जी हाँ दोस्तों किसी शायर ने कहा था के ..बहुत शोर सुनते थे सीने में दिल का ..जो चीरा तो कतरे खूं ना निकला ..यह बात राजस्थान की राजनीती में राहुल की बेबसी से साबित होती जा रही है .........हम बात कर रहे हैं युवराज कोंग्रेस का भविष्य देश के भावी प्रधानमन्त्री और इन्डियन नेशनल कोंग्रेस के भावी अध्यक्ष की जिनके बारे में जनता जानती है के उनके सीने में मानवता भरा दिल है ..जज्बे में इंसाफ है और निर्णय में ताकत है अपने इसी जज्बे के करना वोह महाराष्ट्र और अरुणाचल के मुख्यमंत्रियों को घर का रास्ता दिखा कर यह साबित कर चुके है के कोंग्रेस की नीतियों और जनता के हितों के खिलाफ काम करने वाले किसी भी नेत्रत्व की उन्हें जरूरत नहीं है वोह जहां भी जाते है कुछ नया कर अपनी वाह वाही लूटते हैं ...... राजस्थान में यूँ तो माइनोरिटी कल्याण के नाम पर तमाशा है लेकिन पिछले दिनों भरतपुर के गोपलागढ़ में जब मुस्लिम धार्मिक स्थल में घुस कर पुलिस के जवानों ने पीठ पर गोलियां चला कर निहत्थों की जान ली तो भरतपुर ही नहीं राजस्थान ही नहीं पूरा देश हिल गया लेकिन राजस्थान की सरकार तमाशबीन बनकर इन प्रशासनिक हत्याओं को जायज़ ठहराती रही कहते हैं के खून सर चढ़ कर बोलता है और यहाँ खून सर चढ़ कर बोला भी पहले दोरे में कोंग्रेस और भाजपा ने मेच फिक्सिंग की और गोपालगढ़ की घटना को जायज़ ठहराया लेकिन कोंग्रेस की विधायिका ने जब शोर मचाया तो कोंग्रेस की आँखें खुलीं और कोंग्रेस हाई कमान ने पहले एक दल भेजा फिर प्रदेश कोंग्रेस का दल आया फिर कोंग्रेस हाईकमान के निर्देशों पर चार सांसदों का एक दल जिसमें खुद मुकुल वासनिक भी थे आये और उन्होंने जो हालत देखे जो हालत सुने उससे उन्होंने खुद अपने दांतों तले उंगलिया दबा लीं ....राहुल गान्धी ने जब यह सूना और हालात देखे तो उनके होश फाख्ता हो गये और इस खून की होली के पीछे का सच जानने के लियें उन्होंने राजस्थान में स्टिंग ओपरेशन के तहत एक ख़ुफ़िया दोरा किया ..इस दोरे का सच जब भाजपा और कोंग्रेस ने जाना तो इन दोनों पार्टियों के कुछ नेताओं ने मिलजुलकर राहुल को पहले बदनाम किया भाजपा नेताओं के जरिये राहुल को दबाव में लेने के लियें अपराधी की मोटर साइकल पर बेठने का हव्वा खड़ा किया ......राहुल तो राहुल थे उनके इरादे मजबूत थे और सारे देश की निगाहें राहुल के निर्णय पर टिकी थीं राहुल चाहते थे के राजस्थान में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक बदलें राहुल का दबाव बना हाईकमान को निर्देश जारी किये गये राजस्थान के राज्यपाल को राजस्थान बुलाया गया लेकिन दूसरी तरफ एक खेमा जो कोंग्रेस में खुद को राहुल और सोनिया से भी बढ़ा समझता है वोह सक्रिय हो गया वोह खेमा चाहता था के राहुल के इस दोरे से अगर राजस्थान में कोई फेरबदल नहीं होता है तो राहुल उन दिग्गजों से हमेशा दब का रहेंगे लेकिन अगर ऐसा हो गया तो सभी दिग्गजों को राहुल का लोहा मानकर उनसे दबना पढेगा बस अशोक गहलोत से लेकर दिग्विजय सिंह मुकुल वासनिक तक इस दोड़ में लग गये और राहुल को असफल साबित करने के लियें उनके निर्णय की नाफरमानी को केसे अंजाम दे इसका दबाव बनाने का प्रयास करने लगे अशोक गहलोत और दुसरे मंत्रियों उनके चमचों उनके चमचे मोलानाओं ने दिल्ली राहुल सोनिया और हाईकमान के दुसरे नेताओं के चक्कर काटे और फिलहाल राजस्थान के राज्यपाल को बेरंग लोटा दिया देश में कहा जाता है के राजस्थान के मुख्यमंत्री सभी राज्यों से अब तक के सबसे कमजोर मुख्यमंत्री हैं यही वजह रही है के नोकर्शाहों के भरोसे चलने वाले इन मुख्यमंत्री जी ने सत्ता के विकेंद्रीकरण के तहत कोई बोर्ड..निगम ..आयोग नहीं बनाये है और जनता कार्कर्ता यूँ ही परेशान घूम रहे है .......कोंग्रेस में एक बढ़ा तबका जो बुज़ुर्ग है साथ से ऊपर है वोह चाहता है के राहुल के निर्णय को राजस्थान में अगर लागू होने दिया तो राहुल की युवा निति के तहत एक दिन उनका सफाया हो जाएगा इसलियें अपने वज़न को राहुल के सामने बनाये रखने के लियें वोह राहुल और सोनिया पर हर तरह से दबाव बना रहे है के राजस्थान में राहुल का निर्णय लागू नहीं हो काफी हद तक कोंग्रेस के राजस्थानी और राहुल विरोधी दिग्गज इस फार्मूले में कामयाब भी हो गये है और राहुल जो कोंग्रेस के हीरो कहे जाते हैं उन्हें राजस्थान की कोंग्रेस ने जीरो साबित कर दिया है ..लेकिन कोंग्रेस के राहुल विरोधी दिग्गजों के इस रवय्ये से राजस्थान में इन्साफ नहीं होने से उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी और प्रियंका की महनत ने कोंग्रेस को सत्ता के करीब पहुंचाया था राहुल की उस महनत पर राजस्थान में राहुल की हार ने पानी फेर दिया है और उत्तर प्रदेश में राजस्थान के इस फेसले से कोंग्रेस जो जीत की तरफ बढ़ गयी थी उसे फिर हरा दिया गया है और इसके बाद कोंग्रेस के राहुल को घेरे हुए राहुल विरोधी दिग्गजों के चेहरे पर जीत की मुस्कान है .............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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