में तो अकेला चला था जानिबे मंजिल ................

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  • Friday, November 4, 2011
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  • आपका अख्तर खान अकेला
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  • जी हाँ जनाब किसी ने कहा है के में तो अकेला चला था जानिबे मंजिल लोग चलते गये और कारवां बनता गया सही कहावत है कहते है कोई काम नहीं है मुश्किल जब किया इरादा पक्का ....दोस्तों में इंटरनेट और कम्प्यूटर की ऐ बी सी डी से भी वाकिफ नहीं हूँ ..और हकीक़त यह है के में इंटरनेट या कम्प्यूटर पर हिंदी टाइपिंग भी नहीं जानता हूँ भला हो गूगल सेवाओं का जिनके कारण में अपनी भावना हिंदी भाषा में लिख कर आप लोगों के सामने प्रदर्शित कर रहा हूँ ..मेर बेटे शाहरुख खान ने जब मई २०१० में मेरा ब्लॉग बनाया तो मुझे पता नहीं था के मुझे फेस बुक को भी फेस करना होगा और गूगल की जी मेल सेवा का भी मुझे लाभ प्राप्त होगा ..दोस्तों में हिंदी ब्लोगिंग करता रहा मेरी कभी आलोचना हुई तो कभी मुझे सराहा गया में फेस बुक से जुड़ा मुझे एक जूनून स्वर हुआ के में बहुत जल्द फेसबुक के पांच हजार दोस्तों की हद पर कर लूँ और आप लोगों के आशीर्वाद से फेसबुक पर में आज पांच हजार मित्रों की हदें बहुत काम वक्त में पार कर चूका हूँ यह सब आप दोस्तों और भाइयों बहनों के प्यार के कारण ही संभव हो सका है दोस्तों मेरा सपना है के में हिंदी ब्लोगिंग में भी सबसे तेज़ लिक्खड़ की तरह कम वक्त में पांच हजार पोस्टें लिखने वाला लिक्खड़ ब्लोगर बन जाऊं ..........मुझे याद है मुझे बेस्ट ब्लोगर भाई ललित शर्मा मिले थे और जब मेरी पांच सो पोस्टें पूरी हुईं तो में ख़ुशी से फुला नहीं समा रहा था तब मुझे भाई ललित शर्मा ने ब्लोगिंग की ऐ बी सी डी से अवगत कराते हुए साहस दिलाया के पांच हजार पोस्ट लिखो तो मुझे बताता में खुद तुम्हारे ऊपर पोस्ट लिखूंगा दोस्तों बात निकली थी ब्लोगिंग समझ से लेकिन दिल को चुभ गयी और तब से में अपने महत्वपूर्ण कामों को भी नज़र अंदाज़ कर जब भी मुझे फुर्सत मिली लिखता रहा लिखता रहा और आज मुझे गर्व है के मेरे ब्लॉग के ४८०० आर्टिकल पुरे हो गये है और खुदा ने अगर मुझे ज़िंदा रखा और सब कुछ ठीक चलता रहा तो वर्ष २०११ में दिसम्बर तक में पूरी पांच हजार पोस्ट पूरा कर सबसे तेज़ लिखने वाला लिक्खड़ बन सकूंगा इस दोड़ में में अकेला ही नहीं हूँ मुझे कभी दिनेश राय द्विवेदी जी ने झकझोरा तो कभी भाई अनवर जमाल ..भाई मासूम ..भाई रमेश सिरफिरा .....भाई शाहनवाज़ ..बहन रश्मि शर्मा ..वन्दना गुप्ता सहित करिव पञ्च सो से भी अधिक ब्लोगर साथियो ने मुझे हिमात दिलाई और में आज इस दोड़ में अव्वल हूँ और एक अव्वल रिकोर्ड बनाने के प्रयास में हूँ खुदा करे भाई ललित शर्मा का आशीर्वाद में पूरा कर सकूं और इसी वर्ष २०११ में पूरी पांच हजार पोसते लिख सकूं देखिये अभी मेरी कुल ४८०० पोस्टें पूरी हुई है मेरे पास कहने वक्त है अगर कुदरत ने मुझे वक्त दिया और सब कुछ ठीक रखा तो खुदा मुझे कामयाब कर देगा और में खुद अपनी कामयाबी पर हेरान सा मेरे दोस्तों भाइयों और बहनों के प्यार मोहब्बत और मार्गदर्शन का एहसानमंद होकर उनके बोझ तले खुद को खुशनसीब समझता रहुगा काश ऐसा हो जाए और जल्दी से जल्दी हो जाए ........................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

    1 comments:

    चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

    सब से तेज़ में मजरूह हुआ तो क्या, अकेला तो नहीं :)

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