दोस्तों में आपको राजस्थान राज्य के कोटा शहर की पत्रकारिता की कुछ बानगी दिखाना चाहूँगा .दलित , शोषित और उत्पीडित लोगों की कहानी लिखने का दावा करने वाले पत्रकारिता से जुड़े लोग केसे छोटे पुलिस अधिकारीयों के आगे नत मस्तक हो जाते हैं और खबरों को चबा डालते हैं इसका एक उदाहरण नहीं अनेक उदाहरण है लेकिन एक उदाहरण ताज़ा है जो आपके सामने रखना जरूरी हो गया है ...कोटा में ठेके पार नो पार्किंग के वाहन उठाने का काम हो रहा है यहाँ कथित रूप से प्रतिदिन सो से भी अधिक वाहन ठेकेदार उठाता है जिसमे तीन सो रूपये प्रति वाहन से लिए जाते हैं और दो सो ठेकदार को सो रूपये सरकार को मिलते हैं बस कमाई के लालच में ठेकेदार सही जगह खड़े वाहनों को भी उठाकर ले जाते हैं और फिर चोथ वसूली करते हैं ..हाल ही में एक लडका अनवर सिटी मोल के बाहर खड़ा था उसकी दुपहिया वाहन जब उसी के सामने पार्किंग में खड़े होने के बाद भी लेजाया जाने लगा तो उसने एतराज़ जताया बस फिर क्या था पुलिस अधिकारी उसे विज्ञाननगर थाने ले गए मारा पीटा और सरकारी कर्मचारी पार हाथ उठाने का मुकदमा लगाकर उसे पुलिस लोक अप में डाल दिया ...दुसरे दिन अनवर की जमानत हुई उसने चोटों का परीक्षण करवाया और फिर अदालत में सभी पुलिस अधिकारीयों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ परिवाद पेश किया अदालत ने मामला गंभीरता से लिया और सभी पुलिस अधिकारियों , पुलिस जवानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए .... सभी कोटा के अख़बारों के अदालत बीट वाले पत्रकार हैं जो अदालत की खबरों की पत्रकारिता करते हैं उन्होंने इस खबर को पहले से ही जानकारी होना कहकर छापने में असमर्थता जताई और सीधे अख़बार के दफ्तरों में जाकर बड़े सम्पादक जी को देकर आने का सुझाव दिया खेर अनवर अदालत के परिवाद को लेकर सभी कथित रूप से कहे जाने वाले बड़े व्यापारी अख़बारों के दफ्तर में पहुंचा वहां खबर दी लेकिन सम्पादक जी के फोन की घंटियाँ घन घनायीं पुलिस पत्रकारिता गठबंधन हुआ और पुलिस ज़ुल्म का किस्सा जिसके खिलाफ अदालत ने मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही का आदेश दिया था वोह खबर अख़बारों से गायब हो गयी छोटी छोटी खबरें थीं लेकिन पुलिस ज़ुल्म की कहानी और अदालत की ज़ालिम पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की खबर सभी कोटा बड़े अख़बार बड़े सम्पादक बड़े रिपोर्टर चबा गए थे अब बताओं कोटा की इस पत्रकारिता को आप क्या कहेंगे हम तो बस खुदा से यही दुआ करते हैं के कोटा के पत्रकारों को खुदा सद्बुद्धि और इमानदारी दे ताकि जालिमों के किस्से यूँ अख़बारों की खबरों से गायब ना हों ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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