आकाश ने प्यार नहीं, प्यार को खिलवाड़ बनाया. सच्चा प्यार एक बार किया जाता है उसके बाद सिर्फ(मज़बूरी में) प्यार किया जाता है. सच्चा प्यार त्याग, तपस्या, समपर्ण भाव और बलिदान मांगता हैं. आप द्वारा किया सच्चा प्यार आपको सजा भी देता हैं. अगर विश्वास नहीं हो तो आप http://sach-ka-saamana.blogspot.com ,उपरोक्त ब्लॉग एक बार जरुर पढ़ें.
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