कातिल ने भी क्या मजाक .......
ज़िन्दगी तो
बेवफा होकर
मुझ से
करती रही मजाक
लेकिन दोस्तों
मारने के
बाद कातिल ने भी क्या
मुझ से अजीब मजाक
कसाई की तरह
बेरहमी से
गर्दन छुरी से
धड से अलग करने के बाद
तडपते दम निकलते
कातिल ने
मेरे बदन से
बढ़ी मासूमियत से कहा
अरे
यह क्या तुम तो
मर रहे हो
तुम्हारी तो
अभी
तुम्हारे परिवार और समाज को
जरूरत थी .......................
.......................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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