वर्तमान परिदृष्य को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है मानो गाँधीजी का भारत में जन्म हुआ ही नहीं हो। चारों ओर बेईमानी का चलन हो गया है। क्षेत्र चाहे राजनीति हो या कुछ और बजाय योग के भोग की आदत पड़ गई है लोगों को। अधिक से अधिक पैसा बनाना हर व्यक्ति की दिनचर्या का महत्वपूर्ण अंग बन गया है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह पैसा हलाल की कमाई का है या हराम की कमाई का। वैसे सच्चाई तो यह है कि ईमानदारी से काम करने वाले के हाथ सदा खाली ही रहते हैं।
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- फिरोज बख्त अहमद
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार एवं मौलाना आजाद के पौत्र हैं।)
2 comments:
अगर सभी गांधी हो गए तो कलमाडी कहां जाएंगे :)
फिरोज जी और अनवर जमाल जी को नमस्कार, बहुत अच्छी रचना आज हमारे देश को एक तरफ जहाँ गाँधी की वहीं दूसरे तरफ सुभाष चन्द्र बोस व मौलाना आजाद जैसे लोगों की महती आवश्यक्ता है।
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