जोगेन्द्र ने अपने पिता चन्द्रपाल सिंह को गोली मार कर वहां टोपी और तहमद डाल दी ताकि लोग यह समझें कि उन्हें टोपी तहमद वालों ने मारा है। उसने अपने पूर्व फ़ौजी पिता के साथ बटाईदार सौराज की भी हत्या उस समय की जबकि वे दोनों अपने खेतों को पानी दे रहे थे। उसके इस कुकर्म की वजह से गांव के दर्जनों लोगों को पुलिस की पूछताछ का कष्ट झेलना पड़ा और अगर कोई दंगा भड़क जाता तो कितनी ही जानें अलग चली जातीं। यह घटना ज़िला सहारनपुर के थाना बड़गांव के गांव खुदाबक्शपुर माजरा में एक महीने पहले हुई थी। दैनिक जागरण के अनुसार बुधवार दिनांक 6 नवंबर 2013 को पुलिस ने इस जुर्म के हक़ीक़ी मुल्ज़िम को गिरफ़्तार करके उससे आला ए क़त्ल भी बरामद कर लिया है। मज़ीद तफ़सील के लिए देखिए अख़बार की कटिंग।
आदमी नफ़रत और लालच में कितना भी गिर सकता है और कितना भी घिनौना जुर्म कर सकता है। हमारे समाज में होने वाले दंगों के पीछे भी नफ़रत और लालच जैसे जज़्बात ही काम करते हैं। दंगाई इंसानियत से गिरे हुए लोग हैं। सत्ता के लालची नेता लोगों के दरम्यान नफ़रत फैलाते हैं। वे ऐसा न करें तो दंगा नहीं हो सकता।
जोगेन्द्र ने एक आम आदमी की हैसियत से यह जुर्म किया है। इसलिए वह पकड़ लिया गया लेकिन जो लोग नेता की हैसियत से इससे बड़े जुर्म करते हैं। उन्हें पकड़ना आसान नहीं है तो ऐसे मुजरिमों को सज़ा मिलने की बात क्या की जाए?
जोगेन्द्र टोपी और तहमद ख़रीद लाया और ख़बर आ रही है कि कोई हज़ारों बुरक़े ख़रीदे बैठा है। लोगों की अक्ल चकरा जाए, ऐसी साज़िशें रची जा रही हैं। इन साज़िशों से वही बच सकता है जो कि लालच और नफ़रत के नकारात्मक भाव पर क़ाबू पा चुका हो।
जोगेन्द्र ने एक आम आदमी की हैसियत से यह जुर्म किया है। इसलिए वह पकड़ लिया गया लेकिन जो लोग नेता की हैसियत से इससे बड़े जुर्म करते हैं। उन्हें पकड़ना आसान नहीं है तो ऐसे मुजरिमों को सज़ा मिलने की बात क्या की जाए?
जोगेन्द्र टोपी और तहमद ख़रीद लाया और ख़बर आ रही है कि कोई हज़ारों बुरक़े ख़रीदे बैठा है। लोगों की अक्ल चकरा जाए, ऐसी साज़िशें रची जा रही हैं। इन साज़िशों से वही बच सकता है जो कि लालच और नफ़रत के नकारात्मक भाव पर क़ाबू पा चुका हो।
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