ब्लॉगर्स मीट वीकली (38) Human Nature

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  • Monday, April 9, 2012
  • by
  • DR. ANWER JAMAL
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  • अस्-सलामु अलैकुम और ओउम् शांति के बाद,
    आप सभी का हार्दिक स्वागत है
    हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल की ताज़ा पोस्ट्स के साथ
      डॉ. श्यामल सुमन

    भाई से प्रतिघात करो

    मजबूरी का नाम न लो मजबूरों से काम न लो 

    वक्त का पहिया घूम रहा है व्यर्थ कोई इल्जाम न लो  

    खुदा भी क्या मौसम देते हैं

    खुशियाँ जिनको हम देते हैंवो बदले में गम देते हैं

    जख्म मिले हैं उनसे अक्सरहम जिनको मरहम देते हैं

    अफ़सर पठान

    जीव-जंतु


    गायब होते गिद्धमुझे अच्छी तरह याद है, अभी कुछ ज्यादा अरसा भी नहीं गुजरा है गिद्ध बड़ी आसानी से दिखाई देते थें मगर आजा हालात बदल गये हैं, अब ढ़ूढ़ने से भी नहीं दिखते। हमारे घर के पीछे एक बड़ा तालाब है, जिसे गांव वाले न जाने क्यूं खरगस्सी कहते हैं

     

    दर्द

     

    राम तेरी गंगा मैली हो गयी..... इतिहास गवाह है कि विश्व की महान मानव सभ्यताओं का विकास नदीयों के किनारे हुआ है। हर काल में मानव सभ्यता के विकास में नदीयों से गहरा रिष्ता रहा है। बात चाहे सिन्धु नदी घाटी सम्यता का हो या अमेजन की अथवा नील नदी की लें ख मोक्षदायीनी गंगा को लें। हर स्थान व काल में मानव का नदीयों से माँ-पुत्र का रिष्ता रहा है।...
    डा. अयाज़ अहमद

    बोल्ड विषय पर संभलकर बोलना चाहिए


    वंदना गुप्ता ने मियां बीवी के ताल्लुकात खुशगवार बनाने के लिए कुछ टिप्स दिए तो श्याम गुप्ता को बुरा क्यों लगा ? और बुरा लग भी गया तो श्याम जी भड़क क्यों गए ? मैं तो समझ नहीं पाया . कोई समझा हो तो वह श्याम गुप्ता को समझा दे कि समाज में सभ्यता के साथ कैसे रहा जाता है ?,  खासकर हिन्दी ब्लॉग जगत में. बोल्ड विषय पर संभलकर बोलना चाहिए...
    दोस्तो ! डा. अयाज़ अहमद साहब की पोस्ट पेश करने के साथ ही यह बता देना भी ज़रूरी है कि यह हफ़्ता वंदना जी की पोस्ट का मुददा ही हिंदी ब्लॉगर्स के दरम्यान सबसे ज़्यादा चर्चित रहा है।
    देखिए ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ पर

    संभोग रहस्य - Vandana Gupta 




    वंदना गुप्ता जी का मानना है कि नारी संतुष्टि के लिए संभोग में पुरूष का धैर्य आवश्यक है। यह संभवतः पहला मौक़ा है जबकि हिंदी ब्लॉग जगत में किस



    एक नारी ने नर-नारी के जटिल संबंधों को देखा और उनमें मौजूद मुख्य समस्या नारी की संतुष्टि के विषय पर उस नारी ने ही समाधान भी दिया। जिसका स्वा
    (मनोज कुमार)



    एक अच्छी रचना देने के लिए आपका शुक्रिया . रब ने हमें एक सुंदर शरीर दिया, आत्मा दी और वह सब कुछ दिया जिसके ज़रिये हम उसे पा सकते हैं। ...
    ऑल इंडिया ब्लॉगर्स असोसिएशन

    ‘संभलकर, विषय बोल्ड है‘ पर टिप्पणी

    वंदना गुप्ता जी ! आपने नर नारी संबंधों के क्रियात्मक पक्ष की जानकारी बहुत साफ़ शब्दों में दी है। यह सबके काम आएगी। तश्बीह, तम्सील और बिम्बों के ज़रिये कही गई बात को केवल विद्वान ही समझ पाते हैं और फिर उनके अर्थ भी हरेक आदमी अलग अलग ले लेता है। 

    वंदना गुप्ता जी की पोस्ट से ध्यान हटाने की कोशिश करते हुए ख़ुशदीप सहगल जी ने जो कोशिश की,
    वह ख़ुद एक मुददा बन गई।

    मां बाप का आदर करना सीखिए Manu means Adam

     



