रंग बिरंगी एकता: मौत
गरीब पर ज़ुल्म दुनिया में हर जगह पाया जाता है और अगर इस दौरान वो मर जाते हैं तो एक आंकड़ें में बदल दिए जाते हैं… और सही भी है एक नंबर के लिए अपराधबोध कम होता है… सब बड़ों की सहूलियत के लिए है…
जो आँकड़ा बन के रह गए,
वो भी मेरी तुम्हारी तरह ज़िन्दगानियाँ थीं,
जिनकी मट्टी को मट्टी भी न मिल सकी,
उनके जिस्मों में भी रवानियाँ थीं
रंग बिरंगी एकता: मौत
Posted on Friday, August 24, 2012 by HAKEEM YUNUS KHAN in
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3 comments:
अहम् आंकड़े हैं भरत, दंगा सूखा बाढ़ |
तड़ित गिरे बादल फटे, दे धरती को फाड़ |
दे धरती को फाड़, रोड पर झन्झट भारी |
रेल बम्ब विस्फोट, आंकड़ों की तैयारी |
कह रविकर कविराय, विवाहित हड़-बड़े छड़े |
लिविन रिलेशन ढेर, देखिये अहम् आंकड़े ||
अहम् आंकड़े हैं भरत, दंगा सूखा बाढ़ |
तड़ित गिरे बादल फटे, दे धरती को फाड़ |
दे धरती को फाड़, रोड पर झन्झट भारी |
रेल बम्ब विस्फोट, भुखमरी सी बीमारी |
कह रविकर कविराय, विवाहित छड़े हड़-बड़े |
लिविन रिलेशन ढेर, देखिये अहम् आंकड़े ||
.nice presentation.संघ भाजपा -मुस्लिम हितैषी :विचित्र किन्तु सत्य
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