प्रधानमंत्री जी का बच्चों के नाम संदेश

Posted on
  • Friday, November 11, 2011
  • by
  • डॉ. दिलबागसिंह विर्क
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    आज शिक्षा दिवस है. शिक्षा दिवस पर भारत के माननीय प्रधानमन्त्री श्री मनमोहन सिंह जी ने बच्चों के नाम संदेश सभी स्कूलों में भेजा है. सम्भवत: इसे स्कूलों में पढ़ा गया होगा. जो बच्चे इससे वंचित रहे उनके लिए ब्लॉग पर यह संदेश प्रस्तुत है.


                               संदेश 
     इस महान देश के होनहार बच्चो !
      
    आज शिक्षा दिवस है - अपने देश के पहले शिक्षामंत्री अबुल कलाम आज़ाद का जन्म दिन. इस वर्ष हम इस दिन से पूरे देश में ' शिक्षा का हक अभियान ' शुरू करने जा रहे हैं.
                   मौलाना आज़ाद भी जब आपकी तरह ही एक छात्र थे तब उन्होंने खूब मन लगाकर पढाई की थी. पढने-लिखने में उनकी लगन ऐसी बेमिसाल थी कि ग्यारह-बारह साल की छोटी सी उम्र में ही वे अपने से दोगुनी उम्र के लोगों के शिक्षक बन गए. वे बाद में पत्रकार बने, फिर देश की आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गाँधी के साथी और जब देश आज़ाद हुआ तो उन्होंने शिक्षा मंत्री के रूप में एक ऐसे भारत का सपना देखा जहाँ हर नागरिक पढ़ा-लिखा हो. मैं चाहता हूँ आप भी मौलाना आज़ाद की तरह पढ़ें-लिखें. 
                      मेरे पास एक जादू है जिससे आप बहुत बड़े काम कर सकते हैं. उस जादू का नाम है शिक्षा. शिक्षा सिर्फ इसलिए ही नहीं जरूरी है कि पढ़-लिख जाने के बाद नौकरी मिल सकती है या समाज में आदर सम्मान मिल सकता है. शिक्षा इसलिए जरूरी है कि पढ़-लिखकर हम एक नया संसार बना सकते हैं. शिक्षा जादू है, क्योंकि पढने-लिखने के बाद हर इन्सान का एक नया जन्म होता है.  
                  शिक्षा हासिल करने के बाद मेरा भी एक नया जन्म हुआ था. मेरी स्कूली पढ़ाई एक गाँव में हुई. ऐसे गाँव में जहाँ बिजली नहीं थी. मिट्टी के तेल से जलने वाली ढ़िबरी की रौशनी में मैंने स्कूली पढाई की है. तब मेरे गाँव में न तो कोई पक्की सडक थी और न ही स्कूल जाने के लिए कोई तेज-रफ्तार गाड़ी. मीलों पैदल चलकर मैं स्कूल पहुंचता था. मैंने अपनी तरफ से खूब मेहनत की और देश ने मुझे इस मेहनत का हमेशा बड़ा मीठा फल दिया. जीवन के इस सफर में, मैं जहाँ भी पहुंचा अपनी पढाई के कारण पहुंचा . इसीलिए मैं आपसे फिर कहता हूँ कि शिक्षा ऐसा जादू है जिसके सहारे हम जहाँ चाहें पहुंच सकते हैं.
                          मेरे बचपन में प्राथमिक शिक्षा न तो आज की तरह मुफ्त थ और न ही सभी बच्चों को आज की तरह शिक्षा पाने का अधिकार था. आज के भारत में बिना भेदभाव के शिक्षा सभी बच्चों का बुनियादी हक है. गाँधी जी ने कहा था कि किसी भी प्रकार की शिक्षा के लिए स्वस्थ जिज्ञासा और सवाल पूछते रहना परम आवश्यक है. आप खूब सवाल पूछिए, खूब जवाब मांगिए और मन लगाकर पढाई कीजिए, और आप सभी को आगे बढ़ने के अवसर मिलते जाएँगे.
           
    आप भी पढ़-लिखकर नई बुलंदियों को छूएं. मेरा प्यार व आशीर्वाद आपके साथ है.


    नई दिल्ली
    11 -11 -11  

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