    बोल्डनेस छोड़िए हो जाइए कूल...खुशदीप​ के सन्दर्भ में   ख़ुशदीप सहगल किसी ब्लॉग पर अपनी मां का काल्पनिक नंगा फ़ोटो देखें तो उन्हें...
    @ ख़ुशदीप जी ! सारे इंटरप्रेटेशन से अलग हटकर भी क्या आप यह बात नहीं जानते कि मुसलमान ... नबियों के चुटकुले नहीं बनाते यह बात आप जानते हैं न ?
    यह बात जानने के बाद भी आपने चुटकुला यहां पब्लिश किया और नंगे फ़ोटो के साथ पब्लिश किया। 

    पुरखों के सम्मान से, जुडी हुई हर चीज ।
    अति-पावन है पूज्य है, मानवता का बीज ।
    मानवता का बीज, उड़ाना हँसी ना पगले ।
    करे अगर यह कर्म, हँसेंगे मानव अगले ।  
    पढो लिखो इतिहास, पाँच शतकों के पहले ।
    आदम-मनु हैं एक, बाप अपना भी कह ले ।



    ख़ुशदीप जी ने हमारे ऐतराज़ के बाद पहले तो टाल मटोल का रवैया अपनाया लेकिन जब हमने ब्लॉग जगत में कई मंचों पर यह मुददा उठाया तो फिर उन्होंने

    दो बेहतरीन पोस्ट
    ‘बड़ा ब्लॉगर कैसे बनें ?‘ पर

    बड़ा ब्लॉगर वह है जो दुनिया जहान का विश्लेषण करता है Real Blogger

    आदमी की सहज वृत्ति है कि वह सदा दूसरों का विश्लेषण करता है।
    जब वह ब्लॉगिंग में आता है तो अपनी यह आदत भी साथ लेकर आता है।
    एकलव्य कितना ही बड़ा धनुर्धर हो लेकिन उसके पक्ष में खड़ा होने की परंपरा यहां है ही नहीं। राजपाट हार जाएं तो ख़ुद पांडवों के साथ भी कोई खड़ा नहीं होता बल्कि वे ख़ुद भी अपनी पत्नी द्रौपदी के पक्ष में खड़े नहीं होते।
    खड़े होने से पहले लोग यह देखते हैं कि इसके साथ खड़े होकर हमें क्या ईनाम मिलेगा ?


    गीता पर चलिए और बड़ा ब्लॉगर बनिए Gita as a bloggers' guide

    प्यारे छात्रों ! आज के लेक्चर में आपके सामने मानव प्रकृति का एक सनातन रहस्य अनावृत होने जा रहा है। इसे विशुद्ध प्रोफ़ेशनल दृष्टि से समझने और आत्मसात करने की आवश्यकता है।

    भारतीय दर्शन 6 हैं जो कि न्याय, सांख्य, वैशेषिक, योग दर्शन, पूर्व मीमांसा और उत्तर मीमांसा दर्शन हैं। उत्तर मीमांसा दर्शन को ही वेदान्त दर्शन कहा जाता है। ये सभी दर्शन क्लिष्ट और गूढ़ हैं। गीता इन सबका सरल और समन्वित रूप है।
    युद्ध की भांति ही सेक्स भी मनुष्य को आदिकाल से ही आकर्षित करता रहा है। इसके सटीक इस्तेमाल से भी आप एक बड़ा ब्लॉगर बन सकते हैं। आगामी किसी क्लास में इस विषय पर भी लेक्चर अवश्य दिया जाएगा।

    कुछ हिंदी ब्लॉगर्स के बारे में वंदना गुप्ता जी की ताज़ा पोस्ट
    जिन्होंने उनका विरोध नहीं किया बल्कि उनसे रंजिश निकालीण्
    वह कहती हैं-


    हिंदी ब्लॉगिंग के गिरते हुए स्तर पर अलबेला खत्री जी भी चिंतित हैं।
    कहते हैं कि
    महात्मा गाँधी की  एक अत्यंत  उपयोगी और सार्थक  सूक्ति  पोस्ट की तो 

    उसे पाठक मिले कुल  आठ  और  एक दिन पहले  घटिया सी पोस्ट लगाई 

    तो अब तक उसे पाठक मिले 1081 ...
    भारतीय नारी ब्लॉग पर कहा जा रहा है कि
    पुरुष ब्लोगर्स आत्म निरीक्षण अवश्य करें ! - पुरुष ब्लोगर्स आत्म निरीक्षण अवश्य करें ! सभी पुरुष ब्लोगर्स से आज इस मंच के माध्यम से यही कहना चाहती हूँ कि किसी भी महिला ब्लोगर के साथ ऐसा व्यवहा...
    दूसरी तरफ़ अलबेला खत्री जी पुरानी बात को नए अंदाज़ में दोहरा रहे हैं

    वन्दना करूँ, तुम्हारी वन्दना करूँ , ऐसी करूँ वन्दना कि बन्द ना करूँ 

    कोमल है, शीतल है, सुन्दर संरचना 

    प्रभु ने बनाया तुम्हें  अनुपम  रचना  

    भीड़ है लुटेरों की, तू  लुटने से बचना 

    तेरी इच्छा के विरुद्ध करे कोई टच ना 

    तेरा  अपमान मैं  पसन्द  ना करूँ 

    वन्दना करूँ,  तुम्हारी वन्दना करूँ... 

