साहित्य सुरभि: अग़ज़ल - 31
Posted on Friday, December 30, 2011 by डॉ. दिलबागसिंह विर्क in
साहित्य सुरभि: अग़ज़ल - 31: ऐसे लगता है जैसे यह जिन्दगी देवदासी है बाँट दी हैं सब खुशियाँ, मेरे पास सिर्फ उदासी है । बड़े अरमानों से देखा था तेरी ...
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