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जिसे नहीं रहना अब
उसे लहरें अपने आगोश की पनाह देती हैं
फिर मंथन मंथन मंथन
और यादें बाहर रख जाती हैं
कुछ मीठी कुछ खट्टी कुछ तीती कुछ ज़हरीली ....
सिर्फ ज़हर क्यूँ उठाना ?
अगर उठाना ही चाहते हो
तो एक बार सागर को देखो
ज़हर को तो उसने पी लिया
जो लौटा गया है-
वह सीख है
कि तुम्हें याद रहे
ज़हरीले लोग कौन थे !
7 comments:
nav varsh ki shubhkamnayen...:)
जो लौटा गया है-
वह सीख है
कि तुम्हें याद रहे
ज़हरीले लोग कौन थे !
और ये सीख जिन्दगी की ,
कठिनाइयों को दूर कर जाती है.... !!
बहुत सुंदर रचना...
आपका नव वर्ष मंगलमय हो
ताकि तुम्हे याद रहे ...
सागर के बहाने अच्छा सबक याद दिलाया ...
नव वर्ष की बहुत शुभकामनायें !
बहुत बहुत सुन्दर रश्मि जी...
नववर्ष मंगलमय हो..
सादर.
सार्थक वंदन है आपकी रचना में एक सन्देश भी निहित है |बधाई |
सारगर्भित रचना, शुभकामनाएं.
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