लखनऊ। हिंदू संगठन अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने समाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश के सिर 10 लाख का इनाम रखा है। संगठन का कहना है कि जो भी अग्निवेश का सिर कलम कर लाएगा उसे 10 लाख का इनाम दिया जाएगा।
अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश तिवारी ने कहा है कि अग्निवेश ने अमरनाथ यात्रा पर टिप्पणी करके विभाजनकारी तत्वों को बढ़ावा दिया है। ऐसे लोगों का यही हश्र होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अन्ना हजारे को ऐसे लोगों से दूर रहने की जरूरत है।
गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने अमरनाथ यात्रा को धर्म के नाम पर धोखा करार दिया था। उनके अनुसार आजादी की मांग करने वाले कश्मीरियों की आवाज को नई दिल्ली दबा रहा है। स्वामी अग्निवेश ने हुर्रियत कान्फ्रेंस के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी से मुलाकात के दौरान यह बात कही। उन्होंने अलगाववादियों के सुर से सुर मिलाते हुए अमरनाथ यात्रा को ‘धार्मिक पाखंड’ करार दिया है।
अग्निवेश ने कहा, 'अमरनाथ में बनने वाला शिवलिंग एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इसे धर्म से जोड़ा जाना सही नहीं है।' उन्होंने कहा, ‘मेरी समझ से बाहर है कि लोग अमरनाथ यात्रा के लिए क्यों जाते हैं। यह धर्म के नाम पर धोखा है। मैं इस तरह के धर्म पर यकीन नहीं करता। धर्म वह है जो गरीबों व वंचितों को न्याय दिलाए।’
स्वामी ने अमरनाथ श्राइन बोर्ड के पूर्व चेयरमैन राज्यपाल एसके सिन्हा को निशाना बनाते हुए कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से शिवलिंग पिघलने के बाद नकली शिवलिंग तैयार करवाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
आपकी राय
स्वामी अग्निवेश की टिप्पणी और हिंदू संगठन के इस फतवे के बारे में आपकी क्या राय है? क्या इस संगठन को इस तरह का बयान दे कर फतवा जारी करना चाहिए?
ध्यान रहे कि टिप्पणी करते समय प्रयोग की गई भाषा के लिए स्वयं आप जिम्मेदार होंगे। यदि आपकी भाषा से किसी को आपत्ति होती है या कोई कानूनी कार्रवाई की जाती है तो उसकी जिम्मेदारी भी पूरी तरह से आपकी होगी।
स्वामी अग्निवेश की टिप्पणी और हिंदू संगठन के इस फतवे के बारे में आपकी क्या राय है? क्या इस संगठन को इस तरह का बयान दे कर फतवा जारी करना चाहिए?
ध्यान रहे कि टिप्पणी करते समय प्रयोग की गई भाषा के लिए स्वयं आप जिम्मेदार होंगे। यदि आपकी भाषा से किसी को आपत्ति होती है या कोई कानूनी कार्रवाई की जाती है तो उसकी जिम्मेदारी भी पूरी तरह से आपकी होगी।
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भास्कर से साभार
12 comments:
कुछ अच्छे विषयों पर भी हम चर्चा कर सकते हैं। ऐसे पोस्ट हम नहीं पढ़ते ... !
यह टिप्पणी सिर्फ़ शीर्षक देख कर ही है।
स्वामी अग्निवेश की राय उन की अपनी राय है उन्हें अपनी राय रखने का हक है। लेकिन उन की राय के कारण यदि कोई संगठन इस तरह की घोषणा करता है तो यह एक अपराधिक गतिविधि है। राज्य की पुलिस को इस पर प्रसंज्ञान लेना चाहिए और ऐसी घोषणा करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध अभियोजन चला कर उसे दंडित कराया जाना चाहिए।
@ मनोज कुमार जी ! आप अपनी पसंद के लेखादि पढ़ने के लिए आज़ाद हैं लेकिन हम इस फ़ोरम में ऐसी सूचनाएं भी सामने लाते हैं जो फ़ोरम के पाठकों को सामयिक घटनाओं की जानकारी देकर उन्हें जागरूक बनाती हैं। यह पोस्ट भी कोई लेख नहीं है बल्कि यह ‘भास्कर‘ अख़बार की एक रिपोर्ट है। अगर आपने इसे ढंग से पढ़ा होता तो आप यह जान लेते। आपके और हमारे न पढ़ने से ये घटनाएं शून्य नहीं हो जाएंगी लेकिन अगर हमने इनका संज्ञान न लिया और समय रहते उचित प्रतिकार न किया तो हमारे समाज में सच कहने वालों को जीना दूभर ज़रूर हो जाएगा जैसे कि स्वामी अग्निवेश जी का किया जा रहा है।
आपको इस कोण से भी विचार करना चाहिए।
धन्यवाद !
http://mushayera.blogspot.com/2011/05/miracle-of-god.html
@ आदरणीय द्विवेदी जी ! आपकी टिप्पणी के लिए शुक्रिया।
मैं आपसे सहमत हूं।
यहां पर मैं यह ध्यान दिलाना चाहूंगा कि जब कोई ग़ैर-हिंदू आदमी धर्म के नाम पर पाखंड फैलाने की तरफ़ तवज्जो दिलाता है तो उसे यह कहकर ख़ामोश करने की कोशिश की जाती है कि यह हमारा अंदरूनी मामला है, इसे हम ख़ुद देख लेंगे, आप चुप रहिए।
स्वामी अग्निवेश जी ने वही कहा जो कि आर्य समाज की मान्यता है क्योंकि स्वामी जी आर्य समाजी हैं। आर्य समाज को हिंदू समाज के लिए काम करने वाली एक संस्था माना जाता है। अब हिंदू समाज के पाखंडों की तरफ़ ख़ुद उसी समाज के एक आदमी ने आवाज़ उठाई तो उसे मौत की धमकी क्यों ?
