.बात त्यौहार और खासकर इस्लाम से जुड़े क़ुरबानी के त्यौहार ईदुज्जुहा की है
Posted on Tuesday, November 1, 2011 by आपका अख्तर खान अकेला in
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अख्तर खान अकेला (कानूनी सलाहकार-HBFI)
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2 comments:
यह कुरवानी नाम की बेकार की खून्ख्खार प्रथा ही बन्द होनी चाहिये.....इस प्रक्रिति व जानवर-बचाओ युग में....
Dr. shyam gupta किसकी बात मान कर किसको बंद कराया जाये
वेदों और उपनिषदों की आवाज एक नहीं है। रामायण और गीता एक दूसरे से भिन्न हैं। उत्तर का हिंदुत्व दक्षिण से भिन्न है। स्वामी दयानंद का हिंदुत्व स्वामी विवेकानन्द से भिन्न है। 19वीं सदी में जहां आर्य समाज के संस्थापक ने हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व करते हुए मूर्ति पूजा, व्रत, उपवास, अवतारवाद, तीर्थयात्रा आदि को पाखंड और मूर्खतापूर्ण बताया वहीं रामकृष्ण परमहंस (1836-1886) और रामकृष्ण मिशन के संस्थापक कर्मठ वेदांती स्वामी विवेकानंद (1863-1902) ने समग्र हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व करते हुए मूर्ति पूजा, व्रत, उपवास, अवतारवाद, तीर्थयात्रा आदि सभी को सार्थक और अनिवार्य बताया है। हिंदू धर्म की इतनी स्थापनाएं और उपस्थापनाएं हैं कि समझना और समझाना तथा इसकी कोई खूबी बयान करना अत्यंत मुश्किल काम है।
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