     

     हास्यकवि अलबेला खत्री

    बच्चों की समस्या किसी तरह ख़त्म होती नज़र नहीं आ रही है


    राहत इंदौरी साहब ने शायरी को इबादत बना लिया है और इबादत भी किसी पहुँचे हुए फ़क़ीर जैसी।

    सब अपनी-अपनी ज़ुबां में अपने रसूल का ज़िक्र कर रहे हैं
    फ़लक पे तारे चमक रहे हैं, शजर पे पत्ते खड़क रहे हैं

    ऐसे शे’र कहते वक़्त शायर रुहानीयत के शिखर पर पहुँच जाता है और फिर उसके अल्फ़ाज़ सचमुच जी उठते हैं।

    मुलाहिज़ा कीजिए -


    मेरे पैयंबर का नाम है जो , मेरी ज़बां पर चमक रहा है

    गले से किरनें निकल रही हैं,लबों से ज़म-ज़म टपक रहा है

    मैं रात के आख़री पहर में, जब आपकी नात लिख रहा था

    लगा के अल्फ़ाज़ जी उठे हैं , लगा के कागज़ धधक रहा है

    सब अपनी-अपनी ज़ुबां में अपने रसूल का ज़िक्र कर रहे हैं

    फ़लक पे तारे चमक रहे हैं, शजर पे पत्ते खड़क रहे हैं

    मेरे नबी की दुआएँ हैं ये , मेरे ख़ुदा की अताएँ हैं ये

    कि खुश्क मिट्टी का ठीकरा भी , हयात बनकर खनक रहा है

    जन्मदिन मेरा नहीं, बल्कि मेरे ब्लाग " आधा सच " का है।
     


    दहशत और चुनौती से भरी वह एक रात


    आज यह् सारा वाकया एक कहानी की तरह लग रहा है लेकिन जब मैं इस अनुभव से गुजरी थी और उस वक्त मुझ पर जो बीती थी ईश्वर से प्रार्थना है ऐसा दिन वह किसीको ना दिखाये ! 

    पर्वत की महिलाएँ,
    हँसिया लेकर जंगल जातीं।
    पेड़ों से सूखी शाखाएँ,
    काट-काटकर लातीं।।

    थकान-करे बेकाम

    एक भाभीजी थी काफी उदास
    उनकी शिकायत थी,कि जब उनके पति,
    जब  घर आते है,
    दिन भर ऑफिस में काम करने के बाद
    तो शाम को किसी भी काम के नहीं रह जाते है
    न बाज़ार से सब्जी लाते है
    न होटल में खिलाते है
    बस थके हारे,खर्राटे भरते हुए सो जाते है
    अब उन्हें ये कौन बताये,
    वो ओफिस मे क्या क्या गुल खिलाते है
    और शाम तक होती क्यों,ऐसी हालत है
    क्योंकि उनकी सेक्रेटरी के पति को भो,
    अपनी पत्नी से ,ये ही शिकायत है
     

    वात्स्यायन थे 'पुरुषवादी',अब नया कामसूत्र

    वात्स्यायन के कामसूत्र को अब महिलाओं के नजरिए से लिखने की कोशिश हो रही है। यह पहल की है लेखिक के. आर. इंदिरा ने। महिलाओं को कामसूत्र का पाठ पढ़ाने वाली उनकी किताब जून के पहले हफ्ते में रिलीज़ होगी।
    इंदिरा का मानना है कि वात्स्यायन के कामसूत्र को पुरुषों के नजरिए से लिखा गया है।
     
    जिसमें बताया गया है कि महिलाओं का कैसे इस्तेमाल किया जाए।


    बेसुरम ब्लॉग पर 

    उल्लू गधा कहो या रविकर

    विद्वानों से डर लगता है , उनकी बात समझना मुश्किल ।
    आशु-कवि कह देते पहले, भटकाते फिर पंडित बे-दिल ।
    आर्य भोजन ब्लॉग पर 

    गुड फूड-बैड फूड Good Food & Bad Food

    food.jpg
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    खाते तो सभी हैं। कुछ जीभ (स्वाद) के लिए खाते हैं तो कुछ पेट (भरने) के लिए। खाने के ये दोनों ही अंदाज गलत हैं।
    अभिव्यक्ति ब्लॉग पर

