यह बात सही है कि
लोग आलोचनात्मक टिप्पणियों को पचा नहीं पाते है अक्सर उन्हें या तो प्रकाशित नहीं किया जाता या फिर हटा दिया जाता है | कई बार तो लोग आलोचनात्मक टिप्पणी करने वाले को ही भला बुरा कहने लगते है | किंतु क्या कभी किसी ने इस बात पर भी ध्यान दिया है की आलोचना है किस बला का नाम क्योंकि यहाँ तो यदि कोई आप की बात से असहमत हो जाये या आप की विचारों के विपरीत विचार रख दे, जो उसके अपने है तो लोग उसे भी अपनी आलोचना के तौर पर देखने लगते है , जबकि वास्तव में कई बार ऐसा नहीं होता है है कि दूसरा ब्लॉगर आप को कोई टिप्पणी दे रहा है जो आप के विचारों से मेल नहीं खा रहा है तो वो आप की आलोचना ही करना चाह रहा है | कई बार इसका कारण ये होता है की वो बस उस विषय में अपने विचार रख रहा है जो संभव है की आप के सोच से मेल न खाता हो , कई बार सिक्के का दूसरा पहलू भी दिखाने का प्रयास किया जाता है |
शुक्रिया मैंगो पीपुल
http://mangopeople-anshu.blogspot.com/2011/10/mangopeople_07.html
8 comments:
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
बेहतरीन ||
बहुत बहुत बधाई ||
dcgpthravikar.blogspot.com
सच कहा .
कई बार सिक्के का दूसरा पहलू भी दिखाने का प्रयास किया जाता है..sach kaha aapne.. yahi baat sab samjh le to phir tanta hi khatm...
bahut badiya prastuti..
कितना भी कोई कबीरजी के दोहों से एक यह दोहा; "निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाय।
बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय॥" याद कर ले, निंदा पचा नही पाता…मानवीय प्रवृत्ति है…और जो पचा लिया बस वह तो उसके लिये टॉनिक का काम कर गया…हां पर निंदा फ़िज़ूल का न हो…अच्छी प्रस्तुति…बधाई।
----एक दम सही कहा जमाल साहब..... ब्लॉग पर बहुत से स्वनाम धन्य शास्त्री-टाइप लोग हैं जो आलोचनात्मक टिप्पणियों को समझ नहीं पाते ---और तुरंत डिलीट ....या बुरा भला कहने पर भी उतर आते हैं....कुछ ने तो टिप्पणी बोक्स में बोर्ड लगा रखा है कि सोच समझ कर टिप्पणी करें, न समझ आने वाली विपरीत विचार धारा की टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी ,,
सार्थक लेख....
सादर..
बहुत सच कहा है..
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