क्या अब हिंदू पंथों के सन्यासियों और हिंदू सुधारकों को भी अपनी मान्यताओं का प्रचार भारत में नहीं करने दिया जाएगा ?
आर्य समाजी सन्यासी का सिर क़लम करने की घोषणा का असर आर्य समाज पर अच्छा नहीं पड़ेगा और यह घोषणा आर्य समाज और सनातनी समाज के दरम्यान फ़ासले को और ज़्यादा बढ़ा देगा। इस तरह यह क़दम हिंदू समाज के हित में भी नहीं होगा जिसके नाम पर राजनीति के धंधेबाज़ यह सब कर रहे हैं।
आज ज़रूरत यह है कि सभी वर्गों और समुदायों के लोग अपनी वैचारिक भिन्नता के बावजूद अपने देश और समाज के साझा हितों के लिए मिलजुल कर काम करें। ऐसे में यह घोषणा एकदम विपरीत है जिसका कहीं कोई स्वागत किया जाने वाला नहीं है।
कट्टरपंथी विचारधारा का एक और नमूना!
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मुख में राम, बगल में छुरा!
किसी को भी किसी का सर कलम करने का कोई भी अधिकार नहीं है चाहे आदमी का हो या बकरे का . इसे किसी भी रीती से उचित नहीं ठहराया जा सकता . अग्निवेश आखिर क्या गलत कह रहे हैं वे वेद की बातें कर रहे हैं जो की प्रमुख हिन्दू धर्म ग्रन्थ है . उसमे कहीं भी किसी भी किस्म की मूर्ति पूजा के बारे में नहीं लिखा है . जहां तक बात है कश्मीरियों के ,किसी अन्य धर्म की अच्छी बातों के समर्थन का तो ये उनका निजी विचार है जिसके लिए वो स्वतंत्र भी हैं !
अनवर भाई मै बिना आपकी अनुमति के आपकी पोस्ट पर आया इसके लिए माफ़ी चाहता हूँ क्यों की मेरे विचार आपसे थोडा भिन्न हैं
@ जनाब मदन शर्मा जी, आपने मुझे भाई कहा। इतना बहुत है। आपने बलि के औचित्य पर सवाल खड़ा करके पूरे ब्लॉग जगत में मुसलमानों की छवि ख़राब कर दी थी। तभी मुझे वह पोस्ट लिखनी पड़ी थी जिसकी वजह से मेरे लिए आपका ‘उत्साह‘ ठंडा पड़ गया था। लेकिन आपने अपनी ग़लती से आज तक भी कोई सबक़ नहीं सीखा। यह एक अफ़सोसनाक बात है।
आजकल मैं शांति के मूड में हूं लिहाज़ा आपकी ग़लती को नज़रअंदाज़ करता हूं।
बकरे-मुर्ग़े और मछली के खाने के बारे में आप निम्न लिंक पर जाएं, आपकी शंकाएं और आपका भ्रम सब कुछ ऐसे दूर हो जाएगा जैसे कोई बेवफ़ा माशूक़ा अपने आशिक़ से दूर हो जाती है।
जयहिंद,
सादर वंदे ईश्वरम् !
http://halal-meet.blogspot.com/
दिनेशराय द्विवेदी जी टिप्पणी से सहमत हूँ.
@ आदरणीय द्विवेदी जी ! आपकी टिप्पणी के लिए शुक्रिया।
मैं आपसे सहमत हूं।
यहां पर मैं यह ध्यान दिलाना चाहूंगा कि जब कोई ग़ैर-हिंदू आदमी धर्म के नाम पर पाखंड फैलाने की तरफ़ तवज्जो दिलाता है तो उसे यह कहकर ख़ामोश करने की कोशिश की जाती है कि यह हमारा अंदरूनी मामला है, इसे हम ख़ुद देख लेंगे, आप चुप रहिए।
स्वामी अग्निवेश जी ने वही कहा जो कि आर्य समाज की मान्यता है क्योंकि स्वामी जी आर्य समाजी हैं। आर्य समाज को हिंदू समाज के लिए काम करने वाली एक संस्था माना जाता है। अब हिंदू समाज के पाखंडों की तरफ़ ख़ुद उसी समाज के एक आदमी ने आवाज़ उठाई तो उसे मौत की धमकी क्यों ?
क्या अब हिंदू पंथों के सन्यासियों और हिंदू सुधारकों को भी अपनी मान्यताओं का प्रचार भारत में नहीं करने दिया जाएगा ?
आर्य समाजी सन्यासी का सिर क़लम करने की घोषणा का असर आर्य समाज पर अच्छा नहीं पड़ेगा और यह घोषणा आर्य समाज और सनातनी समाज के दरम्यान फ़ासले को और ज़्यादा बढ़ा देगा। इस तरह यह क़दम हिंदू समाज के हित में भी नहीं होगा जिसके नाम पर राजनीति के धंधेबाज़ यह सब कर रहे हैं।
आज ज़रूरत यह है कि सभी वर्गों और समुदायों के लोग अपनी वैचारिक भिन्नता के बावजूद अपने देश और समाज के साझा हितों के लिए मिलजुल कर काम करें। ऐसे में यह घोषणा एकदम विपरीत है जिसका कहीं कोई स्वागत किया जाने वाला नहीं है।---------------------------------------------------- डाक्टर साहेब , जो मोहम्मद का बाल है जम्मू कश्मीर (पता नहीं कहाँ का ) उसके बारे में भी कुछ सुचनाये दीजिए ....
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