    "पापूलर लिट" हिन्दी साहित्य पर नया हमला

    ‘‘रासायनिक हथियारों पर पाबंदी’’ और ‘‘आतंकवाद’’ से लड़ने के नाम पर निर्ममतापूर्वक कुचल दिया गया। इंसानी बस्तियों और अस्पतालों पर मिसाइलों से हमले किये ही नहीं गये, उन्हें दुनिया भर के टी.वी. चैनलों पर दिखाया भी गया। लाखों बेगुनाहों के कत्ले-आम के दृश्य ‘मनोरंजन-चैनलों’ पर प्रसारित हुए और लम्बे अरसे से अनुकूलित कर दिये गये दिल-ओ-दिमागों व जबानों से कोई ऐसी चीख नहीं निकली ...

    कुमार राधारमण जी की पेशकश

    कहाँ ग़ायब हुआ स्वाद मुँह का?

    बुजुर्ग अक्सर शिकायत करते हैं कि उनके मुँह का स्वाद ग़ायब हो गया है। उन्हें अब किसी व्यंजन में स्वाद महसूस नहीं होता। बढ़ती उम्र के साथ कुछ बुजुर्ग मरीज़ों में रसना इंद्रियों के शिथिल होने के साथ घ्राणशक्ति भी क्षीण हो जाती है। इसकी वजह से उनकी भूख भी कम हो जाती है और वज़न घट जाता है।


    Thumbnail

    Islamic Concept of Balance in Human Nature : Unique Work of Dr.Tahir-ul-Qadri in Islamic Literature

    Download Book Link www.minhajbooks.com Extract from Restoring Balance Faith, Law and Courage to Love (Al-Hidayah 2010)

    रोल मॉडल ने बदली जीवन की दिशा - N. R. Nayaynana




  • इंफोसिस के संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति की गिनती दुनिया के एक दर्जन सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में होती है। उन्होंने पूरी दुनिया में भारत को एक नई पहचान दी। पेश है न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के छात्रों के सामने दिया गया उनका एक भाषण: मैं यहां आपके साथ अपने जीवन के कुछ अनुभव बांटना चाहता हूं। उम्मीद है कि ये अनुभव जीवन के संघर्ष में आपके लिए मददगार साबित होंगे।

    10 comments:

    रविकर said...

    NICE

    महेन्द्र श्रीवास्तव said...

    आपकी मेहनत दिखाई दे रही है।
    एक शेर याद आ रहा है..

    दोष किसका है, इसे बाद में तय कर लेगें,
    पहले इस कश्ती को तूफां से बचाया जाए।
    ऐब औरों का गिनाने में महारत है जिसे,
    ऐसे हर शख्स को आइना दिखाया जाए।

    Ayaz ahmad said...

    SACH KA SATH DENA AASAN NAHIN HOTA.

    AAPKI POST SHANDAR HAI.

    चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

    वाह क्या ख़ूब मीट है!! बधाई

    मनोज कुमार said...

    एक निष्पक्ष चर्चा।

    कुमार राधारमण said...

    ब्लॉग जगत की ताज़ा रचनाओं और विवादों-दोनों से अवगत हुआ। मामला ब्लॉग का हो कि ब्लॉगेतर-हालात चिंताजनक हैं।

    Kunwar Kusumesh said...

    good.

    Shikha Kaushik said...

    ALL LINKS ARE VERY GOOD INDEED ....MAHENDR JI'S POETIC LINES ARE ALSO VERY GOOD .THANKS

    like this page on facebook and wish our indian hockey team for london olympic

    shyam gupta said...

    फ़िर उसी अश्लील शीर्षक से राग अलापा जारहा है जिसके कारन सारा बवाल हुआ था... इस पोस्त को ब्लोग से हता देना चाहिये तभी वन्दना जी को राहत मिल सकती है ...

    Ayaz ahmad said...

    @ डा. गुप्ता , इस मीट में तो कोई भी शीर्षक किसी को भी अश्लील नज़र नहीं आया.
    अपनी नज़र को चेक कीजिये और अपने दिमाग को भी .
    बाहर अश्लीलता नहीं है तो फिर इनमें ही होगी.

    वंदना जी को भी आपने अश्लीलता का ताना दे दे कर परेशान कर डाला था.
    भाई किसी को अपने मन का कुछ कहने भी दोगे या नहीं ?
    पढना दूसरों को भी आता है और हमसे ज़्यादा आप क्या जानोगे अश्लीलता को ?
    अगर आप जानते हो तो आप बताओ कि आप अश्लीलता का निर्धारण किस पैमाने से करते हो ?

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